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बहू की विदाई-भाग 1

31 मई 2023

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भगवान भास्कर आसमान में और ऊपर चढ़ आए थे और मुदित होकर सरस्वती चरण दास के कमरे की खिड़की से अपनी रश्मियों द्वारा आकर मानों उनके शीश पर अपना वरद हस्त रखकर उन्हें कह रहे हों !!बेटी की विदाई हो गई !! तुमने जो किया है वो बहुत ही सराहनीय कार्य है ,हर किसी के वश की बात नहीं !!
तुमने सही मायने में एक पिता होने के कर्तव्य का निर्वहन किया है

वे  आँखों में कर्तव्यवहन की चमक,मन में सुकून लिए अपनी कुर्सी पर सिर टिकाए आँखें मूँदे बैठे हुए थे और उन्हें अपना वात्सल्य देने को आतुर शीतल पवन बार बार आकर उनके केश सहला रही थी ।उन्होने  मुस्कुराकर उठते हुए खिड़की का पर्दा एक तरफ कर खिड़की को बंद कर दिया और पुनः उसी कुर्सी पर नयन मूँद कर बैठ गए । कल उन्होने अपने पिता होनें का उत्तरदायित्व निभा तो दिया था पर बेटी के विदा होकर चले जाने से स्वयं को बहुत अकेला महसूस कर रहे थे ।

सरस्वती चरण दास ,संगीत की दुनिया का वो महान हस्ती जिसके बिना शायद संगीत की ,उसके सात स्वरों से उपजी मधुर तान की कल्पना भी न की जा सकती थी ।

सरस्वती चरण दास को ऐसे  नयन मूंदे  देखना उनके आसपास की स्थिति ,उनके कमरे में बिखरी नीरवता,निस्तब्धता को शायद गवारा न था और इसीलिए वो उनके मन की उँगली को थामकर उन्हें अतीत की गलियों में ले गई ।

बचपन से उन्हें संगीत के प्रति असीम रुचि थी और उनकी रुचि को देखते हुए उनके पिता जो कि एक सेठ के अदने से मुंशी थे , ने  प्रोत्साहित करने हेतु उन्हें संगीत के गुरु सस्वर सारस्वत जी के श्री चरणों में डाल दिया कि महाराज संगीत का ज्ञान आपके अलावा और कौन है जो दे सकता है !!
महाराज ने बालक शिव चरण दास में एक अलग ही आभा देखी ,संगीत के प्रति समर्पण की भावना देखी और उसे  अपना शिष्य बनाना सहर्ष स्वीकार कर लिया ।

भगवान शिव की भक्ति रस में डूबी रहने वाली उनकी माँ कमला देवी को जब ये ज्ञात हुआ तो उन्होने तो सिर ही पीट लिया ।उन्हें तो ये संगीत के सप्त स्वर का आखिरी साआआआआ  गला फाड़ते हुए सुनना बिलकुल ही न भाता था क्योंकि उन्हें संगीत में तनिक भी रुचि न थी ।वो तो अपने बेटे के मन में पढा़ई-लिखाई के साथ -साथ अपने जैसे ही शिव चरणों में प्रीति का अंकुरण करना चाहती थीं और यही वजह थी कि उन्होने बहुत प्रेम के साथ उसका नाम शिव चरण दास रखा था ,पर वो न जानती थीं कि ईश्वर को उनका सरस्वती चरण दास होना स्वीकार्य है ।

जहां पिता शिव चरण दास की प्रतिभा को देख-देख कर गदगद थे वहीं माँ गृहकार्य करते हुए इधर से उधर घर में चहलकदमी करते हुए मन ही मन भुनभुनाया करतीं -- करम फूट गए भोलेनाथ !! इस शिव चरण दास को बस गला फाड़ने को दे दो --साआआआआ

सस्वर सारस्वत जी की तपस्या और बालक शिव चरण दास की संगीत के प्रति लगन रंग ला रही थी और वो बहुत शीघ्रता से सुर और ताल को समझता हुआ संगीत के ज्ञान में प्रखर होता जा रहा था। और उसकी संगीत के प्रति लगन लेख उन्होने उसका नाम सरस्वती चरण दास रख दिया था ।
सस्वर सारस्वत महाराज देख कर मंत्रमुग्ध हो उठते , उनको संगीत की स्वर साधना में डूबे हुए देखकर । शनैः शनैः उनकी प्रतिभा की किरण रश्मियां दूर दूर तक पहुंच कर उनको विख्यात करने लगी थीं और जिसके फलस्वरूप लोग अपने यहां संगीत का कार्यक्रम रखते तो उन्हें प्रस्तुति देने के लिए उनके घर व महाराज सस्वर सारस्वत के यहां अनुमति लेने जाते ।वो तो सहर्ष अनुमति दे देते मगर उनकी मां न हाँ कहतीं और न ही ना , उनकी उनके पति के आगे चलती जो न थी पर उनके चेहरे के भाव स्पष्ट प्रकट कर देते कि उनका मन इससे खिन्न है ।

