बुरे लोगों के साथ बुरा क्यों नहीं होता
एक साधक ने एक यश प्रश्न किसी आचार्य के आगे रख दिया कि है आचार्य बुरे लोगों के साथ बुरा क्यों नहीं होता उन्हें उनके बुरे कर्मों की सजा क्यों नहीं मिलती अपितु अच्छे लोगों के साथ ही सदैव बुरा क्यों होता है।
आचार्य दो मिनट मौन रहने के पश्चात बोले वत्स तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है "परालब्ध"
साधक ने फिर पूछा आचार्य यह परालब्ध क्या है ?
आचार्य हमारी आयु निश्चित है कर्म नहीं हमारे पुर्वले जन्म में किए गए अच्छे एवं बुरे कर्मो का वह फल जो हम उस जन्म में नहीं भोग सके उसी से विधाता हमारी परालब्ध का निर्माण करते है।
तुम्हारा प्रश्न था कि बुरे लोगों के साथ बुरा क्यों नहीं होता उन्हें उनके बुरे कर्मों की सजा क्यों नहीं मिलती इसके लिए तुम गेहूँ एकत्र करने वाले एक बड़े ड्रम का उदाहरण लो जो गेहूँ से ऊपर तक भरा होता है और उसके नीचे सामने की तरफ एक छोटा छेद होता है जिस पर ढक्कन लगा होता है भोग के लिए जितनी गेहूँ कि आवश्यकता होती है उसे उस छोटे छेद से बाहर निकाल लिया जाता है।
वत्स बुरा व्यक्ति जो बुरे कर्म कर रहा है उन्हें वह ईंट पत्थर के रूप में उस गेहूँ वाले ड्रम में ऊपर से भर रहा है जब तक उसकी परालब्ध रूपी गेहूँ खत्म नहीं होगी तब तक वह ईंट पत्थर नीचे नहीं आएंगे और बाहर नहीं निकलेंगे।