गुरूद्वारा साहिब जी
आप सभी को कभी ना कभी अपने जीवन काल में किसी ऐतिहासिक गुरूद्वारा साहिब के दर्शन करने का मौका जरूर मिला होगा अगर नहीं तो वाहिगुरू जी जल्द से जल्द आपको दर्शन का मौका दें यही मेरी उनसे प्रार्थना है।
आप में से कुछ लोग जब भी गुरूद्वारे गए होंगे उन्होंने वहां असिम शांति का अनुभव किया होगा मानो आप दुनिया दारी के समस्त झंझटों से मुक्त हो गए हैं या इनसे निपटने के लिए नई ऊर्जा मिल गई हो। मेरे दोस्तों को गुरुद्वारा साहिब का कड़ाह प्रशाद और लंगर बहुत ही अच्छा लगता है। वह वहां संगतो की सेवा भावना की तारीफ करते नहीं थकते उन्हें मौका मिलता है तो वह भी लंगर घर या जोड़ा घर में जरूर सेवा करते हैं।
जोड़ा घर वह स्थान यहां गुरूद्वारा साहिब में दर्शनों के लिए आने वाली संगतो के जूते चप्पल रखे जाते हैं। मेरा एक मित्र पहली बार जब गुरूद्वारा साहिब दर्शन करने गया तो उसने आकर बड़ी हैरानी से मुझे एक बात बताई कि उसने गुरूद्वारा साहिब में अपने जूते जमा करवा कर टोकन लिया और वह अंदर मथा टेकने चला गया पर जब उसने वापिस आकर अपने जूते प्राप्त किए तो वह शीशे की तरह चमक रहे थे। एक बार तो उसे लगा मानो यह उसके जूते है हि नहीं पर ध्यान से देखने पर उसे प्रतित हुआ कि यह वास्तव में उसी के जूते है जिन्हें आला दर्जे की पालिश से ना सिर्फ चमकाया गया है बल्कि उनमें नए फित्ते भी डालें गए हैं। वह संगतो की सेवा भावना से बहुत प्रभावित हुआ। उसकी बातों को सुनने के बाद मैंने उसे बताया कि गुरूद्वारा साहिब के जोड़ा घर में बड़े बड़े रहीस सरमायेदार गुरू के सिख बड़े ही श्रद्धा भाव से सेवा करने आते हैं और उन्हें इसमें बहुत सुकून मिलता है।
उसकी भावना को देखते हुए मैंने उसे एक बात सुनाई जो कि मैंने बचपन में किसी बुजुर्ग से सुनी थी। बात अमृतसर साहिब कि है वहां बाबा दिप सिंह जी का गुरूद्वारा साहिब है जिसे सिख संगत शहीदां के नाम से संबोधित करती है वहां वीरवार के वीरवार एक सरदार जी जोड़ा घर में सेवा करने आते थे वह बहुत ही श्रद्धा भाव एवं पूरे मन से वहां सेवा की हाजरी भरते थे एक बार संयोग से एक NRI सिख वहां गुरूद्वारा साहिब में दर्शन करने आया उसने अपने जूते जोड़ा घर में जमा कराए और अंदर दर्शन करने को चला गया। जब वह NRI सिख दर्शन करके वापिस आया और उसने अपना टोकन उन सरदार जी को दिया जब सरदार जी ने टोकन नम्बर वाले स्थान पर जाकर देखा तो जूते वहां नहीं थे जब सब जगह ढूंढने के बाद भी जूते नहीं मिले तो सरदार जी ने बड़े ही विनम्र भाव में उस NRI सिख से कहा लगता है आपके जूते कोई जरूरतमंद ले गया है आप भाई साहब बुुुरा ना मानेंं मुझ से अपने जूतों के एवज में उनकी कीमत ले लें NRI सिख मुस्कराया और बोला आप रहने दें वह कम्पनी के महेंगे जूते थे आप कहां से उनके पैसे भरेंगे और में पैसे लेता अच्छा भी नहीं लगता इस
पर सरदार जी ने बड़े हि विनम्र भाव से कहा बात तो आपकी ठीक है पर आपका नुकसान भी तो हुआ है आप ऐसा करें आधे पैसे रख लें आपकी मेहरबानी होगी NRI सिख मान गया और उसने 1000 ₹ रख लिए और वह सामने बाजार से चप्पल ले कर चला गया।
जोड़ा घर के बाहर एक मुझ जैसा पापी आदमी भी खड़ा था जो इस पूरे वाक्य को बड़ेे हि ध्यान से देख रहा था उसके दिल में बईमानी आ गई अगले वीरवार को वह भी गुरूद्वारा साहिब पहुंच गया उसने अपनी चप्पल जमा करवाई और दर्शन करने चला गया जब वापस आया तो उसने जोड़ा घर में टोकन दिया जब सेवा करने वाले सज्जन ने इसका जोड़ा दिया तो इसने छोर मचा दिया यह मेरी चप्पल नहीं है वह तो कम्पनी की महंगी चप्पल थी आप लोगों ने बदल दी है तब फिर उसी सरदार जी ने कहा भाई आप नाराज ना हो अंदर आकर अपनी चप्पल देख लो शायद गलत खाने में रख दी गई है जब चप्पल हो तो मिले खैर सरदार जी ने उस से कहा भाई आप अपनी चप्पल के एवज में हम से पैसे ले लें और वह शख्स मान गया और 500 ₹ लेकर घर चला गया घर जाकर अपनी पत्नी को कहता है देख मेें आज कितनी आसानी से कुछ लोगों को मूर्ख बना कर 500 ₹ की कमाई करके लाया हूँ। रात हुई सोने लगा किसी चीज ने चारपाई से उठाकर नीचे मारा हाथ पैर ठंडे हो गए मुंह से आवाज ना निकले मानो किसी ने सीने पर भारी वजन रख दिया हो। बीवी ने शोर मचा दिया लोग इकट्ठा हो गए आनन फानन में हाथ पैैैर मले गए कुछ देर में उसे होश आया बीवी रोते हुए चिल्लाने लगी आज जो तुम गुुुरूद्वारे से बईमानी का पैसा लाए हो ना यह उसी के कारण हुुआ है। उसनेे रोते हुए गली वाले बुजुर्ग सरदार जी को सारी बात कह सुनाई तब सरदार जी ने उसे कहा ओ बेशर्मे आदमी चल मेरे साथ अभी गुरूद्वारे और जा कर उस रब के नेक बंदे के पैसे वापस कर और अपने गुनाहों की तौबा कर जब वह दोनों जोड़ा घर पहुंचे तो सेवादार ने उन्हें बताया कि वह सरदार जी तो वीरवार के वीरवार ही सुबह 6 से 8 बजे ही हाजरी भरने आते हैं अब आप लोग वीरवार को आना वीरवार तक उस शख्स की हालात खराब रही वीरवार वाले दिन वह गली वाले सरदार जी के साथ गुरूद्वारा साहिब पहुंचा तब उसने जोड़ा घर वाले सरदार जी से माफी माँगी और उन्हें सारी बात बताई तब जोड़ा घर वाले सरदार जी ने विनम्र भाव से कहा भाई में कौन होता हूँ आपको माफ करने वाला आप गुरूद्वारा साहिब की गोलक में यह रूपय डाल कर वाहिगुरू से माफी माँगेेें और आगे के लिए तौबा कर लें उसने ऐसा ही किया और गली वाले सरदार जी के साथ घर चल दिया तब रास्ते में सरदार जी ने उसे समझाया अब तूं भी गुरद्वारे जा कर सेवा करा कर और अपने गुनाहों को बख्शाह।
ਪਾਪੀ ਕਰਮ ਕਮਾਵਦੇ ਕਰਦੇ ਹਾਏ ਹਾਇ ॥ ਨਾਨਕ ਜਿਉ ਮਥਨਿ ਮਾਧਾਣੀਆ ਤਿਉ ਮਥੇ ਧ੍ਰਮ ਰਾਇ।