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बहू की विदाई-भाग 20 अंतिम भाग

7 जून 2023

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"क्यों !क्यों परिवर्तन न होगा !! क्यों सदा स्त्री ही आप लोगों की संकुचित सोच और रुढिवादिता के तले पिसती रहेगी !! " चपला कह ही रही थी कि पीछे से शन्नों मौसी ने उसका हाथ खींचकर कहा था -"तू क्यों नेता बन रही है !! मौन रह ना !!" 

"क्यों मौन रहूँ माँ !! मैं मौन न रहूँगी !! सरस्वती जो कर रहा है वो शत प्रतिशत सही है ,,  और आप लोग ,,,, मुझे ये बताएं कि आप मेरे किसी के पुत्र की सहधर्मिणी देवलोक गमन कर जाती है तो आपका पुत्र दूसरा विवाह क्या न करता है !! 

"ऐ ऐऐऐ पुत्र की बात अलग होती है !!" उनमें से एक बोला था ।

"क्यों पुत्र की बात अलग क्यों होती है भला !! पुत्रवधू को  वो अधिकार क्यों न दिए जाते ,,, सिर्फ इस हेतु कि वो दूसरे के गृह से आई होती है !!वाह ,, अपनी पुत्री तो आपके लिए पुत्री होती है पर पराए गृह की बेटी !! वो भी तो किसी की पुत्री होती है और अपना गृह ,परिजन सबको छोड़कर आपके परिवार के प्रति समर्पित हो जाती है पर फिर भी आपकी सहानुभूति ,आपका स्नेह पाने से वंचित ही रहती है ,, ये कैसे नियम हैं !!"उन्होने कहा था ।

"मैं अपनी बात करती हूँ ,,, मेरी पुत्री का विवाह मैंने अगले वर्ष तय कर दिया है ,,ईश्वर न करे कि उसके पति के साथ कल को कुछ हो जाए तो क्या मेरी पुत्री सारी उम्र यूँ ही बिता देगी !! मैं उसे उसके हाल पर छोड़ दूँगी !! लोगों के द्वारा उसे बेचारी कहलाने हेतु ,,, उससे मिथ्या सहानुभूति जताकर उसकी पीडा़ पर नमक छिड़कने हेतु !!  मैं उसे केशविहीन कर उसके हिस्से की सारी खुशियां सारे रंग उससे विलग कर उसे श्वेत वस्त्र में लपेट दूँगी !! 
मैं तो कदापि ऐसा न करूँगी !!" चपला ने कहा था और उनमे से एक बुजुर्ग तीखे स्वर में उनसे बोले थे -"देख सरस्वती ,, तूने अपनी पुत्रवधू को केशविहीन करने से रोक लिया था ,उसे श्वेत वस्त्रों को धारण करने से रोक लिया था  उस समय हम सब ये सोचकर मौन रह गए थे कि तुमने अपना इकलौता पुत्र खोया था मगर ये पाप हम तुम्हें न करने देंगे " 
"हाँ ,नहीं करने देंगे । "बाकी सब अपनी लाठियाँ ठोंक कर बोले थे ।

" तू सूर्य पश्चिम से उगाना चाहता है !! अरे सूर्य देव भी अपने नियम में परिवर्तन न कर सदैव पूर्व दिशा में उदय होते हैं ,तू उनसे भी बडा़ बनना चाहता है जो हमारे सदियों से चली आ रही परम्पराओं में परिवर्तन का इच्छुक है !!" सामने खडे़ एक जन बोले थे ।
"अच्छा !! पर सूर्य देव को भी परिवर्तन स्वीकार कर पूर्व छोड़कर पश्चिम में गमन करना ही पड़ता है ,,,, क्योंकि उन्हें भी ज्ञात होता है कि ठहराव जड़ता का प्रतीक है,,गति में ही आनंद है ,,, जिस परिवर्तन का आज आप सब विरोध कर रहे हैं उसी का आगे चलकर समर्थन करेंगे ।" 

वे बोले थे और उनका असंख्य शिष्य व शिष्याओं का दल एक स्वर में नारे लगाने लगा था -" ये विवाह तो होकर रहेगा ,,होकर रहेगा ,,, स्त्री कब तक सहे अत्याचार!! इन रुढियों के कारण क्यों रहे वो लाचार!! बह कर रहेगी परिवर्तन की धार !! पुत्र व पुत्रवधू को मिलने ही चाहिए अब तो एक समान अधिकार !! 
पुरुषवादी सोच पर प्रहार ,, होकर रहेगा !!होकर रहेगा!! 

और इन असंख्य शिष्य व शिष्याओं के समूह के बुलंद नारों के कारण उन सभी जनों ने उस समय वहाँ से चले जाना ही श्रेयस्कर समझा था और वे सभी उन्हें आग्नेय नेत्रों से घूरते हुए गमन कर गए थे जिससे स्पष्ट था कि वे उनके साथ अपना दाना-पानी,उठना-बैठना बंद कर रहे हैं।
पर उन्हें अटूट विश्वास था कि ये सब एक दिवस उनके कृत्य व उनकी सोच कर खुले मन से स्वीकारेंगे।

विवाह के आयोजन प्रारंभ हो गए थे , माँ और शन्नो मौसी अनिच्छा से वहाँ पर अपनी उपस्थिति दे रही थीं ,ये वो समझ रहे थे पर उन्होने सोचा था कि विवाह हो जाए फिर माँ को समझाने का पुनः प्रयास करेंगे ।
विवाह के समस्त आयोजन विधिविधान से संपन्न हो गए थे और उस सबमें भोर हो गई थी और कलेवे के पश्चात बहू की विदाई हो रही थी और चपला मौसी ने व्यंग्यात्मक तरीके से माँ को उलाहना दिया था -"जिज्जी ,सरस्वती ने अपने मन की कर ली,आपकी एक न चली !!" 

चपला को अपने गृह कुछ आवश्यक कार्य था अतः वो भी विदाई के पश्चात अपने गृह गमन कर गई थी और शन्नो मौसी भी अपने गृह प्रस्थान कर गई थीं ।

माँ  कुपित होकर अपने कक्ष में चली गई थीं और वे अपने कक्ष में आ गए थे ।
रात्रि को वे माँ से भोजन करने के लिए कहने व उन्हें समझाने व मनाने उनके कक्ष में गए थे मगर उनके बहुत प्रयास करने पर भी  वे भोजन करने अपने कक्ष से न बाहर आने को तैयार हुई थीं और  न ही उनसे बात ही की थी ।उन्होने प्रमोद से उनके कक्ष में भोजन ले जाने को कहा था और स्वयं अपने कक्ष में आ गए थे ।

" बाबू साहब, संध्या हो गई है ,संगीतशाला न जाएंगे क्या??"प्रमोद का स्वर सुनकर वे अतीत से वर्तमान में लौट आए और अपनी सदरी पहन कर छडी़ उठाकर संगीतशाला पहुँचे जहाँ उनके सभी शिष्य उपस्थित हो चुके थे ।
सरस्वती चरण दास अपने आसन पर विराजमान हुए और संगीत की स्वर साधना करना प्रारंभ किया -- 
श्याम मोहन मोरा,
चित्त चुराआआए,
श्याआआम मोहन मोरा,
चित्त चुराआआए 
बंसी बजाकर मोरीईई,,,ईईईईईईई 
बंसी बजाकर मोरी,, 
निंदियाआआआ उडा़ए
श्याम मोहन मोरा 
श्याआआम मोहन मोरा 
चित्त चुराआआआए 
श्याम मोहन मोराआआआआआ 
उनके साथ साथ सभी शिष्यों ने साधना की पर आज सरस्वती चरण दास को अपने शिष्यों के गायन में वो बात न लगी और वे बोले -"क्या बात है !!आप सबका मन आज कहां है ??" 

"गुरु जी हम लोग जो हुआ उसके बारे में चिंतन कर रहे थे ,, आपकी बहू की विदाई और रुढि़वादी चिंतन के लोगों के विरोध वाली बात समाचार पत्र में प्रकाशित हुई है ,,आपने सँभव है पढा़ न हो पर हम सब आपके साथ हैं गुरुवर ,,, "

"मुझे जानकर बहुत हर्ष हुआ कि आप सब मेरे साथ हैं ,, ये समाज सबसे मिलकर ही पूर्ण होता है और आप लोग परिवर्तन की लहर के साथ हैं तो सदियों से चली आ रही रुढिवादिता ,पुरुषवादी सोच व दकियानूसी विचारों की जंजीरें टूटने में देर नहीं है ।"सरस्वती चरण दास बोले ।

और वही हुआ ,, युवावर्ग सरस्वती चरण दास की सोच ,उनके कृत्य से प्रभावित होकर अपने अपने गृहों में अपनी बहन,बेटियों व बहू को अपने समान दर्जा देने लगा ,, थोडे़ समय उनके गृह के बुजुर्गों ने उनका विरोध किया पर शनैः शनैं उन्हें भी समझ आने लगा और वे भी परिवर्तन की लहर के साथ बहने का निर्णय खुले मन से स्वीकारने लगे जिससे कमला देवी भी अछूती न रह पाईं । और ये सब सरस्वती चरण दास की 
बहू की विदाई  से सँभव हुआ ।

दो वर्ष पश्चात ---

"अरे सरस्वती ,, सुन पौत्री  वत्सला का पत्र आया है !!वो अपने पुत्र  को लेकर अपने मायके,, हमारे गृह आगमन कर रही है ,,, इस सूचना से अपार हर्ष की प्राप्ति होने के कारण समझ न आ रहा कि पौत्री वत्सला के लिए क्या पकाऊँ !!"  
"माँ ,पर भोजन तो प्रमोद पकाता है !!" 
"अरेए मेरी पौत्री आ रही है !!उसके लिए मैं स्वयं भोजन पकाऊँगी और हाँ फिर हम दादी और पौत्री को अपना वो संगीत का भजन सुनाना --

छेड़ गयो मोहे ,
श्याम साँवरियाआआ 
गाते हुए कमला देवी पाकशाला की तरफ बढ़ चलीं।

समाप्त ।

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

AZAD AAINA

AZAD AAINA

समाज को नई दिशा दिखाती अतिसुंदर शानदार प्रेरक उत्कृष्ट कहानी कैप्टन गिलहरी.. अशेष शुभकामनाएं 💐💐🙏🙏

2 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

2 अगस्त 2023

धन्यवाद भैया 😊🙏

BBL

BBL

बहुत अच्छी लगी कहानी

16 जून 2023

20
रचनाएँ
बहू की विदाई
5.0
मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ-'बहू की विदाई' ।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक रुढि़वादी ,दकियानूसी ,व स्त्रियों को अपने से नीचे समझने वाले समाज के एक व्यक्ति द्वारा अपनी बहू के विवाह करने पर मेरी ये कहानी है 'बहू की विदाई' । मेरी इस कहानी का मुख्य पात्र सरस्वती चरण दास अपने इकलौते पुत्र के निधन के पश्चात अपनी बहू का विवाह करता है वो भी अपनी माँ की नाराजगी झेलकर।वो खुली सोच रखता है । कैसे वो अपनी विधवा पुत्रवधू के साथ खडा़ होता है और उसका विवाह करता है ये पढे़ं मेरी कहानी 'बहू की विदाई ' में ।
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बहू की विदाई-भाग 1

31 मई 2023
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भगवान भास्कर आसमान में और ऊपर चढ़ आए थे और मुदित होकर सरस्वती चरण दास के कमरे की खिड़की से अपनी रश्मियों द्वारा आकर मानों उनके शीश पर अपना वरद हस्त रखकर उन्हें कह रहे हों !!बेटी की विदाई हो गई !! तुमन

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बहू की विदाई-भाग 2

31 मई 2023
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"ऐसा न कहो माँ !!" कहते हुए सरस्वती चरण दास अंदर कमरे में आए और माँ के समीप बैठकर माँ के हाथ को अपने हाथों में लेते हुए बोले -" तुमने रात से भोजन न गृहण किया माँ !! चलिए चलकर साथ में भोजन करते हैं।"

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बहू की विदाई-भाग 3

31 मई 2023
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सरस्वती !!! ये क्या !! तू गुरु महाराज के विछोह जनिक शोक से उबर ही न रहा !! संगीत जो तेरे रक्त की हर बूंद में मिलकर तेरी हर श्वास में तेरे हर स्पंदन में रचा बसा है तू उसी से मुख मोड़कर शोक सागर में डूब

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बहू की विदाई-भाग 4

31 मई 2023
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।प्रांगण में दरे बिछवाकर ढो़लक रखी गई थी जिसे एक स्त्री ने बजाना और अन्य स्त्रियों में देवी भगौती के भजन गाना प्रारंभ कर दिया था ।शन्नों मौसी ,माँ के साथ सभी के लिए चाय व नाश्ते का प्रबंध करने में लगी

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बहू की विदाई-भाग 5

31 मई 2023
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-"सरस्वती ,तू इस समय यहाँ बाहर !!तुझे तो ,,,,, मन में कोई शंका उपज रही है क्या ???""हाँ मौसी ,आपसे एक प्रश्न का उत्तर चाहिए था ,आप दे सकेंगी ?"उन्होने प्रश्न किया था ।"हाँ क्यों नहीं !!पूछ !!" क

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बहू की विदाई-भाग 6

1 जून 2023
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--"माँ सामान रखना छोड़ तुम यहाँ आ गईं !!और कुछ हुआ है क्या !! सरस्वती को तो इस समय भाभी के समीप होना चाहिए था !!""नहीं कुछ नहीं ,तू चल मैं आ रही हूँ " चपला से कहते हुए शन्नो मौसी मुझ

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बहू की विदाई -भाग 7

1 जून 2023
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"वही तो मैं कह रहा हूँ !! आखिर ये नियम किसने और क्यों निर्मित किए !! पति के देवलोक गमन के पश्चात स्त्री के जीवन का रथ संसार मार्ग पर रुक जाता है क्या !!!नहीं ना !! वो तो अनवरत तब तक गतिमान रहता ह

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बहू की विदाई -भाग 8

1 जून 2023
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उस समय विवाह से पूर्व कन्या देखने का चलन न था ।कुण्डली मिलान हो गया था और साढे़ चौंतिस गुण मिल रहे थे और क्या चाहिए था !!सुजान बाबू प्रस्थान कर गए थे मगर उनके मन में बार बार विचार आ रहा था कि सुजान बा

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बहू की विदाई -भाग 9

1 जून 2023
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कुछ घण्टों पश्चात उनके गृह के दरवाजे को किसी ने बहुत तेज खटखटाना प्रारंभ कर दिया था ।उन्होनें चपला से कहा था कि देखो तो जरा बारात आ गई क्या !!और चपला ने दौड़ कर गृह का मुख्य द्वार खोला तो सामने

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बहू की विदाई -भाग 10

1 जून 2023
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वे गाडी़ का दरवाजा खोलकर अपनी पुत्रवधू वत्सला के समीप बैठकर उसके शीश पर हाथ फेरकर बोले थे -" चलो गृह चलते हैं मेरी बच्ची !!"चपला भी गाडी़ का दरवाजा खोलकर वत्सला के दूसरी तरफ उसके समीप बैठ गई थी ।किसके

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बहू की विदाई-भाग 11

4 जून 2023
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उनको देखते ही सबकी आँखें उनकी तरफ देखने लगी थीं जिनमें प्रश्न तैर रहा था जिसका उत्तर वे पाने को लालाइत थे, उनके मन की धरती में प्रश्न का अंकुर था और वे उसके उत्तर की वृष्टि हेतु उनके मुखाकाश में

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बहू की विदाई-भाग 12

4 जून 2023
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--"वो क्या अपने पति के अंतिम दर्शन करने भी न आएगी !! तू अपनी मनमानी कर रहा है !! उसे यहाँ लेकर आ !!लोकलाज का तो ध्यान दे !! "पुत्र वागीष का अंतिम संस्कार संपन्न करने बाद वे सुजान बाबू के स

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बहू की विदाई-भाग 13

4 जून 2023
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उसे ज्ञात होता है कि ठहराव में जड़ता है और गति में आनंद है !!किसी के गमन से किसी का जीवन न रुकता ,,वो तो यथावत गतिमान रहता है जब तक स्वयं परमब्रह्म उसकी गति को रोकना न चाहें ।अच्छा ,कोई वाहन होता है ज

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बहू की विदाई-भाग 14

4 जून 2023
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आपने मेरी बात न मानी पर मैं अपनी पुत्री के साथ ये सब कदापि न होने दूँगा,,,,न वो केशविहीन होगी और न ही श्वेत वस्त्र धारण करेगी,,वो यहाँ ऐसे ही रहेगी जैसे एक बेटी अपने पिता के गृह में रहती है " माँ से क

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बहू की विदाई -भाग 15

4 जून 2023
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रात्रि में उन्होने अपना बिस्तर पुत्री वत्सला के कक्ष के बाहर लगवाया था और पुत्री वत्सला से कहा था -"बेटी ,तू निश्चिंत होकर निंद्रागत हो ,तेरे लिए नवगृह है ,नव वातावरण है तो तुझे किसी भी प्रकार का भय न

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बहू की विदाई-भाग 16

7 जून 2023
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ये सब देखकर उन्होने एक निर्णय लिया था और फिर वो संगीतशाला जाते,आते लोगों से मिलने बैठने व वार्तालाप करने लगे थे ।जिससे भी वे अपने लिए गए निर्णय के संबंध में बात करते वो उन्हें हैरान होकर द

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बहू की विदाई-भाग 17

7 जून 2023
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आपने जो किया वो बहुत प्रशंसनीय कार्य है पर ये रुढिवादी और दकियानूसी समाज कोई भी परिवर्तन स्वीकार करना ही न चाहता है ।" श्री कृष्ण गोपाल स्वामी जी की सहधर्मिणी ने कहा था और वे बोले थे--"ये

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बहू की विदाई-भाग 18

7 जून 2023
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शाम को वे माँ के कक्ष में गए थे और माँ के समीप बैठकर बोले थे -"माँ ,आपको कुछ बताना चाहता हूँ ।"अपने कपडे़ तह करती हुई माँ बोली थीं -"यही बताना चाहता है न कि वहाँ रुड़की में सब कैसा क्या रहा !! मुझे जा

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बहू की विदाई-भाग 19

7 जून 2023
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उन्होने चपला को पत्र लिखकर बुला लिया था और चपला ,पुत्री वत्सला के लिए वस्त्र व आभूषण इत्यादि की खरीददारी करने लगी थी ।आसपास के लोगों में सुगबुगाहट होने लगी थी कि कोई तो बात है ।तभी एक दिवस प्रमो

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बहू की विदाई-भाग 20 अंतिम भाग

7 जून 2023
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"क्यों !क्यों परिवर्तन न होगा !! क्यों सदा स्त्री ही आप लोगों की संकुचित सोच और रुढिवादिता के तले पिसती रहेगी !! " चपला कह ही रही थी कि पीछे से शन्नों मौसी ने उसका हाथ खींचकर कहा था -"तू क्यों नेता बन

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