shabd-logo

बहू की विदाई-भाग 4

31 मई 2023

56 बार देखा गया 56
।प्रांगण में दरे बिछवाकर ढो़लक रखी गई थी जिसे एक स्त्री ने बजाना और अन्य स्त्रियों में देवी भगौती के भजन गाना प्रारंभ कर दिया था ।
शन्नों मौसी ,माँ के साथ सभी के लिए चाय व नाश्ते का प्रबंध करने में लगी हुई थीं ।
शन्नों मौसी ,छोटे कद की गौर वर्ण की ,सीधे पल्ले की साडी़ पहने हुए ,कमर तक लहराती चोटी ,कमर में घर की चाभियों का गुच्छा लगाए ,मुँह में पान दबाए ,हँसते हुए आवभगत में लगी थीं ।

शनैः शनैः कर संध्या बेला भी विवाह के आयोजनों का आनंद उठाकर प्रस्थान कर गई थी और रात्रि का आगमन हो गया था ।सबके भोजन करने के पश्चात शन्नों मौसी की बेटी चपला ,वल्लिका को लेकर उनके कक्ष में ,हँसती हुई छोड़ गई थी ।वल्लिका सहमी,सकुचाई, लजाई हुई उनके कक्ष के दरवाजे के समीप ही सिर झुकाए खडी़ हो गई थी और लाज के कारण अपने एक पैर के अँगूठे को दूसरे पैर के अँगूठे पर फेर रही थी ।
वो अपने बिस्तर पर बैठे हुए बोले थे -"वहाँ क्यों खडी़ हो ?आओ ,यहाँ आओ ।"
उसने आने को कदम बढा़ए ही थे कि कक्ष के दरवाजे पर किसी ने खटखटाहट की थी ।
"भाभी को मौसी जी ने बुलाया है " स्वर सुनकर वो समझ गए थे कि माँ के आदेश पर  चपला अपनी भाभी को लिवाने आई है  ।उन्होंने दरवाजा खोल दिया था और चपला वल्लिका को लेकर प्रस्थान कर गई थी और वो चिंतन करने लगे थे कि माँ ने इस समय वल्लिका को क्यों बुला भेजा !!
कुछ क्षणों पश्चात चपला वल्लिका को पुनः उनके कक्ष में छोड़ गई थी और वल्लिका सकुचाते हुए उनके समीप बैठ गई थी ।
"देखो, तुम्हारे साथ अपना वैवाहिक जीवन प्रारंभ करने से पूर्व तुम्हें कुछ बताना चाहता हूँ "वे बोले थे ।

"यही कि संगीत का स्थान आपके जीवन में सर्वोपरि है।"वल्लिका ने शीश झुकाए हुए ही कहा था ।

"तुम्हें किसने बताया !!मां ने !!"उन्होने एक प्रश्न वल्लिका की तरफ उछालते हुए उसका सँभावित उत्तर भी बताया था और उनका वो उत्तर सही ही था जिसका प्रमाण वल्लिका का शीश हिलाकर हामी भरना था ।

