काम कोई भी छोटा नहीं होता
एक समय की बात है समुद्र के किनारे मछुआरों की बस्ती में हेमंत नाम का मलाह रहता था वह अपनी कश्ती से यात्रियों को एक किनारे से दुसरे किनारे लाने ले जाने का काम करता था इस काम से उसे ज्यादा पैसे तो मिलते नहीं थे पर दाल रोटी चलती जाती थी उसका परिवार खुश था उसका बड़ा बेटा राहुल भी नाव चलाने का हुनर सीख गया था हेमंत जब भी किसी काम से बजार जाता तो बड़ा बेटा ही कश्ती को संभालता।
एक दिन राहुल की कश्ती में पंडित जी वैद्य जी और अध्यापक महोदय आ बैठे सब विद्वानों ने राहुल को निशाना बना अपनी अपनी विद्या को एक दूसरे की विद्या से श्रेष्ठ बताना शुरू कर दिया।
अध्यापक जी : राहुल तुम्हे पढ़ना लिखना आता है।
राहुल : नहीं महाराज
अध्यापक जी : यदि तुम्हारे पिता जी तुम्हे पड़ना लिखना सिखाते तो तुम अच्छी जीविका कमा सकते थे।
पंडित जी : राहुल तुम्हे ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान है।
राहुल : नहीं महाराज
पंडित जी : अगर तुम्हारे पिता जी यदि तुम्हे इसकी शिक्षा दिलवाते तो तुम अच्छी जीविका और मान सम्मान प्राप्त कर सकते थे ।
इसी तरह वैद्य जी भी
यदि तुम और अधिक पड़ते तो चिकित्सक बन मान सम्मान के साथ और अधिक जीविका कमा सकते थे
इतने में समुद्र में तेज लहरें उठने लगी तब राहुल ने हाथ जोड़कर कहा हे विद्वान पुरूषो में ठहरा मूर्ख अनपढ़ मुझे मेरे पिता जी ने आपकी तरह महान ज्ञान तो नहीं दिलवाया हां तैरना जरूर सिखाया है महापुरुषों समुद्र में हड़ आ गया है आप में से जिसे तैरना आता है वो तैर कर अपनी जान बचा ले वरना अपने ज्ञान के साथ डूब मरे।
पढ़ने के लिए आप जी का धन्यवाद समझने के लिए आप जी का अभार