अब वो बालक से युवा हो गए थे और उनकी पढा़ई के साथ -साथ संगीत की शिक्षा भी पूर्ण हो चुकी थी । और इस अवधि के मध्य में ही सस्वर सारस्वत महाराज उम्र हो जाने के कारण अस्वस्थ भी रहने लगे थे ।उनकी संगीत की शिक्षा पूरी होते होते वो बहुत बीमार हो जाने के कारण बिस्तर पर आ गए थे ।वे समझ गए थे कि अब तो किसी भी क्षण ईश्वर का बुलावा आ सकता है और उन्होनें उन्हें बुलावा भेजा था ।
वो महाराज सस्वर सारस्वत के घर जाकर उनके चरणों में बैठकर विलाप करने लगे थे और महाराज सस्वर सारस्वत उनके शीश पर अपने कंपित अधरों से बस इतना कह पाए थे -- अपनी गद्दी तुम्हें सौंप रहा हूँ सरस्वती चरण ,
मेरे द्वारा प्राप्त संगीत के ज्ञान को अपने तक सीमित न कर इसको असंख्य जनों तक पहुँचाना ,शुभ आशीर्वाद

"बाबू साहब अपराह्न हो गई ,भोजन परोस दूँ ??"
अपने घर के रसोंइया व सेवक प्रमोद का स्वर सुनकर वो वर्तमान में लौट आए ।
" माँ ने भोजन कर लिया ??" उन्होनें प्रश्न का उत्तर न दे स्वयं प्रश्न किया ।
" नहीं बाबू ,उन्होंने तो कल रात से ही भोजन न किया !!" रसोंइया ने सिर नीचा कर मायूसी से उत्तर दे दिया था जिनको सुनकर सरस्वती चरण दास के ने रसोंइया की तरफ  विस्मय से फिर एक प्रश्न उछाल दिया था --
"पर रात को तुम माँ के कमरे में भोजन थाल ले तो गए थे !!"फिर स्वयं से कहने लगे -ओह !इसका तात्पर्य ये है कि माँ ने भोजन किया ही नहीं !!
इसका तात्पर्य ये है कि माँ अब तक मुझसे रुष्ट हैं !!आह!!मुझे अभी माँ के कमरे में जाकर उन्हें मनाना होगा ,और वे तीव्र गति से माँ के कमरे की तरफ बढ़ गए ।

माँ के कमरे में पहुँचने पर देखा कि माँ अपने कमरे में बनाए गए छोटे से मंदिरनुमा अलमारी में विराजे शिव जी के चरणों में सिर टिकाए बैठी हैं ।
सफेद साडी़ में  माँ के सिर से लेकर मस्तक तक होता हुआ  साडी़ का पल्लू पीठ पर पडा़ था ।
सरस्वती चरण दास ने कातर स्वर में पुकारा --"माँ!"
कमला देवी ने सिर को दरवाजे की तरफ तिरछे अश्रु परिपूरित नयनों से बेटे सरस्वती चरण दास पर एक दृष्टि डाली और पास ही पडे़ पलंग पर बैठ कर अन्यमनस्क भाव से कहा --"  क्या लेने आया है !! ..............शेष अगले भाग में ।

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

बहुत सुंदर शुरुआत, बढ़िया रचना 💐💐

22 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

23 अगस्त 2023

धन्यवाद 😊🙏🙏हर भाग पर अपना लाइक कर दें 😊🙏

Asfak Raza

Asfak Raza

अद्भुत, आपके शब्दों को देखने के बाद मुझे ऐसा प्रतीत होता कि मै कुछ नही.... मुझे अब शायद लेखनी से विराम ले लेना चाहिए।

