एक गांव में नदियाँ किनारे मन्दिर में रोज शाम की आरती के बाद पंडित जी रामायण की कथा करते और भगतों को राम नाम की शक्ति का अनुसरण कराते पंडित जी की कथा की महिमा दूसरे गांवों में भी फेलने लगी लोग दूर दूर से जुड़ने लगे।
एक गुजरी भी दूसरे गाँव से कश्ती में नदी पार कर नित्य कथा सुनने आने लगी एक बार कथा करते वक्त पंडित जी ने कहा भक्तों राम नाम जपते जपते तुम भवसागर से पार हो जाओगे।
गुजरी गांव की सीधी सादी महिला उसने यह बात डंग से पल्ले बांध ली कि राम नाम जपते जपते भवसागर से पार हो जाते हैं कथा खत्म होने पर चली अपने गांव की तरफ नदियाँ किनारे घाट पर कोई कश्ती खड़ी ना देख मन में सोचती है राम नाम जपते जपते जब भवसागर पार हो सकता है तो यह छोटी सी नदियाँ पार ना होगी।
और गुजरी ने राम नाम जपते जपते पानी पर चलने लगी उसने मिनटों में नदियाँ पार कर दी उसे अब राम नाम की शक्ति पर पूर्ण विश्वास हो गया आगे भी वह ऐसे हि पानी पर चलकर कथा सुनने आती रही।
जब कथा का समापन हुआ तो गुजरी ने पंडित जी को अपने घर पर भोजन करने का निमंत्रण दिया। पंडित जी भी उसकी बात मान साथ हो लिए नदियाँ किनारे पहुंच कर गुजरी ने मर्यादा वश शिष्टाचार दिखाते हुए कहा पंडित जी नदी पर आगे आगे आप चले पीछे पीछे में चलती हूँ
पंडित जी नदी पर चलना है गुजरी कहीं तूं पागल तो ना हो गई के बात करन लाग रही है।
महाराज आप ने हि तो कहा था राम नाम जपते जपते भवसागर पार हो जाता है अब आप ही छोटी सी नदियाँ पार करने में संकोच कर रहे हैं।
जब से आपने मुझे राम नाम का मंत्र दिया है में तो रोज ऐसे हि उसे जपते हुए नदी से आती जाती हूं।
अच्छा तो जरा चल कर बता और राम नाम जपते जपते गुजरी झट से नदियाँ पार हो गई उसने पंडित जी को भी अब आने को कहा ज्यों ही पंडित जी ने हिम्मत कर पहला पग धरा गिरे छपाक हे पानी में
क्या समझे बंधु
मोको कहां ढूंडे रे बन्दे मैं तो तेरे पास में न मन्दिर में न मस्जिद में न काबे कैलास में ! खोजी हे तो तुरंत मिल जांउ इक पल की तलाश में औ बन्दे रे
में तो हूँ विश्वास में