दुखों की पोटली
एक बार एक गांव के सभी लोग अपने अपने दुखों के कारण भगवान से बहुत नाराज हो गए वह भगवान से प्रार्थना करने लगे कि उनके दुखों को दुर करें वरना वो भगवान काहे का ?
लोगें की फरियाद सुन आकाश से भविष्यवाणी हुई
हे गांव वासियों ऐसा करें आज रात के तीसरे पहर में सब लोग अपने अपने दुखो को एक कागज में लिखकर उसे एक कपड़े की पोटली में बांधकर गांव के बाहर चौपाल पर इक्ट्ठा हो जाए ।
सब गांव वासी निर्धारित समय और स्थान पर एकत्रित हो लिये तब फिर भविष्यवाणी हुई हे गांव वासियों अपने अपने दुखों की पोटली को सब लोग आगे जाकर आगे एक लाईन में रख दो ।
सब ने ऐसा ही किया।
फिर भविष्यवाणी हुई जिसे जो पोटली पंसद हो जाकर उठा ले पर स्मरण रहे पोटली उठाते ही आपके दुखों का नाश हो जाएगा परन्तु उठाई हुई पोटली के दुखों को आपको झेलना होगा ।
यह सुन सब लोग शांत हो गए और सब ने एक मत से निर्णय लिया भाई अपनी अपनी पोटली ही उठा लो अपने दुखों से तो हम सब परिचित हैं ना जाने अगले के कौन से दुख हमारे पले पड़ जाए और क्या पत्ता हम उन्हे झेल भी पाए या नहीं जीवन कहीं और नरक ना बन जाए।
इस तरह सब अपने अपने दुख की पोटली उठा घर को हो लिए।