9 अगस्त 2023

sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

प्रभावशाली कथानक 👌👌

8 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

9 अगस्त 2023

बहुत धन्यवाद बहन , हर भाग पर अपना लाइक 👍 और व्यू दे दें 😊🙏🙏🙏

Jitendra Kumar sahu

Jitendra Kumar sahu

अच्छी रचना🙌🙌

8 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

8 अगस्त 2023

धन्यवाद 😊🙏कृपया सभी भागों पर अपना लाइक 👍 और व्यू दे दें 😊🙏🙏🙏

Jitendra Kumar sahu

Jitendra Kumar sahu

अच्छी रचना🙌🙌

8 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

8 अगस्त 2023

धन्यवाद 😊🙏 कृपया सभी भागों पर अपना लाइक 👍 और व्यू दे दें 😊🙏

ओंकार नाथ त्रिपाठी

ओंकार नाथ त्रिपाठी

सुन्दर रचना बधाई। अच्छी अभिव्यक्ति। सराहनीय प्रस्तुति।

7 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

7 अगस्त 2023

आपका बहुत बहुत धन्यवाद 😊🙏🙏कृपया सभी भागों पर अपना लाइक 👍 और व्यू दे दें 😊🙏🙏

Pragya pandey

Pragya pandey

Very nice 🙏👍

15 जून 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

23 अगस्त 2023

धन्यवाद बहन फिर हर भाग पर अपना लाइक 👍 कर दें 🙏😊

Meenakshi Suryavanshi

Meenakshi Suryavanshi

Nice story 👏

15 जून 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

15 जून 2023

धन्यवाद 😊🙏

Berlin

Berlin

बहुत खूबसूरत व रोचक लगा भाग

8 जून 2023

AZAD AAINA

AZAD AAINA

बहुत सुन्दर लेखन👌👌

5 जून 2023

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रचनाएँ
बहू की विदाई
5.0
मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ-'बहू की विदाई' ।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक रुढि़वादी ,दकियानूसी ,व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई' । मेरी इस कहानी का मुख्य पात्र सरस्वती चरण दास अपने इकलौते पुत्र के निधन के पश्चात अपनी बहू का विवाह करता है वो भी अपनी माँ की नाराजगी झेलकर।वो खुली सोच रखता है । कैसे वो अपनी विधवा पुत्रवधू के साथ खडा़ होता है और उसका विवाह करता है ये पढे़ं मेरी कहानी 'बहू की विदाई ' में ।
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बहू की विदाई-भाग 1

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भगवान भास्कर आसमान में और ऊपर चढ़ आए थे और मुदित होकर सरस्वती चरण दास के कमरे की खिड़की से अपनी रश्मियों द्वारा आकर मानों उनके शीश पर अपना वरद हस्त रखकर उन्हें कह रहे हों !!बेटी की विदाई हो गई !! तुमन

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बहू की विदाई-भाग 2

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"ऐसा न कहो माँ !!" कहते हुए सरस्वती चरण दास अंदर कमरे में आए और माँ के समीप बैठकर माँ के हाथ को अपने हाथों में लेते हुए बोले -" तुमने रात से भोजन न गृहण किया माँ !! चलिए चलकर साथ में भोजन करते हैं।"

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बहू की विदाई-भाग 3

31 मई 2023
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सरस्वती !!! ये क्या !! तू गुरु महाराज के विछोह जनिक शोक से उबर ही न रहा !! संगीत जो तेरे रक्त की हर बूंद में मिलकर तेरी हर श्वास में तेरे हर स्पंदन में रचा बसा है तू उसी से मुख मोड़कर शोक सागर में डूब

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बहू की विदाई-भाग 4

31 मई 2023
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।प्रांगण में दरे बिछवाकर ढो़लक रखी गई थी जिसे एक स्त्री ने बजाना और अन्य स्त्रियों में देवी भगौती के भजन गाना प्रारंभ कर दिया था ।शन्नों मौसी ,माँ के साथ सभी के लिए चाय व नाश्ते का प्रबंध करने में लगी

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बहू की विदाई-भाग 5

31 मई 2023
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-"सरस्वती ,तू इस समय यहाँ बाहर !!तुझे तो ,,,,, मन में कोई शंका उपज रही है क्या ???""हाँ मौसी ,आपसे एक प्रश्न का उत्तर चाहिए था ,आप दे सकेंगी ?"उन्होने प्रश्न किया था ।"हाँ क्यों नहीं !!पूछ !!" क

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बहू की विदाई-भाग 6

1 जून 2023
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--"माँ सामान रखना छोड़ तुम यहाँ आ गईं !!और कुछ हुआ है क्या !! सरस्वती को तो इस समय भाभी के समीप होना चाहिए था !!""नहीं कुछ नहीं ,तू चल मैं आ रही हूँ " चपला से कहते हुए शन्नो मौसी मुझ

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बहू की विदाई -भाग 7

1 जून 2023
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"वही तो मैं कह रहा हूँ !! आखिर ये नियम किसने और क्यों निर्मित किए !! पति के देवलोक गमन के पश्चात स्त्री के जीवन का रथ संसार मार्ग पर रुक जाता है क्या !!!नहीं ना !! वो तो अनवरत तब तक गतिमान रहता ह

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बहू की विदाई -भाग 8

1 जून 2023
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उस समय विवाह से पूर्व कन्या देखने का चलन न था ।कुण्डली मिलान हो गया था और साढे़ चौंतिस गुण मिल रहे थे और क्या चाहिए था !!सुजान बाबू प्रस्थान कर गए थे मगर उनके मन में बार बार विचार आ रहा था कि सुजान बा