वल्लिका का ऐसा कहना  उन्हें बहुत कुछ बता गया था ,वे समझ गए थे कि माँ ने वल्लिका को क्यों बुलाया था ।
"ओह !!समझ गया"उन्होने कहा था ,फिर आगे अपनी बात रखी थी --"देखो वल्लिका अब जब तुम्हें ज्ञात ही हो गया है कि संगीत मेरा प्रथम प्रेम है ,तो मेरे प्रेम से प्रेम कर सकोगी !!! ऐसे नयन झुकाकर नहीं अपितु मेरे नयनों में नयन डालकर उत्तर दो वल्लिका !!
वल्लिका ने इस बार नयन उठाकर उनके नयनों की तरफ देखते हुए कहा था --"  मैं आपकी जीवन संगिनी हूँ ,आपके साथ जीवन पथ पर चलने हेतु ही अपना गृह ,परिवार,सारे रिश्ते-नाते छोड़कर आई हूँ , तो मैं आपकी हर रुचि में ,हर कार्य में,हर सुख-दुख में सदा आपके साथ खडी़ रहूँगी ।
उन्हें बहुत सुकून मिला था वल्लिका का उत्तर सुनकर पर वो जानते थे कि माँ के ह्रदय को एक बार पुनः आघात लगेगा और वही तो हुआ था !!
भोर की प्रथम किरण फूटने के साथ ही वल्लिका उठकर स्नान-ध्यान में लग गई थी और वे स्नान ध्यान के पश्चात जलपान करके गुरु महाराज के गृह जाने हेतु तैयार होने लगे थे ।
श्वेत कुर्ता-पैजामा ,उसके ऊपर काली सदरी धारण कर सिर पर टोपी लगाकर अपनी छडी़ लेकर वे गृह से गमन करने ही वाले थे कि शन्नो मौसी के साथ जलपान करती  माँ वल्लिका से पूछ बैठी थीं -"ये सरस्वती कहाँ जा रहा है ??" 
वल्लिका ने शीश झुकाकर कहा था -"माँ वो  शिष्यों व शिष्याओं को संगीत की शिक्षा देने हेतु गुरु महाराज के गृह संगीतशाला जा रहे हैं  ।"और माँ ने शन्नों मौसी की तरफ देखते हुए सिर पकड़ लिया था ।
स्पष्ट था कि रात्रि को वल्लिका को आदेश हुआ था कि तुम सरस्वती की जीवन संगिनी हो तो उसे अपने प्रेम में बांधों ताकि उसका मन संगीत से हटे ,मगर वल्लिका ने उनके दिए वचन के लिए माँ के आदेश की अवहेलना कर दी थी।
शन्नों मौसी मंद मंद मुस्कुरा रही थीं जिसका तात्पर्य था कि  जिज्जी  एक ही रात्रि में बहू भी आपके बेटे के रंग में आपादमस्तक रंग गई है ,, अब कुछ न हो सकता !!
वे अपनी छडी़ उठाए गृह से प्रस्थान कर गए थे ।

दोपहर की बेला में भोजनोपरांत विश्राम के समय वल्लिका ने  उनके समीप बैठते हुए प्रश्न किया था --"एक बात पूछूँ, माँ आपके संगीत के प्रति रुचि से इतना अप्रसन्न क्यों रहती हैं ??उन्हें संगीत से इतनी अरुचि क्यों है !! 
वे वल्लिका का प्रश्न सुनकर अवाक रह गए थे ,उन्होंने कभी इस पर विचार भी न किया था कि माँ की संगीत के प्रति अरुचि का कोई कारण भी हो सकता है !! 

वे वल्लिका से बोले थे --" कभी जानने की जिज्ञासा ही न हुई तो माँ से कभी पूछा ही नहीं "और उठकर कक्ष के झरोखे के पास खडे़ हो गए और रात्रि को निहारने लगे - कितनी गहन अँधियारी रात्रि है !! अपने भीतर जैसे कुछ अनकहा समेटे हुए ! इसके संग प्रियतम चाँद व नक्षरों रूपी असंख्य पुत्र हैं फिर भी कुछ न कुछ है जो अनकहा है !कुछ है जो अपने ह्रदय में समेटे रहने की वजह से वो स्याह हो गई है !
उन्हें आभास हो रहा था जैसे उनकी माँ उस रात्रि में प्रतिबिंबित हो रही थीं ।
माँ भी क्या कुछ अनकहा अपने भीतर समेटे हैं जिसकी कसक उनके पसरे मौन में है !!
क्या करूँ !!किससे पूछूँ !!

कहते हैं कि वास्तविक जीवन संगिनी वो होती है जो प्रियतम के मन की बात उसके कहे बिना ही सुन ,समझ लेती है ।वल्लिका वैसी ही तो जीवन संगिनी थी ,वो पीछे से आकर उनके कंधे पर हाथ रखकर बोली थी --शन्नों मौसी, शन्नों मौसी से पूछिए ,दो बहनें आपस में सबसे अच्छी मित्र भी होती हैं ,मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि शन्नों मौसी को सब ज्ञात होगा ।
वे वल्लिका की तरफ देखते हुए मुस्कुराकर कक्ष से बाहर प्रस्थान कर गए थे ।

शन्नों मौसी चपला के साथ  अपना सामान बाँध रही थीं ,उन्हें भोर में अपने गृह प्रस्थान करना जो करना था ।
शन्नों मौसी ने उन्हें अपने कक्ष से बाहर गमन करते देखकर उनके समीप आई थीं और पूछ बैठी थीं ...

शेष अगले भाग में ।

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

 Dr.Jyoti Maheshwari

Dr.Jyoti Maheshwari

बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण किया है।🙏🙏

20 जून 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

20 जून 2023

धन्यवाद बहन 😊🙏

BBL

BBL

बहुत सुंदर

16 जून 2023

20
रचनाएँ
बहू की विदाई
5.0
मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ-'बहू की विदाई' ।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक रुढि़वादी ,दकियानूसी ,व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई' । मेरी इस कहानी का मुख्य पात्र सरस्वती चरण दास अपने इकलौते पुत्र के निधन के पश्चात अपनी बहू का विवाह करता है वो भी अपनी माँ की नाराजगी झेलकर।वो खुली सोच रखता है । कैसे वो अपनी विधवा पुत्रवधू के साथ खडा़ होता है और उसका विवाह करता है ये पढे़ं मेरी कहानी 'बहू की विदाई ' में ।
1

बहू की विदाई-भाग 1

31 मई 2023
69
31
18

भगवान भास्कर आसमान में और ऊपर चढ़ आए थे और मुदित होकर सरस्वती चरण दास के कमरे की खिड़की से अपनी रश्मियों द्वारा आकर मानों उनके शीश पर अपना वरद हस्त रखकर उन्हें कह रहे हों !!बेटी की विदाई हो गई !! तुमन

2

बहू की विदाई-भाग 2

31 मई 2023
40
27
5

"ऐसा न कहो माँ !!" कहते हुए सरस्वती चरण दास अंदर कमरे में आए और माँ के समीप बैठकर माँ के हाथ को अपने हाथों में लेते हुए बोले -" तुमने रात से भोजन न गृहण किया माँ !! चलिए चलकर साथ में भोजन करते हैं।"

3

बहू की विदाई-भाग 3

31 मई 2023
34
27
2

सरस्वती !!! ये क्या !! तू गुरु महाराज के विछोह जनिक शोक से उबर ही न रहा !! संगीत जो तेरे रक्त की हर बूंद में मिलकर तेरी हर श्वास में तेरे हर स्पंदन में रचा बसा है तू उसी से मुख मोड़कर शोक सागर में डूब

4

बहू की विदाई-भाग 4

31 मई 2023
34
25
3

।प्रांगण में दरे बिछवाकर ढो़लक रखी गई थी जिसे एक स्त्री ने बजाना और अन्य स्त्रियों में देवी भगौती के भजन गाना प्रारंभ कर दिया था ।शन्नों मौसी ,माँ के साथ सभी के लिए चाय व नाश्ते का प्रबंध करने में लगी

5

बहू की विदाई-भाग 5

31 मई 2023
32
24
2

-"सरस्वती ,तू इस समय यहाँ बाहर !!तुझे तो ,,,,, मन में कोई शंका उपज रही है क्या ???""हाँ मौसी ,आपसे एक प्रश्न का उत्तर चाहिए था ,आप दे सकेंगी ?"उन्होने प्रश्न किया था ।"हाँ क्यों नहीं !!पूछ !!" क

6

बहू की विदाई-भाग 6

1 जून 2023
31
22
3

--"माँ सामान रखना छोड़ तुम यहाँ आ गईं !!और कुछ हुआ है क्या !! सरस्वती को तो इस समय भाभी के समीप होना चाहिए था !!""नहीं कुछ नहीं ,तू चल मैं आ रही हूँ " चपला से कहते हुए शन्नो मौसी मुझ

7

बहू की विदाई -भाग 7

1 जून 2023
30
23
1

"वही तो मैं कह रहा हूँ !! आखिर ये नियम किसने और क्यों निर्मित किए !! पति के देवलोक गमन के पश्चात स्त्री के जीवन का रथ संसार मार्ग पर रुक जाता है क्या !!!नहीं ना !! वो तो अनवरत तब तक गतिमान रहता ह

8

बहू की विदाई -भाग 8

1 जून 2023
30
24
1

उस समय विवाह से पूर्व कन्या देखने का चलन न था ।कुण्डली मिलान हो गया था और साढे़ चौंतिस गुण मिल रहे थे और क्या चाहिए था !!सुजान बाबू प्रस्थान कर गए थे मगर उनके मन में बार बार विचार आ रहा था कि सुजान बा

9

बहू की विदाई -भाग 9

1 जून 2023
31
24
1

कुछ घण्टों पश्चात उनके गृह के दरवाजे को किसी ने बहुत तेज खटखटाना प्रारंभ कर दिया था ।उन्होनें चपला से कहा था कि देखो तो जरा बारात आ गई क्या !!और चपला ने दौड़ कर गृह का मुख्य द्वार खोला तो सामने

10

बहू की विदाई -भाग 10

1 जून 2023
30
23
2

वे गाडी़ का दरवाजा खोलकर अपनी पुत्रवधू वत्सला के समीप बैठकर उसके शीश पर हाथ फेरकर बोले थे -" चलो गृह चलते हैं मेरी बच्ची !!"चपला भी गाडी़ का दरवाजा खोलकर वत्सला के दूसरी तरफ उसके समीप बैठ गई थी ।किसके

11

बहू की विदाई-भाग 11

4 जून 2023
29
22
2

उनको देखते ही सबकी आँखें उनकी तरफ देखने लगी थीं जिनमें प्रश्न तैर रहा था जिसका उत्तर वे पाने को लालाइत थे, उनके मन की धरती में प्रश्न का अंकुर था और वे उसके उत्तर की वृष्टि हेतु उनके मुखाकाश में

12

बहू की विदाई-भाग 12

4 जून 2023
29
22
1

--"वो क्या अपने पति के अंतिम दर्शन करने भी न आएगी !! तू अपनी मनमानी कर रहा है !! उसे यहाँ लेकर आ !!लोकलाज का तो ध्यान दे !! "पुत्र वागीष का अंतिम संस्कार संपन्न करने बाद वे सुजान बाबू के स

13

बहू की विदाई-भाग 13

4 जून 2023
28
23
1

उसे ज्ञात होता है कि ठहराव में जड़ता है और गति में आनंद है !!किसी के गमन से किसी का जीवन न रुकता ,,वो तो यथावत गतिमान रहता है जब तक स्वयं परमब्रह्म उसकी गति को रोकना न चाहें ।अच्छा ,कोई वाहन होता है ज

14

बहू की विदाई-भाग 14

4 जून 2023
28
23
0

आपने मेरी बात न मानी पर मैं अपनी पुत्री के साथ ये सब कदापि न होने दूँगा,,,,न वो केशविहीन होगी और न ही श्वेत वस्त्र धारण करेगी,,वो यहाँ ऐसे ही रहेगी जैसे एक बेटी अपने पिता के गृह में रहती है " माँ से क

15

बहू की विदाई -भाग 15

4 जून 2023
28
23
5

रात्रि में उन्होने अपना बिस्तर पुत्री वत्सला के कक्ष के बाहर लगवाया था और पुत्री वत्सला से कहा था -"बेटी ,तू निश्चिंत होकर निंद्रागत हो ,तेरे लिए नवगृह है ,नव वातावरण है तो तुझे किसी भी प्रकार का भय न

16

बहू की विदाई-भाग 16

7 जून 2023
27
23
1

ये सब देखकर उन्होने एक निर्णय लिया था और फिर वो संगीतशाला जाते,आते लोगों से मिलने बैठने व वार्तालाप करने लगे थे ।जिससे भी वे अपने लिए गए निर्णय के संबंध में बात करते वो उन्हें हैरान होकर द

17

बहू की विदाई-भाग 17

7 जून 2023
27
21
1

आपने जो किया वो बहुत प्रशंसनीय कार्य है पर ये रुढिवादी और दकियानूसी समाज कोई भी परिवर्तन स्वीकार करना ही न चाहता है ।" श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी की सहधर्मिणी ने कहा था और वे बोले थे--"ये

18

बहू की विदाई-भाग 18

7 जून 2023
27
23
0

शाम को वे माँ के कक्ष में गए थे और माँ के समीप बैठकर बोले थे -"माँ ,आपको कुछ बताना चाहता हूँ ।"अपने कपडे़ तह करती हुई माँ बोली थीं -"यही बताना चाहता है न कि वहाँ रुड़की में सब कैसा क्या रहा !! मुझे जा

19

बहू की विदाई-भाग 19

7 जून 2023
28
23
0

उन्होने चपला को पत्र लिखकर बुला लिया था और चपला ,पुत्री वत्सला के लिए वस्त्र व आभूषण इत्यादि की खरीददारी करने लगी थी ।आसपास के लोगों में सुगबुगाहट होने लगी थी कि कोई तो बात है ।तभी एक दिवस प्रमो

20

बहू की विदाई-भाग 20 अंतिम भाग

7 जून 2023
27
23
3

"क्यों !क्यों परिवर्तन न होगा !! क्यों सदा स्त्री ही आप लोगों की संकुचित सोच और रुढिवादिता के तले पिसती रहेगी !! " चपला कह ही रही थी कि पीछे से शन्नों मौसी ने उसका हाथ खींचकर कहा था -"तू क्यों नेता बन

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए