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बहू की विदाई-भाग 19

7 जून 2023

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उन्होने चपला को पत्र लिखकर बुला लिया था और चपला  ,पुत्री वत्सला के लिए वस्त्र व आभूषण इत्यादि की खरीददारी करने लगी थी ।आसपास के लोगों में सुगबुगाहट होने लगी थी कि कोई तो बात है ।
तभी एक दिवस प्रमोद आकर उन्हें एक पत्र दे गया था और उन्होने पत्र खोला तो पत्र रुड़की से श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी का था ।वे अपनी सहधर्मिणी व पुत्री सुभाषिनी के साथ उनके गृह आकर उनका गृह देखना चाहते थे ।
उन्होने माँ के कक्ष में जाकर उनसे कहा था -"माँ ,रुड़की से श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी का परिवार आ रहा है हमसे मुलाकात करने तो आपसे नम्र निवेदन है कि अपना थोडा़ सा समय उन्हें दे दीजिएगा ,,, आप उनसे मिलेंगी तो आपको भी पता चलेगा कि वे बहुत सभ्य और भले लोग हैं ।" 
माँ उनसे कुछ न बोलकर अपना माला ही जपती रही थीं और वे उनके कक्ष से निकल आए थे ।
कुछ दिवस पश्चात श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी का परिवार उनके गृह आया था ।
अतिथि देवो भवः में विश्वास रखने वाली माँ उनकी अपेक्षाओं पर खरी उतरी थीं पर अपने वार्तालाप से उन्होने उनको प्रकट कर दिया था कि वे इस विवाह के पक्ष में नहीं हैं और जो उनके पुत्र ने निर्णय लिया है वे इससे बहुत कुपित हैं ।वे जानते थे कि श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी उन्हें समझेंगे पर फिर भी उन्होने अपनी तरफ से उनसे कहा था -"माँ के किए वार्तालाप के लिए मैं खेद प्रकट करता हूँ ,,,"पर उनकी सहधर्मिणी ने कहा था --आप कुछ न सोचें सरस्वती चरण दास जी ,,, आप की माँ भी तो उसी रुढि़वादी ,दकियानूसी सोच की जंजीरों में जकडी़ हुई हैं ,, और उन्हीं जंजीरों से तो हमें उन्हें व सबको मुक्त करना है।

"मैं तो 'हम बदलेंगे तो समाज बदलेगा'वाली विचारधारा वाला हूँ ।"श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी ने अपनी सहधर्मिणी की बात का समर्थन करते हुए कहा था और उन्हें बहुत आत्मिक संतुष्टि मिली थी कि इन लोगों के विचार बिलकुल उनके विचारों जैसे हैं ।

चपला ने उनकी आवभगत में कोई कसर न छोडी़ थी और वे बहुत प्रसन्न व संतुष्ट होकर रुड़की प्रस्थान कर गए थे।
अगले दिवस उन्होने विवाह के निमंत्रण पत्र छपने को दे दिए थे और लोगों को भी ज्ञात हो गया था कि वे अपनी बहू का विवाह करना चाहते हैं और लोग आकर माँ को उलाहना देने लगे थे कि ये जो कुछ हो रहा है ये सही न हो रहा है ,, उनके इस कृत्य को देखकर हमारी बहू और बेटियाँ भी बिगड़ जाएंगी उसका जिम्मेदार कौन होगा !! 
उलाहना देने वालों में उम्रदराज लोग ही थे और उनकी उलाहनाओं से माँ का उनके प्रति क्रोध बढ़ता ही जा रहा था मगर उन्होने तो सोच लिया था कि अभी माँ को मनाने या समझाने का कोई लाभ नहीं !! एक बार विवाह हो जाए फिर ही माँ को मना लूँगा ।

विवाह के निमंत्रण पत्र छप कर आ गए  थे और उनका वितरण भी उन्होने करवाना प्रारंभ कर दिया था ।अभी लोगों ने सीधे उनसे कुछ न कहा था तो वे भी कुछ न बोले थे और विवाह की तैयारियों में लगे हुए थे ।
देखते ही देखते विवाह का दिवस भी आ पहुँचा था और नियत समय पर बारात उनके द्वार पर आ गई थी और  उम्रदराज लोग भी उनके द्वार पर आकर खुल कर विरोध करने हेतु आ गए थे ,उनके हाथों में लाठी थीं और स्त्रियां भी उनके साथ थीं ।
वे बारात का स्वागत करने के लिए आए थे पर इतने सारे जनों को देखकर समझ गए थे कि आज सारी बात तो ये लोग करके ही रहेंगे ।
उन लोगों में सबसे बुजुर्ग बाबू सागर शरण जी सबसे आगे अपनी लाठी लिए हुए खडे़ थे ।
बारातियों ने उन लोगों को देखकर नृत्य करना बंद कर दिया था और श्री  कृष्ण गोपाल स्वामी जी अपने सुपुत्र सुभाष के साथ उन लोगों के समक्ष आकर खडे़ हो गए थे।
वे भी आकर श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी व उनके सुपुत्र सुभाष के समीप खडे़ हो गए थे ।
बाबू सागर शरण जी ने उनसे अपनी लाठी ठोंक कर कहा था -"देखो जी ,ये विवाह तो न होगा ,,, ये बारात जहाँ से आई है ,इज्जत से वहीं लौट जाए इसी में भलाई है ।"

"क्यों न होगा बाबू सागर शरण जी !! जरा बताने का कष्ट करेंगे !!"उन्होने पूछा था यद्यपि उन्हें कारण ज्ञात था मगर वे उनके श्री मुख से ही श्रवण करना चाहते थे ।

"सीधी सी बात है ,,, आपकी पुत्रवधू विधवा है और एक विधवा का विवाह हमारा ये समाज तो स्वीकार न करेगा ,,, ये उल्टी रीति तो न चलने वाली है !!" वे अपने काँपते स्वर में बोले थे ।
चपला ,भीतर पुत्री वत्सला का श्रृंगार कर रही थी ,तीव्र स्वर सुनकर वो भी बाहर आ गई थी और उसका अनुगमन करती माँ और शन्नों मौसी भी आ गई थीं ।

उन लोगों और बारातियों के अतिरिक्त उनके शिष्य व शिष्याओं का विशाल हुजूम भी विवाह में सम्मिलित होने आया था और इन लोगों की बात को मौन रखकर श्रवण कर रहा था ।
वे बोले थे -"देखिए ,जिन रीतियों और परम्पराओं की आप बात कर रहे हैं वे अब जीर्णशीर्ण हो चुकी हैं ,, उनमें परिवर्तन समय की माँग है ,, समय के अनुसार सबको बदलना पड़ता है वरना दुनिया आगे निकल जाती है और हम पीछे ही रह जाते हैं ,,  " 
"ये तो कोई तर्क न हुआ सरस्वती !! ऐसे तो हम भी बुजुर्ग हो गए हैं तो हमें भी कहीं पटक आया जाएगा और हमारा स्थान कोई और ले लेगा !! उनमें से एक बुजुर्ग पीछे से बोले थे।

"देखिए आप कुतर्क कर रहे हैं ,,, आप सबकी सोच पुरुषवादी सोच है जिसके नीचे  स्त्रियां पिसती आई हैं !! 
ईश्वर ने स्त्री व पुरुष को एक समान बनाया है तो उन्हें भी बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए ,, और उसके लिए इन रीतियों में परिवर्तन आवश्यक है जिनमें संकुचित सोच और दकियानूसी विचारों की जंग लग गई है ।"श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी ने कहा था ।
उन जनों के संग जो स्त्रियाँ आई थीं वे अपने हाथ से अपना पल्लू  मुँख पर रखे मौन होकर सब सुन रही थीं ।

" अरे सदियों से जो चलता आया है उसमें परिवर्तन नहीं होगा तो नहीं होगा ।"पीछे से तीव्र  स्वर आया था जिसको सुनकर चपला ने आगे आकर कहा था -............शेष अगले भाग में ।

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

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रचनाएँ
बहू की विदाई
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मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ-'बहू की विदाई' ।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक रुढि़वादी ,दकियानूसी ,व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई' । मेरी इस कहानी का मुख्य पात्र सरस्वती चरण दास अपने इकलौते पुत्र के निधन के पश्चात अपनी बहू का विवाह करता है वो भी अपनी माँ की नाराजगी झेलकर।वो खुली सोच रखता है । कैसे वो अपनी विधवा पुत्रवधू के साथ खडा़ होता है और उसका विवाह करता है ये पढे़ं मेरी कहानी 'बहू की विदाई ' में ।
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बहू की विदाई-भाग 1

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भगवान भास्कर आसमान में और ऊपर चढ़ आए थे और मुदित होकर सरस्वती चरण दास के कमरे की खिड़की से अपनी रश्मियों द्वारा आकर मानों उनके शीश पर अपना वरद हस्त रखकर उन्हें कह रहे हों !!बेटी की विदाई हो गई !! तुमन

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बहू की विदाई-भाग 2

31 मई 2023
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"ऐसा न कहो माँ !!" कहते हुए सरस्वती चरण दास अंदर कमरे में आए और माँ के समीप बैठकर माँ के हाथ को अपने हाथों में लेते हुए बोले -" तुमने रात से भोजन न गृहण किया माँ !! चलिए चलकर साथ में भोजन करते हैं।"

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बहू की विदाई-भाग 3

31 मई 2023
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सरस्वती !!! ये क्या !! तू गुरु महाराज के विछोह जनिक शोक से उबर ही न रहा !! संगीत जो तेरे रक्त की हर बूंद में मिलकर तेरी हर श्वास में तेरे हर स्पंदन में रचा बसा है तू उसी से मुख मोड़कर शोक सागर में डूब

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बहू की विदाई-भाग 4

31 मई 2023
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।प्रांगण में दरे बिछवाकर ढो़लक रखी गई थी जिसे एक स्त्री ने बजाना और अन्य स्त्रियों में देवी भगौती के भजन गाना प्रारंभ कर दिया था ।शन्नों मौसी ,माँ के साथ सभी के लिए चाय व नाश्ते का प्रबंध करने में लगी

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बहू की विदाई-भाग 5

31 मई 2023
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-"सरस्वती ,तू इस समय यहाँ बाहर !!तुझे तो ,,,,, मन में कोई शंका उपज रही है क्या ???""हाँ मौसी ,आपसे एक प्रश्न का उत्तर चाहिए था ,आप दे सकेंगी ?"उन्होने प्रश्न किया था ।"हाँ क्यों नहीं !!पूछ !!" क

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बहू की विदाई-भाग 6

1 जून 2023
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--"माँ सामान रखना छोड़ तुम यहाँ आ गईं !!और कुछ हुआ है क्या !! सरस्वती को तो इस समय भाभी के समीप होना चाहिए था !!""नहीं कुछ नहीं ,तू चल मैं आ रही हूँ " चपला से कहते हुए शन्नो मौसी मुझ

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बहू की विदाई -भाग 7

1 जून 2023
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"वही तो मैं कह रहा हूँ !! आखिर ये नियम किसने और क्यों निर्मित किए !! पति के देवलोक गमन के पश्चात स्त्री के जीवन का रथ संसार मार्ग पर रुक जाता है क्या !!!नहीं ना !! वो तो अनवरत तब तक गतिमान रहता ह

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बहू की विदाई -भाग 8

1 जून 2023
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उस समय विवाह से पूर्व कन्या देखने का चलन न था ।कुण्डली मिलान हो गया था और साढे़ चौंतिस गुण मिल रहे थे और क्या चाहिए था !!सुजान बाबू प्रस्थान कर गए थे मगर उनके मन में बार बार विचार आ रहा था कि सुजान बा

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बहू की विदाई -भाग 9

1 जून 2023
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कुछ घण्टों पश्चात उनके गृह के दरवाजे को किसी ने बहुत तेज खटखटाना प्रारंभ कर दिया था ।उन्होनें चपला से कहा था कि देखो तो जरा बारात आ गई क्या !!और चपला ने दौड़ कर गृह का मुख्य द्वार खोला तो सामने

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बहू की विदाई -भाग 10

1 जून 2023
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वे गाडी़ का दरवाजा खोलकर अपनी पुत्रवधू वत्सला के समीप बैठकर उसके शीश पर हाथ फेरकर बोले थे -" चलो गृह चलते हैं मेरी बच्ची !!"चपला भी गाडी़ का दरवाजा खोलकर वत्सला के दूसरी तरफ उसके समीप बैठ गई थी ।किसके

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बहू की विदाई-भाग 11

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उनको देखते ही सबकी आँखें उनकी तरफ देखने लगी थीं जिनमें प्रश्न तैर रहा था जिसका उत्तर वे पाने को लालाइत थे, उनके मन की धरती में प्रश्न का अंकुर था और वे उसके उत्तर की वृष्टि हेतु उनके मुखाकाश में

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बहू की विदाई-भाग 12

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--"वो क्या अपने पति के अंतिम दर्शन करने भी न आएगी !! तू अपनी मनमानी कर रहा है !! उसे यहाँ लेकर आ !!लोकलाज का तो ध्यान दे !! "पुत्र वागीष का अंतिम संस्कार संपन्न करने बाद वे सुजान बाबू के स

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उसे ज्ञात होता है कि ठहराव में जड़ता है और गति में आनंद है !!किसी के गमन से किसी का जीवन न रुकता ,,वो तो यथावत गतिमान रहता है जब तक स्वयं परमब्रह्म उसकी गति को रोकना न चाहें ।अच्छा ,कोई वाहन होता है ज

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आपने मेरी बात न मानी पर मैं अपनी पुत्री के साथ ये सब कदापि न होने दूँगा,,,,न वो केशविहीन होगी और न ही श्वेत वस्त्र धारण करेगी,,वो यहाँ ऐसे ही रहेगी जैसे एक बेटी अपने पिता के गृह में रहती है " माँ से क

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बहू की विदाई -भाग 15

4 जून 2023
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रात्रि में उन्होने अपना बिस्तर पुत्री वत्सला के कक्ष के बाहर लगवाया था और पुत्री वत्सला से कहा था -"बेटी ,तू निश्चिंत होकर निंद्रागत हो ,तेरे लिए नवगृह है ,नव वातावरण है तो तुझे किसी भी प्रकार का भय न

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बहू की विदाई-भाग 16

7 जून 2023
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ये सब देखकर उन्होने एक निर्णय लिया था और फिर वो संगीतशाला जाते,आते लोगों से मिलने बैठने व वार्तालाप करने लगे थे ।जिससे भी वे अपने लिए गए निर्णय के संबंध में बात करते वो उन्हें हैरान होकर द

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बहू की विदाई-भाग 17

7 जून 2023
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आपने जो किया वो बहुत प्रशंसनीय कार्य है पर ये रुढिवादी और दकियानूसी समाज कोई भी परिवर्तन स्वीकार करना ही न चाहता है ।" श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी की सहधर्मिणी ने कहा था और वे बोले थे--"ये

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बहू की विदाई-भाग 18

7 जून 2023
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शाम को वे माँ के कक्ष में गए थे और माँ के समीप बैठकर बोले थे -"माँ ,आपको कुछ बताना चाहता हूँ ।"अपने कपडे़ तह करती हुई माँ बोली थीं -"यही बताना चाहता है न कि वहाँ रुड़की में सब कैसा क्या रहा !! मुझे जा

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बहू की विदाई-भाग 19

7 जून 2023
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उन्होने चपला को पत्र लिखकर बुला लिया था और चपला ,पुत्री वत्सला के लिए वस्त्र व आभूषण इत्यादि की खरीददारी करने लगी थी ।आसपास के लोगों में सुगबुगाहट होने लगी थी कि कोई तो बात है ।तभी एक दिवस प्रमो

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बहू की विदाई-भाग 20 अंतिम भाग

7 जून 2023
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"क्यों !क्यों परिवर्तन न होगा !! क्यों सदा स्त्री ही आप लोगों की संकुचित सोच और रुढिवादिता के तले पिसती रहेगी !! " चपला कह ही रही थी कि पीछे से शन्नों मौसी ने उसका हाथ खींचकर कहा था -"तू क्यों नेता बन

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