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बहू की विदाई -भाग 9

1 जून 2023
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कुछ घण्टों पश्चात उनके गृह के दरवाजे को किसी ने बहुत तेज खटखटाना प्रारंभ कर दिया था ।उन्होनें चपला से कहा था कि देखो तो जरा बारात आ गई क्या !!और चपला ने दौड़ कर गृह का मुख्य द्वार खोला तो सामने

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बहू की विदाई -भाग 10

1 जून 2023
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वे गाडी़ का दरवाजा खोलकर अपनी पुत्रवधू वत्सला के समीप बैठकर उसके शीश पर हाथ फेरकर बोले थे -" चलो गृह चलते हैं मेरी बच्ची !!"चपला भी गाडी़ का दरवाजा खोलकर वत्सला के दूसरी तरफ उसके समीप बैठ गई थी ।किसके

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बहू की विदाई-भाग 11

4 जून 2023
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उनको देखते ही सबकी आँखें उनकी तरफ देखने लगी थीं जिनमें प्रश्न तैर रहा था जिसका उत्तर वे पाने को लालाइत थे, उनके मन की धरती में प्रश्न का अंकुर था और वे उसके उत्तर की वृष्टि हेतु उनके मुखाकाश में

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बहू की विदाई-भाग 12

4 जून 2023
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--"वो क्या अपने पति के अंतिम दर्शन करने भी न आएगी !! तू अपनी मनमानी कर रहा है !! उसे यहाँ लेकर आ !!लोकलाज का तो ध्यान दे !! "पुत्र वागीष का अंतिम संस्कार संपन्न करने बाद वे सुजान बाबू के स

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बहू की विदाई-भाग 13

4 जून 2023
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उसे ज्ञात होता है कि ठहराव में जड़ता है और गति में आनंद है !!किसी के गमन से किसी का जीवन न रुकता ,,वो तो यथावत गतिमान रहता है जब तक स्वयं परमब्रह्म उसकी गति को रोकना न चाहें ।अच्छा ,कोई वाहन होता है ज

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बहू की विदाई-भाग 14

4 जून 2023
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आपने मेरी बात न मानी पर मैं अपनी पुत्री के साथ ये सब कदापि न होने दूँगा,,,,न वो केशविहीन होगी और न ही श्वेत वस्त्र धारण करेगी,,वो यहाँ ऐसे ही रहेगी जैसे एक बेटी अपने पिता के गृह में रहती है " माँ से क

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बहू की विदाई -भाग 15

4 जून 2023
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रात्रि में उन्होने अपना बिस्तर पुत्री वत्सला के कक्ष के बाहर लगवाया था और पुत्री वत्सला से कहा था -"बेटी ,तू निश्चिंत होकर निंद्रागत हो ,तेरे लिए नवगृह है ,नव वातावरण है तो तुझे किसी भी प्रकार का भय न

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बहू की विदाई-भाग 16

7 जून 2023
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ये सब देखकर उन्होने एक निर्णय लिया था और फिर वो संगीतशाला जाते,आते लोगों से मिलने बैठने व वार्तालाप करने लगे थे ।जिससे भी वे अपने लिए गए निर्णय के संबंध में बात करते वो उन्हें हैरान होकर द

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बहू की विदाई-भाग 17

7 जून 2023
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आपने जो किया वो बहुत प्रशंसनीय कार्य है पर ये रुढिवादी और दकियानूसी समाज कोई भी परिवर्तन स्वीकार करना ही न चाहता है ।" श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी की सहधर्मिणी ने कहा था और वे बोले थे--"ये

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बहू की विदाई-भाग 18

7 जून 2023
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शाम को वे माँ के कक्ष में गए थे और माँ के समीप बैठकर बोले थे -"माँ ,आपको कुछ बताना चाहता हूँ ।"अपने कपडे़ तह करती हुई माँ बोली थीं -"यही बताना चाहता है न कि वहाँ रुड़की में सब कैसा क्या रहा !! मुझे जा

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बहू की विदाई-भाग 19

7 जून 2023
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उन्होने चपला को पत्र लिखकर बुला लिया था और चपला ,पुत्री वत्सला के लिए वस्त्र व आभूषण इत्यादि की खरीददारी करने लगी थी ।आसपास के लोगों में सुगबुगाहट होने लगी थी कि कोई तो बात है ।तभी एक दिवस प्रमो

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बहू की विदाई-भाग 20 अंतिम भाग

7 जून 2023
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"क्यों !क्यों परिवर्तन न होगा !! क्यों सदा स्त्री ही आप लोगों की संकुचित सोच और रुढिवादिता के तले पिसती रहेगी !! " चपला कह ही रही थी कि पीछे से शन्नों मौसी ने उसका हाथ खींचकर कहा था -"तू क्यों नेता बन

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