एक पदक से चूकते, चढ़ गई सबको भाँग,
सब सोचें कि कैसे लें, इस अवसर को भांज,
राजनीति करते हुए, अपने बर्तन चमकायें,
कैसे इस मौके पर अपनी बढ़त बनायें,
अपनी बढ़त बनाते वो लें जब तक बर्तन माँज,
ये सपूत अमन चैन से, लाया मेडल ब्रांज,
लाया मेडल ब्रांज ओलिंपिक बड़ी लड़ाई,
इस अवसर पर बढ़कर देवें सब लोग बधाई,
मिलत बधाई होवत सीना सबका चौड़ा,
जिसने भी न खेल कभी किसी चीज से जोड़ा,
इस विजय पर हार फूल के गले अमन के,
सेहरा बंधा है जीत का, ओ! लाल चमन के।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"