भारत का चंद्रयान 2 मिशन फेल रहा परन्तु यदि यह सफल होता तो इससे आम आदमी को क्या लाभ होता।
क्या वह चांद पर जाकर रह सकता था ?
क्या वह चांद पर घर खरीद सकता था ?
या फिर यह सब झूठी शान दिखाने या नेताओं और पूंजीपतियों द्वारा गरीबों के पैसे पर चांद पर अयाशी करने का माध्यम बनता और कुछ भी नहीं।
विकसित देशों और विकासशील देशों में कुछ तो फर्क होता है या नहीं
विकसित देशों की आम जनता की सभी मूलभूत आवश्यकताओं को वहां कि सरकारें पूरा करने में सक्षम है। इसके बाद हि वह ऐसे मिशनों पर पैसा लगाती है।
भारत एक विकासशील देश है चंद्रयान 2 पर लगभग 900 करोड़ रुपए खर्च हुए।
यह पैसा किसी राजनेता की जेब से या किसी पूंजीपति की जेब से नहीं गया यह पैसा उन लोगों की जेब से गया जो ईमानदारी से अपना टैक्स भरते हैं और भारत के आर्थिक विकास के लिए दृड़ संकल्प हैं।
इन 900 करोड़ रुपयों से
● देश में कई अस्पताल खोले जा सकते थे।
● सरकारी अस्पतालों का विकास हो सकता था।
● गरीबों को बेहतर और मुफ्त इलाज मिल सकता था।
● किसानों का ऋण माफ हो सकता था।
● सेना को और सुविधाएँ दी जा सकती थी।
● विदेशी ऋण चुकाया जा सकता था।
● सरकारी स्कूलों का विकास हो सकता था। आदि
करोड़ों रूपये लगाकर दूूूसरेे ग्रह पर जीवन ढूंढने से अच्छा है कि अपने ग्रह को ही बेेहतर बना लो।