कोई भी हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई बौद्ध जैनी या अन्य किसी धर्म को मानने वाला सिक्खों की धार्मिक पुस्तक का अनादर बेअदबी करने से पूर्व एक बार जरूर पड़े
गुरु ग्रंथ साहिब जी सिक्खो का हि नहीं पूरी मानवता का सांझा ग्रंथ है इसमें दर्ज बाणी में लिखा गया है
1.अव्वल अला नूर उपाया कुदरत के सब बंदे एक नूर ते सब जग उपजिया कौन भले कौन मंदे
2.हरि जी आए हरि जी आए छड सिंहासन हरि जी आए
3.जान जानिए। राजा राम की कहानी
4.तेरी पनाह है खुदाए तु बखशिंदगी शेख फरिदे खैर दीजे बंदगी
यह सब पंक्तियां गुरु ग्रंथ साहिब जी में दर्ज हैं इसके अलावा
गुरुग्रन्थ साहिब में मात्र 6 सिख गुरुओं की हि बाणी उपदेश नहीं है, वरन् 30 अन्य हिन्दू और मुस्लिम भक्तों की वाणी 15 भगतों, 11 भाटों तथा चार गुरु घर के कीर्तनी एवं निकटवर्ती भाई सत्ता, भाई बलविंद्र, बाबा सुंदर एवं भाई मर्दाना की बाणी भी सम्मिलित है। इसमे जहां जयदेवजी और परमानंदजी जैसे ब्राह्मण भक्तों की वाणी है, वहीं जाति-पांति के आत्महंता भेदभाव से ग्रस्त तत्कालीन समाज में हेय समझे जाने वाली जातियों के प्रतिनिधि दिव्य आत्माओं जैसे कबीर, रविदास, नामदेव, सैण जी, सघना जी, छीवाजी, धन्ना की वाणी भी सम्मिलित है। पांचों वक्त नमाज पढ़ने में विश्वास रखने वाले शेख फरीद के श्लोक भी गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज हैं।
इस ग्रंथ में हरि शब्द 8344 बार, राम शब्द 2533 बार, प्रभु शब्द 1371 बार, गोपाल शब्द 491 बार, गोबिंद शब्द 475 बार तथा अल्लाह शब्द 46 बार अंकित है। गुरु ग्रंथ साहिब में कुल 1430 अंग हैं, जिसमें अक्षरों की कुल संख्या 10 लाख 24 हजार है तथा इसमें 31 रागों 22 वारों में की बाणी दर्ज है।
गुरुग्रन्थ साहिब में मात्र 6 सिख गुरुओं की हि बाणी उपदेश नहीं है, वरन् 30 अन्य हिन्दू और मुस्लिम भक्तों की वाणी 15 भगतों, 11 भाटों तथा चार गुरु घर के कीर्तनी एवं निकटवर्ती भाई सत्ता, भाई बलविंद्र, बाबा सुंदर एवं भाई मर्दाना की बाणी भी सम्मिलित है। इसमे जहां जयदेवजी और परमानंदजी जैसे ब्राह्मण भक्तों की वाणी है, वहीं जाति-पांति के आत्महंता भेदभाव से ग्रस्त तत्कालीन समाज में हेय समझे जाने वाली जातियों के प्रतिनिधि दिव्य आत्माओं जैसे कबीर, रविदास, नामदेव, सैण जी, सघना जी, छीवाजी, धन्ना की वाणी भी सम्मिलित है। पांचों वक्त नमाज पढ़ने में विश्वास रखने वाले शेख फरीद के श्लोक भी गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज हैं।