shabd-logo

बहू की विदाई-भाग 16

7 जून 2023

39 बार देखा गया 39
ये सब देखकर उन्होने एक निर्णय लिया था और  फिर वो संगीतशाला जाते,आते लोगों से मिलने बैठने व वार्तालाप करने लगे थे ।
जिससे भी वे अपने  लिए गए निर्णय के संबंध में बात करते वो उन्हें हैरान होकर देखने लगता पर उनका सम्मान करने के कारण उनसे कुछ कहता न था ।
उन्हें भली -भाँति ज्ञात था कि उनके इस समाज में लोग रुढिवादिता और क्षुद्र चिंतन के कीच से सने हुए हैं और वे अपने इस कीच में आपादमस्तक सने रहकर ही प्रसन्न हैं ,,वे इससे ऊपर उठना ही न चाहते हैं ,,, अपनी सोच को विस्तार देना ही न चाहते हैं ,, परिवर्तन स्वीकार करना उन्हें कदापि स्वीकार्य नहीं ,, 
पर उन्हें तो अपने निर्णय को उसके मुकाम तक पहुँचाना ही है !
उसी में उनकी पुत्री वत्सला की भलाई है ।

इन दकियानूसी सोच रखने वाले जनों के मन मस्तिष्क के आसमाँ में उनके लिए गए निर्णय से ही शनैः शनैः नव परिवर्तन के भास्कर का उदय होगा पर कैसे व कब !! वे ये चिंतन करते रहते और अपना सम्पूर्ण प्रयास करते रहते थे ये सोचकर कि वो जो करना चाहते हैं वो गलत नहीं है अतः उनका प्रयास रंग अवश्य लाएगा ,पर वे इस संबंध में वत्सला का मन भी लेना चाहते थे ताकि भविष्य में उसे ये न लगे कि बाबू ने जबरन अपनी इच्छा उसपर थोप दी ,अतः एक संध्या संगीतशाला जाने से पूर्व उन्होने प्रमोद से कहकर पुत्री वत्सला को अपने कक्ष में बुलाया था ।

वत्सला ने उनके कक्ष में आकर धीमे स्वर में उनसे पूछा था -"बाबू,आपने मुझे बुलाया !!"
"हाँ मेरी पुत्री,आ इधर मेरे समीप बैठ आकर ,तुझसे कुछ पूछना है !!"उन्होने कहा था और वत्सला सकुचाती हुई उनके समीप सिर झुकाकर बैठ गई थी ।

वे पुत्री वत्सला से अत्यंत वात्सल्य पूर्वक बोले थे -"पुत्री मैं तुम्हारे जीवन के संबंध में ,अगर कुछ निर्णय लेना चाहूँ तो क्या मुझे इसका अधिकार है !! 
क्या तुम्हें मुझपर इतना विश्वास है कि मेरे बाबू मेरे लिए जो भी करेंगे वो उचित होगा !!"

पुत्री वत्सला ने उनकी तरफ देखकर फिर नयन झुकाकर कहा था -"कैसी बात करते हैं बाबू !!  आपका अपनी इस पुत्री पर पूर्ण अधिकार है ,,, आप मेरे संबंध में जो भी निर्णय लेंगे उसमें मेरी भलाई ही छुपी होगी ,,, ये तो आपका बड़प्पन है जो आप अपनी पुत्रवधू को पुत्री मानकर इतना वात्सल्य दे रहे हैं ,,तब जबकि मेरे अभागे कदमों की वजह से......." बस!बस!बस! आगे इस संबंध में कुछ न बोलना पुत्री ,,,, उन्होने पुत्री वत्सला की बात को मध्य में ही काटकर आगे कहा था -" किसी के कदम अशुभ न होते हैं ,,, सबके देवलोगगमन का समय ईश्वर ने तय कर रखा होता है और उसी तय समय में उसे देह त्याग कर देवलोग गमन करना ही होता है !!
इसमें तेरा कोई दोष नहीं है ,,, हाँ माँ तुझसे रुष्टता से वार्तालाप करती हैं क्योंकि वे भी संकुचित चिंतन वाली हैं पर शनैः शनैः वो भी समझ जाएंगी ,,, 
धीरे धीरे रे मना ,
धीरे सबकुछ होय !!
तूने सुना नहीं क्या !! 

पुत्री वत्सला का मन पाकर उन्होने अपने प्रयास और तीव्र कर दिए थे ।

एक संध्या जब वे संगीतशाला से गृह आए थे तो प्रमोद ने उन्हें एक पत्र दिया था जो उनके लिए आया था ।उन्होने पत्र खोल कर पढा़ ही था कि माँ ने आकर उनसे पूछा था -"किसका पत्र आया है सरस्वती ??"

"माँ , रुड़की से पत्र आया है ,वहाँ मेरा संगीत का आयोजन है।" उन्होने माँ से कहा था और संगीत का आयोजन सुन माँ ने मुँह बिदका लिया था और अपने कक्ष में चली गई थीं ।
वे जब अपने कक्ष में आए तो देखा कि पुत्री वत्सला एक पेटी में उनके वस्त्र रख रही थी ।
सँभव है उसने ,उन्हें माँ से रुड़की गमन की बात कहते सुन लिया था ।
उन्हें देखकर उसने बहुत मासूमियत से पूछा था -"  कब वापस आओगे बाबू ??"  
उन्होने मुस्कुराकर उसके सिर पर हाथ फेरकर कहा था -" शीघ्र आऊँगा पुत्री ।"
अगली सुबह वो रुड़की के लिए प्रस्थान कर रहे थे।रुड़की में एक महाविद्यालय की स्थापना दिवस पर उन्हें आमंत्रित किया गया था ।आयोजन अगले दिवस होना था।
वे वहाँ रुड़की के महाविद्यालय के स्थापना दिवस पर जा रहे थे ,वे वहाँ किसी को न जानते थे पर ऐसा कौन था भला जो उनको न जानता हो !!
वे रुड़की पहुँचे तो वहाँ उनके स्वागत के लिए पहले से ही रुड़की के महाविद्यालय के प्राचार्य महोदय श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी हाथों में पुष्पों का गुलदस्ता लिए हुए खडे़ थे ।
उन्होने आगे बढ़कर  उन्हें पुष्पों का गुलदस्ता थमाते,अपना परिचय देते हुए कहा था -
"मैं 'कृष्ण गोपाल स्वामी' रुड़की के महाविद्यालय का प्राचार्य हूँ और गर्मजोशी से उनसे हाथ मिलाया था ।
उनके ठहरने का प्रबंध कृष्ण गोपाल स्वामी जी के यहाँ ही था और वे उन्हें अपने साथ अपने आवास ले गए थे।

वे जब कृष्ण गोपाल स्वामी जी के साथ उनके आवास पहुँचे एक संभ्रांत स्त्री ने गृह का द्वार खोला जो संभवतः कृष्ण गोपाल स्वामी जी की सहधर्मिणी थीं , काले घुँघराले केश , भरा हुआ चेहरा ,साँवला वर्ण, मस्तक पर तिलकनुमा बिंदिया , नाक में नथुनी , सीधे पल्ले की साडी़ पहने हुए उन स्त्री ने हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करते हुए उन्हें भीतर प्रवेश दिया था और वे कृष्ण गोपाल स्वामी जी के साथ भीतर प्रविष्ट हो गए थे ।

गृह की आंतरिक सज्जा ने उन्हें बहुत प्रभावित किया था ।बैठक में  दीवार पर बडी़ सी सुंदर कलाकृति टंगी हुई थी और उसके ही समीप कुर्सियां व मेज पडी़ हुई थी । 
और एक तरफ दीवान पडा़ था जिस पर सुंदर गिरदे रखे हुए थे ।
कृष्ण गोपाल स्वामी जी ने उन्हें आदर सहित बैठाकर उस स्त्री से जलपान  का प्रबंध करने को कहकर उनसे बताया था -"ये मेरी सहधर्मिणी है , मेरे एक पुत्र व एक पुत्री है ,ईश्वर की बहुत कृपा है हम पर कि मेरे दोनों बच्चे बहुत संस्कारी व आज्ञाकारी हैं ।
आप मुझसे प्रथम बार मिल रहे हैं मगर मैं तो आपके बारे में बहुत सुना था और  मेरा सौभाग्य है जो महाविद्यालय के स्थापना दिवस के आयोजन के बहाने ही सही आपका दर्शन लाभ हुआ । 
उनका वार्तालाप कृष्ण गोपाल स्वामी जी से जारी था तब तक उनकी सहधर्मिणी जलपान लेकर बैठक में प्रविष्ट हुईं और उनसे बोलीं -" समाचार पत्र में आपके पुत्र के निधन का समाचार पढ़कर बहुत दुख हुआ था फिर आपने पुत्र निधन के पश्चात जो कदम उठाया उसके बारे में भी समाचार पत्र में पढ़ने को मिला ।आपने जो किया वो ..............शेष अगले भाग में।

BBL

BBL

शानदार भाग

16 जून 2023

20
रचनाएँ
बहू की विदाई
5.0
मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ-'बहू की विदाई' ।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक रुढि़वादी ,दकियानूसी ,व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई' । मेरी इस कहानी का मुख्य पात्र सरस्वती चरण दास अपने इकलौते पुत्र के निधन के पश्चात अपनी बहू का विवाह करता है वो भी अपनी माँ की नाराजगी झेलकर।वो खुली सोच रखता है । कैसे वो अपनी विधवा पुत्रवधू के साथ खडा़ होता है और उसका विवाह करता है ये पढे़ं मेरी कहानी 'बहू की विदाई ' में ।
1

बहू की विदाई-भाग 1

31 मई 2023
50
30
18

भगवान भास्कर आसमान में और ऊपर चढ़ आए थे और मुदित होकर सरस्वती चरण दास के कमरे की खिड़की से अपनी रश्मियों द्वारा आकर मानों उनके शीश पर अपना वरद हस्त रखकर उन्हें कह रहे हों !!बेटी की विदाई हो गई !! तुमन

2

बहू की विदाई-भाग 2

31 मई 2023
34
27
5

"ऐसा न कहो माँ !!" कहते हुए सरस्वती चरण दास अंदर कमरे में आए और माँ के समीप बैठकर माँ के हाथ को अपने हाथों में लेते हुए बोले -" तुमने रात से भोजन न गृहण किया माँ !! चलिए चलकर साथ में भोजन करते हैं।"

3

बहू की विदाई-भाग 3

31 मई 2023
31
27
2

सरस्वती !!! ये क्या !! तू गुरु महाराज के विछोह जनिक शोक से उबर ही न रहा !! संगीत जो तेरे रक्त की हर बूंद में मिलकर तेरी हर श्वास में तेरे हर स्पंदन में रचा बसा है तू उसी से मुख मोड़कर शोक सागर में डूब

4

बहू की विदाई-भाग 4

31 मई 2023
31
25
3

।प्रांगण में दरे बिछवाकर ढो़लक रखी गई थी जिसे एक स्त्री ने बजाना और अन्य स्त्रियों में देवी भगौती के भजन गाना प्रारंभ कर दिया था ।शन्नों मौसी ,माँ के साथ सभी के लिए चाय व नाश्ते का प्रबंध करने में लगी

5

बहू की विदाई-भाग 5

31 मई 2023
29
24
2

-"सरस्वती ,तू इस समय यहाँ बाहर !!तुझे तो ,,,,, मन में कोई शंका उपज रही है क्या ???""हाँ मौसी ,आपसे एक प्रश्न का उत्तर चाहिए था ,आप दे सकेंगी ?"उन्होने प्रश्न किया था ।"हाँ क्यों नहीं !!पूछ !!" क

6

बहू की विदाई-भाग 6

1 जून 2023
28
22
3

--"माँ सामान रखना छोड़ तुम यहाँ आ गईं !!और कुछ हुआ है क्या !! सरस्वती को तो इस समय भाभी के समीप होना चाहिए था !!""नहीं कुछ नहीं ,तू चल मैं आ रही हूँ " चपला से कहते हुए शन्नो मौसी मुझ

7

बहू की विदाई -भाग 7

1 जून 2023
27
23
1

"वही तो मैं कह रहा हूँ !! आखिर ये नियम किसने और क्यों निर्मित किए !! पति के देवलोक गमन के पश्चात स्त्री के जीवन का रथ संसार मार्ग पर रुक जाता है क्या !!!नहीं ना !! वो तो अनवरत तब तक गतिमान रहता ह

8

बहू की विदाई -भाग 8

1 जून 2023
27
24
1

उस समय विवाह से पूर्व कन्या देखने का चलन न था ।कुण्डली मिलान हो गया था और साढे़ चौंतिस गुण मिल रहे थे और क्या चाहिए था !!सुजान बाबू प्रस्थान कर गए थे मगर उनके मन में बार बार विचार आ रहा था कि सुजान बा

9

बहू की विदाई -भाग 9

1 जून 2023
28
24
1

कुछ घण्टों पश्चात उनके गृह के दरवाजे को किसी ने बहुत तेज खटखटाना प्रारंभ कर दिया था ।उन्होनें चपला से कहा था कि देखो तो जरा बारात आ गई क्या !!और चपला ने दौड़ कर गृह का मुख्य द्वार खोला तो सामने

10

बहू की विदाई -भाग 10

1 जून 2023
28
23
2

वे गाडी़ का दरवाजा खोलकर अपनी पुत्रवधू वत्सला के समीप बैठकर उसके शीश पर हाथ फेरकर बोले थे -" चलो गृह चलते हैं मेरी बच्ची !!"चपला भी गाडी़ का दरवाजा खोलकर वत्सला के दूसरी तरफ उसके समीप बैठ गई थी ।किसके

11

बहू की विदाई-भाग 11

4 जून 2023
27
22
2

उनको देखते ही सबकी आँखें उनकी तरफ देखने लगी थीं जिनमें प्रश्न तैर रहा था जिसका उत्तर वे पाने को लालाइत थे, उनके मन की धरती में प्रश्न का अंकुर था और वे उसके उत्तर की वृष्टि हेतु उनके मुखाकाश में

12

बहू की विदाई-भाग 12

4 जून 2023
27
22
1

--"वो क्या अपने पति के अंतिम दर्शन करने भी न आएगी !! तू अपनी मनमानी कर रहा है !! उसे यहाँ लेकर आ !!लोकलाज का तो ध्यान दे !! "पुत्र वागीष का अंतिम संस्कार संपन्न करने बाद वे सुजान बाबू के स

13

बहू की विदाई-भाग 13

4 जून 2023
26
23
1

उसे ज्ञात होता है कि ठहराव में जड़ता है और गति में आनंद है !!किसी के गमन से किसी का जीवन न रुकता ,,वो तो यथावत गतिमान रहता है जब तक स्वयं परमब्रह्म उसकी गति को रोकना न चाहें ।अच्छा ,कोई वाहन होता है ज

14

बहू की विदाई-भाग 14

4 जून 2023
26
23
0

आपने मेरी बात न मानी पर मैं अपनी पुत्री के साथ ये सब कदापि न होने दूँगा,,,,न वो केशविहीन होगी और न ही श्वेत वस्त्र धारण करेगी,,वो यहाँ ऐसे ही रहेगी जैसे एक बेटी अपने पिता के गृह में रहती है " माँ से क

15

बहू की विदाई -भाग 15

4 जून 2023
27
23
5

रात्रि में उन्होने अपना बिस्तर पुत्री वत्सला के कक्ष के बाहर लगवाया था और पुत्री वत्सला से कहा था -"बेटी ,तू निश्चिंत होकर निंद्रागत हो ,तेरे लिए नवगृह है ,नव वातावरण है तो तुझे किसी भी प्रकार का भय न

16

बहू की विदाई-भाग 16

7 जून 2023
26
23
1

ये सब देखकर उन्होने एक निर्णय लिया था और फिर वो संगीतशाला जाते,आते लोगों से मिलने बैठने व वार्तालाप करने लगे थे ।जिससे भी वे अपने लिए गए निर्णय के संबंध में बात करते वो उन्हें हैरान होकर द

17

बहू की विदाई-भाग 17

7 जून 2023
26
21
1

आपने जो किया वो बहुत प्रशंसनीय कार्य है पर ये रुढिवादी और दकियानूसी समाज कोई भी परिवर्तन स्वीकार करना ही न चाहता है ।" श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी की सहधर्मिणी ने कहा था और वे बोले थे--"ये

18

बहू की विदाई-भाग 18

7 जून 2023
26
23
0

शाम को वे माँ के कक्ष में गए थे और माँ के समीप बैठकर बोले थे -"माँ ,आपको कुछ बताना चाहता हूँ ।"अपने कपडे़ तह करती हुई माँ बोली थीं -"यही बताना चाहता है न कि वहाँ रुड़की में सब कैसा क्या रहा !! मुझे जा

19

बहू की विदाई-भाग 19

7 जून 2023
27
23
0

उन्होने चपला को पत्र लिखकर बुला लिया था और चपला ,पुत्री वत्सला के लिए वस्त्र व आभूषण इत्यादि की खरीददारी करने लगी थी ।आसपास के लोगों में सुगबुगाहट होने लगी थी कि कोई तो बात है ।तभी एक दिवस प्रमो

20

बहू की विदाई-भाग 20 अंतिम भाग

7 जून 2023
26
23
3

"क्यों !क्यों परिवर्तन न होगा !! क्यों सदा स्त्री ही आप लोगों की संकुचित सोच और रुढिवादिता के तले पिसती रहेगी !! " चपला कह ही रही थी कि पीछे से शन्नों मौसी ने उसका हाथ खींचकर कहा था -"तू क्यों नेता बन

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए