Brain stroke
अपस्मार
दौरे पड़ना मिर्गी एक गंभीर बीमारी है जिसमें रोगी अपना मानसिक नियंत्रण खो बैठता है और बेसुध हो कर जमीन पर गिर जाता है मस्तिष्क में खून के प्रवाह के रूक जाने से आक्सीजन की स्पलाई मस्तिष्क में रूक जाती है जिससे रोगी के हाथ पैर मुड़ जाते हैं मुंह से झाग निकलने लगते हैं रोगी की यह दशा देखकर कुछ लोग डर भी जाते हैं जो एक स्वाभाविक बात है। इसी कारण वह उसकी मदद करने से भी कतराते है कुछ केसों में मरीज दो तीन मिनटों में सामान्य हो जाता है क्योंकि खून का प्रवाह अपने आप मस्तिष्क में दुरूस्त होने लगता है पर तत्काल सहायता ना मिलने से कुछ केसों में रोगी की मृत्यु भी हो जाती है इसलिए अगर आप को राह चलते कोई इस तरह का परेशान व्यक्ति मिले तो बिना घबराये उसकी हर यथासंभव मदद करने का प्रयास करें उसके चारों तरफ भीड़ ना लगाएँ इससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। अधिक जानकारी के लिए आप विकिपीडिया पर पड़ सकते हैं।
अब बात करते हैं इस बीमारी से ग्रस्त लोगों की दैनिक दिनचर्या के बारे में जो आपको थोड़ा भावुक कर सकती है अगर इस बीमारी से जुड़ा व्यक्ति पक्षाघात का शिकार ना हुआ हो तो वह एकदम सामान्य नज़र आता है कोई भी नहीं कह सकता कि वह बीमार है पर वास्तव में डर उसके रोम रोम में समाया होता है वह रोज जीता और मरता है उसका आत्मविश्वास काफी हद तक कम होता है वह सोचता है कि कहीं उसने दवाई टाईम पर ना ली तो उसे दौरा पड़ सकता है अगर दौरा पड़ गया लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे वो उसका मजाक उड़ाएंगे इसी कारण वह अपनी बीमारी को हर किसी से छिपाता फिरता है कहीं भी आने जाने से पूर्व वह यही सोचता है कि वह घर वापिस लौटेगा के नहीं कहीं रास्ते में उसे कुछ हो गया तो
कुल मिलाकर ऐसा शख्स जिंदगी को डर डर के जीता है जिंदगी के हर मोड़ पर उसे बस एक ही चीज़ की चिंता खलती रहती है वह है उसकी दवाई बस और कुछ नहीं क्योंकि किसी भी कारण से उसे कुछ हुआ तो डाक्टर साहिब और घर वाले एक ही बात कहेंगे तुमने दवाई समय पर नहीं ली होगी इस लिए दौरा पड़ा है।
सब कुछ सामान्य होने पर भी इस बीमारी का शिकार व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं जी पाता वह जीवन के हर क्षेत्र में खुद को दूसरों मुकाबले कमजोर समझता है उसे लगता है कि शायद किसी ने उस पर कुछ जादू टोना करवा दिया है इस कारण उसमें आत्मविश्वास की कमी होने लगती है और वह जीवन के हर क्षेत्र में पछड़ता चला जाता है उसको यदि अपनो का साथ ना मिले तो उसे जिंदगी बोज लगने लगती है बस वह एक जिंदा लाश बनकर रह जाता है जो भीड़ के बीच भी खुद को तनहा पाता है
ऐसे शख्स दिल के बुरे नहीं होते क्योंकि वो जिंदगी का वास्तविक मूल्य जान गए होते कि जीवन बेशकीमती है क्योंकि हर एक स्ट्रोक उनकी मुलाकात मौत से करवाता है इसी डर के कारण वह बहुत ही सोफ्ट हार्ट हो जाते हैं ऐसे लोगों के बारे में एक ही बात कह सकता हूं कि वास्तव में जीवन की चुनौतियों का सामना करना है कोई इनसे सीखें
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए- जंग में, वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चले.