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बहू की विदाई-भाग 2

31 मई 2023

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"ऐसा न कहो माँ !!" कहते हुए सरस्वती चरण दास अंदर कमरे में आए और माँ के समीप बैठकर माँ के हाथ को अपने हाथों में लेते हुए बोले -" तुमने रात से भोजन न गृहण किया माँ !! चलिए चलकर साथ में भोजन करते हैं।"
"मुझे भूख नहीं ! तू जा यहां से मुझे अकेला छोड़ दे" कमला देवी ने  उनके हाथ से अपना हटाकर कहते हुए मुँह फेर लिया जिससे स्पष्ट  था कि वो अपने बेटे सरस्वती चरण दास से रुष्ट हैं।
सरस्वती चरण दास समझ गए कि  शन्नो मौसी के उलाहना का असर अभी तक माँ पर है ।

उनके नयनों के समक्ष विगत दिवस बेटी की विदाई के कुछ क्षणों पूर्व शन्नों मौसी का माँ को दिया उलाहना स्मरण हो आया --
जिज्जी ,आखिर तुम्हारे बेटे ने अपने मन की कर ली ,तुम्हारी तो एक न चली !!
वे माँ को मनाने का प्रयास करते हुए बोले -"माँ रुष्ट हो अपने सरस्वती चरण दास से !!"
सरस्वती चरण दास का इतना बोलना शाँत समुद्र में कंकड़ मारने जैसा हो गया और कमला देवी के गुबार का उछाल बाहर आने को आतुर हो उठा ।वे उठीं और कमरे में इधर से उधर टहलते हुए फट पडी़ं --" अपने सरस्वती चरण दास!
अपने !!
अरे तू मेरा हुआ ही कहाँ ??? तू मेरा होता तो सरस्वती चरण दास के बजाय शिव चरण दास होता ! पर मेरी चलती ही कहां है ??
तेरे पिता स्वर्ग सिधार गए ,न उनके समक्ष मेरी कभी चली और न तेरे समक्ष !
तूने तो सदा की भाँति अपने मन की कर ली ना !!
कितनी मिन्नतों के बाद भोलेनाथ ने तुझे मेरी गोद में डाला था ! फूली न समाई थी तुझे पाकर, तुझे भोलेनाथ का प्रसाद समझकर।
कितने अरमानों से तेरा नामकरण किया था --शिवचरण दास ,,,,,,, मगर नहीं

कमला देवी जैसे इतने बरसों का सारा गुबार निकाल कर ही दम लेना चाहती थीं,,,,अपने गुबार को बाहर निकालने में उन्होनें श्वास को भी भीतर आने पर जैसे पाबंदी लगा दी थी और वो पूरे वेग में बोलती जा रही थीं --"तुझे तो सरस्वती चरण दास बनना था ना !! अपनी मनमानी करनी थी ना !! जिसमें तेरा साथ दिया तेरे पिता ने ,,,,,, तेरा बचपन जी ही कहाँ पाई मैं !!!!
तुझे तो संगीत के महान गुरू सरस्वर सारस्वत जी को अर्पित कर दिया गया था संगीत की शिक्षा गृहण करने हेतु !!

तू विद्यालय से छूटते ही उनके यहाँ पहुँचा दिया जाता ,वहाँ से आता तो विद्यालय का गृहकार्य करने के उपरांत घर के महाकक्ष में संगीत की साधना में रत हो जाता -सा,,,,रे,,,,,गा,,,,मा,,,पा,,,धा,,,,नी,,,,,साआआआआआकरने!"
"माँ बस भी करो !!भोजन की बेला हो गई है,मैं प्रमोद को पुकार कर हम दोनों का भोजन यहीं मँगा लेता हूँ ,चलो साथ में भोजन करते हैं "सरस्वती चरण दास ने माँ को मध्य में ही रोककर  हाथ जोड़कर अनुनय की ।

"तुझे भूख लगी है ,तू खा ले ,मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे"कहते हुए कमला देवी भोलेनाथ के श्री चरणों में बैठकर जाप करने हेतु अपना माला उठाईं।
"माँ देखो तुम  न खाने का हठ करोगी तो मैं विवश होकर तुम्हें अपनी शपथ दे दूँगा,,,,एक तो वैसे ही विगत दिवस बेटी की विदाई के बाद से घर नीरस और वीरान प्रतीत हो रहा है ,,,,विगत सारी  रात्रि करवटें बदलते ही व्यतीत हुई और ऊपर से तुम कुपित हो ।"

सरस्वती चरण दास का इतना कहना शाँत होने का प्रयास करते कमला देवी के ह्रदय समुद्र में पुनः उछाल ले आया और वो माला एक तरफ रखकर सरस्वती चरण दास की तरफ निगाह गडा़कर तीखे स्वर में विस्मय से बोलीं-बेटी !बेटी !!"

"बाबू साहब, भोजन परोसकर यहीं ले आऊँ क्या ??"प्रमोद ने आकर धीमे स्वर में पूछा और सरस्वती चरण दास ने संकेत में हामी भर दी ।
कुछ क्षण कक्ष में मौन पसर गया ,तत्पश्चात प्रमोद भोजन के दो थाल लेकर आया और कक्ष में पलंग के समीप रखी मेज पर रखकर कोने में रखी कुर्सियों को मेज के समीप लगा दिया और चला गया।
कमला देवी  भोजन के बडे़ बडे़ निवाले जबरन कण्ठ में उतारने लगीं और सरस्वती चरण दास भी माँ के संग ही दो,चार निवाले ही कण्ठ से नीचे उतार पाए थे कि कमला देवी ने  खडे़ होकर सिर झुकाए कक्ष के दरवाजे की तरफ उँगली उठा दी जिसका तात्पर्य ये था कि ले,गृहण कर लिया भोजन ,अब तू यहाँ से प्रस्थान कर ।
माँ के संकेत पर श्वेत कुर्ते और श्वेत पैजामे पर काली सदरी और सिर पर काली टोपी लगाए सरस्वती चरण दास अपने हाथों में अपने साथ सदा रहने वाली छडी़ उठाए भारी मन से अपने कक्ष की ओर चल दिए।
अपने कक्ष में आकर सदरी निकाल कर खूंटी पर टांग दी और छडी़ को एक कोने में टिकाकर अपनी कुर्सी पर फिर नयन मूँदकर बैठ गए और उनका मन पुनः अतीत के गलियारों में पहुँच गया --
गुरु सरस्वर सारस्वत महाराज का निधन उन्हें भीतर तक तोड़ गया था। 

उनके दुखित मन को  न भूख का आभास होता और न ही प्यास का ।उनके नयनों के समक्ष अपने गुरू महाराज सस्वर सारस्वत जी की छवि तैरती रहती -- अच्छे खासे स्वास्थ्य के धनी ,बडी़ बडी़ आँखों और घनी मूछों वाले गुरू महाराज , शीश पर सदा टोपी लगाने वाले गौरांग गुरू महाराज,श्वेत कुर्ते व श्वेत धोती धारण करने वाले गुरू महाराज, पाँवों में सदा साधारण सी पादुकाएं धारण करने वाले गुरु महाराज,संगीत में विलक्षण प्रतिभा के धनी गुरू महाराज जब राग भैरवी गाते तो मन जैसे उसमें रमकर कहीं विलुप्त ही हो जाता था ।

वे गृह के महाकक्ष में ,जिसमें वे संगीत की साधना करते थे,जहां उनके संगीत के वाद्य यंत्र-तबला,हारमोनियम,सितार इत्यादि रखे हुए थे उसकी तरफ वे दृष्टि भी न डाल पाते और अपने कक्ष में बैठकर बस विलाप करते रहते थे।
उस संध्या भी वो अपने कक्ष में भूमि पर बैठे हुए नयन मूँदें विलाप ही कर रहे थे कि किसी के हाथ का स्पर्श उन्होनें अपने शीश पर महसूस किया ।उन्होनें नयन खोलकर देखा तो सामने बाबू खडे़ थे ।
बाबू को देखकर वो अपने अश्रु परिपूरित नयन छुपाने का असफल प्रयास करने लगे ।लम्बे कद के साधारण काया के उनके बाबू -मुंशी जी उनके समीप बैठकर बोले -- .........शेष अगले भाग में ।

प्रभा मिश्रा'नूतन'


sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

सुंदर प्रस्तुति 👌👌

8 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

9 अगस्त 2023

धन्यवाद बहन ,हर भाग पर अपना लाइक 👍 और व्यू दे दें 😊🙏

BBL

BBL

शानदार भाग

16 जून 2023

Pragya pandey

Pragya pandey

👍👍

15 जून 2023

Berlin

Berlin

बहुत सुंदर

5 जून 2023

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रचनाएँ
बहू की विदाई
5.0
मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ-'बहू की विदाई' ।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक रुढि़वादी ,दकियानूसी ,व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई' । मेरी इस कहानी का मुख्य पात्र सरस्वती चरण दास अपने इकलौते पुत्र के निधन के पश्चात अपनी बहू का विवाह करता है वो भी अपनी माँ की नाराजगी झेलकर।वो खुली सोच रखता है । कैसे वो अपनी विधवा पुत्रवधू के साथ खडा़ होता है और उसका विवाह करता है ये पढे़ं मेरी कहानी 'बहू की विदाई ' में ।
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बहू की विदाई-भाग 1

31 मई 2023
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भगवान भास्कर आसमान में और ऊपर चढ़ आए थे और मुदित होकर सरस्वती चरण दास के कमरे की खिड़की से अपनी रश्मियों द्वारा आकर मानों उनके शीश पर अपना वरद हस्त रखकर उन्हें कह रहे हों !!बेटी की विदाई हो गई !! तुमन

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बहू की विदाई-भाग 2

31 मई 2023
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"ऐसा न कहो माँ !!" कहते हुए सरस्वती चरण दास अंदर कमरे में आए और माँ के समीप बैठकर माँ के हाथ को अपने हाथों में लेते हुए बोले -" तुमने रात से भोजन न गृहण किया माँ !! चलिए चलकर साथ में भोजन करते हैं।"

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बहू की विदाई-भाग 3

31 मई 2023
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सरस्वती !!! ये क्या !! तू गुरु महाराज के विछोह जनिक शोक से उबर ही न रहा !! संगीत जो तेरे रक्त की हर बूंद में मिलकर तेरी हर श्वास में तेरे हर स्पंदन में रचा बसा है तू उसी से मुख मोड़कर शोक सागर में डूब

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बहू की विदाई-भाग 4

31 मई 2023
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।प्रांगण में दरे बिछवाकर ढो़लक रखी गई थी जिसे एक स्त्री ने बजाना और अन्य स्त्रियों में देवी भगौती के भजन गाना प्रारंभ कर दिया था ।शन्नों मौसी ,माँ के साथ सभी के लिए चाय व नाश्ते का प्रबंध करने में लगी

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बहू की विदाई-भाग 5

31 मई 2023
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-"सरस्वती ,तू इस समय यहाँ बाहर !!तुझे तो ,,,,, मन में कोई शंका उपज रही है क्या ???""हाँ मौसी ,आपसे एक प्रश्न का उत्तर चाहिए था ,आप दे सकेंगी ?"उन्होने प्रश्न किया था ।"हाँ क्यों नहीं !!पूछ !!" क

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बहू की विदाई-भाग 6

1 जून 2023
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--"माँ सामान रखना छोड़ तुम यहाँ आ गईं !!और कुछ हुआ है क्या !! सरस्वती को तो इस समय भाभी के समीप होना चाहिए था !!""नहीं कुछ नहीं ,तू चल मैं आ रही हूँ " चपला से कहते हुए शन्नो मौसी मुझ

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बहू की विदाई -भाग 7

1 जून 2023
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"वही तो मैं कह रहा हूँ !! आखिर ये नियम किसने और क्यों निर्मित किए !! पति के देवलोक गमन के पश्चात स्त्री के जीवन का रथ संसार मार्ग पर रुक जाता है क्या !!!नहीं ना !! वो तो अनवरत तब तक गतिमान रहता ह

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बहू की विदाई -भाग 8

1 जून 2023
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उस समय विवाह से पूर्व कन्या देखने का चलन न था ।कुण्डली मिलान हो गया था और साढे़ चौंतिस गुण मिल रहे थे और क्या चाहिए था !!सुजान बाबू प्रस्थान कर गए थे मगर उनके मन में बार बार विचार आ रहा था कि सुजान बा

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बहू की विदाई -भाग 9

1 जून 2023
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कुछ घण्टों पश्चात उनके गृह के दरवाजे को किसी ने बहुत तेज खटखटाना प्रारंभ कर दिया था ।उन्होनें चपला से कहा था कि देखो तो जरा बारात आ गई क्या !!और चपला ने दौड़ कर गृह का मुख्य द्वार खोला तो सामने

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बहू की विदाई -भाग 10

1 जून 2023
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वे गाडी़ का दरवाजा खोलकर अपनी पुत्रवधू वत्सला के समीप बैठकर उसके शीश पर हाथ फेरकर बोले थे -" चलो गृह चलते हैं मेरी बच्ची !!"चपला भी गाडी़ का दरवाजा खोलकर वत्सला के दूसरी तरफ उसके समीप बैठ गई थी ।किसके

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बहू की विदाई-भाग 11

4 जून 2023
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उनको देखते ही सबकी आँखें उनकी तरफ देखने लगी थीं जिनमें प्रश्न तैर रहा था जिसका उत्तर वे पाने को लालाइत थे, उनके मन की धरती में प्रश्न का अंकुर था और वे उसके उत्तर की वृष्टि हेतु उनके मुखाकाश में

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बहू की विदाई-भाग 12

4 जून 2023
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--"वो क्या अपने पति के अंतिम दर्शन करने भी न आएगी !! तू अपनी मनमानी कर रहा है !! उसे यहाँ लेकर आ !!लोकलाज का तो ध्यान दे !! "पुत्र वागीष का अंतिम संस्कार संपन्न करने बाद वे सुजान बाबू के स

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बहू की विदाई-भाग 13

4 जून 2023
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उसे ज्ञात होता है कि ठहराव में जड़ता है और गति में आनंद है !!किसी के गमन से किसी का जीवन न रुकता ,,वो तो यथावत गतिमान रहता है जब तक स्वयं परमब्रह्म उसकी गति को रोकना न चाहें ।अच्छा ,कोई वाहन होता है ज

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बहू की विदाई-भाग 14

4 जून 2023
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आपने मेरी बात न मानी पर मैं अपनी पुत्री के साथ ये सब कदापि न होने दूँगा,,,,न वो केशविहीन होगी और न ही श्वेत वस्त्र धारण करेगी,,वो यहाँ ऐसे ही रहेगी जैसे एक बेटी अपने पिता के गृह में रहती है " माँ से क

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बहू की विदाई -भाग 15

4 जून 2023
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रात्रि में उन्होने अपना बिस्तर पुत्री वत्सला के कक्ष के बाहर लगवाया था और पुत्री वत्सला से कहा था -"बेटी ,तू निश्चिंत होकर निंद्रागत हो ,तेरे लिए नवगृह है ,नव वातावरण है तो तुझे किसी भी प्रकार का भय न

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बहू की विदाई-भाग 16

7 जून 2023
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ये सब देखकर उन्होने एक निर्णय लिया था और फिर वो संगीतशाला जाते,आते लोगों से मिलने बैठने व वार्तालाप करने लगे थे ।जिससे भी वे अपने लिए गए निर्णय के संबंध में बात करते वो उन्हें हैरान होकर द

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बहू की विदाई-भाग 17

7 जून 2023
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आपने जो किया वो बहुत प्रशंसनीय कार्य है पर ये रुढिवादी और दकियानूसी समाज कोई भी परिवर्तन स्वीकार करना ही न चाहता है ।" श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी की सहधर्मिणी ने कहा था और वे बोले थे--"ये

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बहू की विदाई-भाग 18

7 जून 2023
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शाम को वे माँ के कक्ष में गए थे और माँ के समीप बैठकर बोले थे -"माँ ,आपको कुछ बताना चाहता हूँ ।"अपने कपडे़ तह करती हुई माँ बोली थीं -"यही बताना चाहता है न कि वहाँ रुड़की में सब कैसा क्या रहा !! मुझे जा

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बहू की विदाई-भाग 19

7 जून 2023
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उन्होने चपला को पत्र लिखकर बुला लिया था और चपला ,पुत्री वत्सला के लिए वस्त्र व आभूषण इत्यादि की खरीददारी करने लगी थी ।आसपास के लोगों में सुगबुगाहट होने लगी थी कि कोई तो बात है ।तभी एक दिवस प्रमो

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बहू की विदाई-भाग 20 अंतिम भाग

7 जून 2023
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"क्यों !क्यों परिवर्तन न होगा !! क्यों सदा स्त्री ही आप लोगों की संकुचित सोच और रुढिवादिता के तले पिसती रहेगी !! " चपला कह ही रही थी कि पीछे से शन्नों मौसी ने उसका हाथ खींचकर कहा था -"तू क्यों नेता बन

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