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मैं पुरखों के घर आया था

30 सितम्बर 2023

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पता पिता से पाया था

मैं पुरखों के घर आया था

एक गाँव के बीच बसा पर

उसे अकेला पाया था ।

माँ बाबू से हम सुनते थे

उस घर के कितने किस्से थे

भूले नहीं कभी भी पापा

क्यों नहीं भूले पाया था ।

जर्जर एक इमारत थी वो

पुरखों की विरासत थी वो

कितने मौसम बीत चुके थे,

पर उसे अकड़ता पाया था ।

दरवाजे हठ   कर बैठे थे

कितने ऐंठे कितने रूठे थे

चीख चीख कर करें शिकायत

क्यों तुमने बिसराया था ।

द्वार खुले तो मिला बरोठा,

मुझे लगा वो भी था रूठा,

मुख्य द्वार पर बड़ा सा कोठा,

वो रोने को हो आया था ।

दीवारों पर लगे थे जाले

हठ करके न हटने वाले

जैसे धक्का देके भगाएँ

कितनी मुश्किल से मनाया था ।

कभी पिताजी ने बतलाया

इस कमरे में रहते थे  ताया,

गजब रसूख था, गजब नाम था

पर अब वो मुरझाया था ।

उसके आगे एक बरामदा

उससे आगे था फिर आँगन

आँगन  के आगे कुछ कमरे

वक़्त वहीँ ठहराया था  ।

तभी वहाँ कुछ खनक गया था

शंखनाद भी समझ गया था

देखा वहाँ एक मंदिर था

मैं कितना हर्षाया था  ।

उस आँगन के कितने चर्चे

सुने हुए काका के मुख से

कितनी रौनक होती थी ये

काका ने बतलाया था ।

तभी वहां कुछ हमने देखा

दीवालों पर बचपन देखा

पापा के हाथों की छापों पे

अपनी हथेलियाँ रख आया था ।

न थी लकड़ी धुआं कोयला

न चूल्हे की ठण्डी राख़

उस रसोई में प्यार पका था

जो था अब भी पर सकुचाया था ।

मोटी थी  मिटटी की दीवारें

पर पक्के रिश्ते बसते थे

छूट गया था घर आँगन वो

बाबू   ने भूल न पाया था ।

ड्राइंग रूम नहीं होते थे

एक हॉल में सब सोते थे

चिट्ठी के चट्टे अब तक थे

मैं कुछ को पढ़ आया था ।

उसी हॉल की दीवालों पर

पुरखों के कुछ चित्र लगे थे

मेरी आँखों से नीर वहा तब

मैं उन सबको ले आया था  ।

पता पिता से पाया था

मैं पुरखों के घर आया था

एक गाँव के बीच बसा पर

उसे अकेला पाया था ।

(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम् "

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने सर 👌👍

2 अक्टूबर 2023

दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

3 अक्टूबर 2023

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया🙏

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जब ज्ञान व्याप्त होगा

10 अगस्त 2023
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तुम लाख छुपाओ बात मगर,  कल सबको पता चल जाएगा, पत्ता, पत्थर, पानी, कंकड़, चीख़ चीख़ बतलायेगा । यह डर जो तुम्हारे दिल में है,  सब पता सरे-महफ़िल में है, खुलने वाला है ये राज अभी, जो राज अभी

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बलिदानी सिपाही

11 अगस्त 2023
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बलिदानी सिपाही शूल सी चुभती हृदय में उस शिशु की चीत्कार है, जनक जिसका है सिपाही, करता वतन से प्यार है । जो अपनी मातृभूमि के सदके  जान अपनी कर गया, श्रृंगार-रत नवयौवना को श्वेत वसन दे गया; व

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मत कहो

11 अगस्त 2023
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मत कहो  नहीं, आज मुझसे कोई तस्वीर रंगने को मत कहो। क्योंकि, हर बार जब मैं ब्रश उठाता हूँ, और उसे  रंग के प्याले में डूबता हूँ; उस रंग को जब  कैनवास के  धरातल पर सजाता हूँ; तो सिर्फ एक ही

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हिसाब

14 अगस्त 2023
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आज जब जमाने का हिसाब निकला, बस कसूर मेरा ही बेहिसाब निकला । @ नील पदम् 

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वो

14 अगस्त 2023
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अपने दिल की कोई जरा, हम बात क्या कह देते हैं। मेरी हर बात को झट, वो अपने पे ले लेते हैं ।। @नील पदम् 

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सफ़र

14 अगस्त 2023
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सुनो, किसी भी सफर में रहना, फोन जरूर करते रहना, हालात, ठीक ना हों अगर, मिस्ड काल ही देते रहना। और हाँ, कहीं भी चले जाना, आवाज जरूर देते रहना, गर, ना मुमकिन हो पुकारना, मन ही मन याद कर

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मुल्क के आँख और कान (मुक्तक)

14 अगस्त 2023
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देश के बाहर रहकर अपने देश को दुश्मन देश की सूचनाएँ पहुँचाने वाले रॉ जैसे एजेंसी के शूर वीरों को समर्पित .... ये वो शूरवीर हैं जिनकी वजह से बहुत हद तक हमारे देश का  शानदार तिरंगा लहराता है . ....  हर घ

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विभाजन दिवस

14 अगस्त 2023
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हर दूसरे- तीसरे   दिन गीदड़ भभकी देने वाले पड़ोसी के लिए व्यवहार कैसा हो ........................             अपनी आँखों की चमक से डरा दीजिये उसे,  हँस के हर एक बात पर हरा दीजिये उसे,  पत्थर नहीं अ

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सवाल

15 अगस्त 2023
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जात-पात और धर्म लिखो करवाते रहो बवाल, आने वाली पीढ़ियां पूछेंगी कई सवाल॥ (c) @ दीपक  कुमार  श्रीवास्तव  " नील पदम् " 

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मायने

15 अगस्त 2023
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आजादी के देखो मायने, कैसे करे गए हैं अनर्थ,    क्रांति के बलिदान सब,  गए जाया हुए अब व्यर्थ ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"            

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दूर

15 अगस्त 2023
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बहा पसीना व्यर्थ में,  रोया यदि मजदूर,  जाया उसका श्रम हुआ, पारितोषिक हो मजबूर, नहीं आजादी आई अभी,  समझो वो है अबहूँ दूर ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                       

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जंजीरें

15 अगस्त 2023
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जब  मातृभूमि को माँ माना था अशफाक, भगत, बोस से जाना था ये गाँधीजी ने भी माना था कि भारत माँ आजाद करें हम गुलामी की जंजीरों से । लेकिन भूल गये तुम सब-कुछ माँ की स्तुति मंजूर नहीं है मैं मानूं ये

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मीठा

16 अगस्त 2023
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मीठा खाय जग मुआ, तीखे मरे ना कोय, लेकिन तीखे बोल ते, मरे संखिया सोय ॥ @नील पदम् 

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नींदें और ख़्वाब

22 अगस्त 2023
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कुछ नींदों से ख़्वाब उड़ जाते हैं                 और कुछ ख़्वाबों से नींदें उड़ जातीं हैं @नील पदम् 

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मन में जैसा घटेगा

26 अगस्त 2023
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मन में जैसा घटेगा क्यों लिखूँ, सिर्फ छंदबद्ध तुकांत कविताऐँ । आपकी सलाह- आपके मशविरा का शुक्रिया, आपकी डांट भी सर-माथे पर लेकिन माफ़ कीजियेगा ये जो मात्राएँ और तुक नापते हुए चलते हैं जब तो

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इंसानियत का क़त्ल

26 अगस्त 2023
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क्यों इंसानियत के क़त्ल हो रहे हैं हर जगह, मजहब-ए-इंसानियत को कोई मानता नहीं, मशरूफ हैं औरों के हक पर निगाहें गड़ी  हुईं,    कोई  अपने हक की बात क्यों जानता नहीं ।   @नील पदम्               

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असंवेदनशील होती रिपोर्टिंग

26 अगस्त 2023
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इन सब रिपोर्टिंग की आवश्यकता तो थी ताकि लोग जागरूक हों और अच्छे और बुरे लोगों को अलग अलग किया जा सके लेकिन इस तरह की घटनाओं में धर्म के खुलासों की जरुरत नहीं थी धार्मिक दृष्टिकोण को अहमियत देने की आवश

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इसरो का आदित्य है

2 सितम्बर 2023
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02 सितम्बर,  २०२३ को इसरो ने सूर्य के अध्ययन के लिए अपना आदित्य L 1 मिशन लांच किया ।  मंगल मिशन, चंद्रयान मिशन के बाद हम आदित्य मिशन के भी साक्षी बन रहे हैं जिससे हम गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं।   इसर

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गुरु

3 सितम्बर 2023
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शब्द ही सबसे बड़े गुरु हैं,  शर्त है मन छप जायें, मीठे ते अनुकूल करे,  कड़वे भी देत मिलाय , किसी  तरह का  शब्द बाण मन के अंदर गड़ जाये, चेला बाद में सोचता, जब जीवन ध्येय वो  पाये ।            @नी

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शब्द गुरु

3 सितम्बर 2023
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शब्द ही सबसे बड़े गुरु हैं ।   कभी गौर कीजियेगा ।  गुरु गोविंद दोउ खड़े,  काके लागूं पाएं  बलिहारी गुरु आपकी,  जिन गोविंद दियो बताय । उपरोक्त में "बताय" शब्द का क्या मतलब है।  किसी ने बताया।

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शर्म

3 सितम्बर 2023
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राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के एक गांव में 21 वर्षीय एक आदिवासी महिला को उसके पति ने नग्न कर घुमाया। यह घटना कैमरे में रिकॉर्ड हो गई और इस शर्मनाक घटना की क्लिप अब वायरल हो गई है। यह घटना गुरुवार को

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कृष्ण छवि

7 सितम्बर 2023
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कृष्ण छवि  को निहारता मैं,  बांके बिहारी धाम रे,  कौन बताएगा मुझे अब,  क्या है हमारा नाम रे ।  अस्तित्व सम्मिलित हो गया, प्रभुजी के ही नाम में,  कैसे कहूँ कृष्णा अलग,  और है अलग मेरा नाम रे ॥      

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कहाँ छिपा है

7 सितम्बर 2023
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कृष्णा मुझे बता दे  जाकर कहाँ छिपा है,  घंटे हैं चार बीते मैया को न दिखा है,             मैया को सब पता है तेरी शैतानियाँ बहुत हैं,  नादान बचपने की  कहानियाँ बहुत हैं ।   @नील पदम्        

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बँसी

7 सितम्बर 2023
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कृष्णा तुम्हारी  बँसी, सबको लगे पुकारे,  जिसने भी इसे सुना है, कहे नाम है हमारे ।   @नील पदम्            

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मलाल

10 सितम्बर 2023
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ख्वाहिशों के कितने भी पूरे हुए मुक़ाम, अगली को उठ खड़ा हुआ मन में नया मलाल । @नील पदम् 

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जयपुर के ऑटो ( jaipurautoscam )

13 सितम्बर 2023
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कुछ वर्षों पहले जयपुर गया था । क्योंकि यात्रा पूर्व-निर्धारित न होकर अकस्मात् थी इसलिए कोई भी होटल बुक नहीं किया हुआ था ।   रेलवे स्टेशन पर बैठ कर मोबाइल पर किसी होटल की अच्छी लोकेशन देखकर बुक करने

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जयपुर का टैक्सी स्कैम

15 सितम्बर 2023
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द्वितीयअनुभव    परिवार के साथ हमारी जयपुर यात्रा के दौरान, मैंने स्थानीय टूर ऑपरेटरों से संपर्क किया। वह कोई मुश्किल काम नहीं था. मुझे अपने होटल के पास ही एक टूर ऑपरेटर मिल गया। हमने अगले दिन ज

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अनैतिक प्रतिबन्ध

16 सितम्बर 2023
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I. N. D. I . अलायंस का पत्रकारों पर लगा प्रतिबन्ध सोचने पर मजबूर करता है ।  कुछ पत्रकारों पर  प्रतिबन्ध लगाना कहाँ से उचित है ।   देश विरोधी पत्रकारों का विरोध भी तो करना चाहिए।  अगर  कुछ भारत क

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ऑस्ट्रलिया में है एक पाताल लोक

16 सितम्बर 2023
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ऑस्ट्रेलिया में एक छोटा सा गांव कूबर पेडी हैं। यहां के अधिकांश लोग अंडरग्राउंड घरों में रहते हैं। यहां ओपल की कई खदानें हैं। अधिकांश अंडरग्राउंड सिस्टम खुदाई के मकसद से ही बनाए गए थे। खदान के मज

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दिनकर से प्रेरित

23 सितम्बर 2023
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आज  राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की  जयंती  दिवस  23  सितम्बर  को श्रद्धांजलि स्वरुप उनकी कविता सिंहासन खाली करो कि जनता आती है से प्रेरित मेरी कविता प्रस्तुत है।  जनता सहती सबकुछ चुपचाप, जैसे शां

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बेटियाँ

24 सितम्बर 2023
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मेरी प्यारी सी बच्ची, पहले बसंत की प्रतीक्षा में, लेटी हुई एक खाट पर मेरे घर के आँगन में। प्रकृति की पवित्र प्रतिकृति एकदम शान्त, एकदम निर्दोष अवतरित मेरे घर परमात्मा की अनुपम कृति। देखत

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बेटियाँ और सामाजिक रीति

24 सितम्बर 2023
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बेटियाँ बहुत प्यारी होती हैं । बहनें भी बहुत प्यारी होती हैं । माँ-बाप और भाई आजीवन उनपर अपना स्नेह-प्यार लुटाते रहते हैं। पर, ये बेटियाँ या बहने आखिरकार होती तो लडकियाँ ही हैं जिन्हें दुनिया के दस्तू

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द्वितीयं नास्ति एकम स्वरूपं

25 सितम्बर 2023
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एकात्म मानववाद एक राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में  पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी  द्वारा तैयार की गई अवधारणा थी   और 1965 में जनसंघ के आधिकारिक सिद्धांत के रूप में इसे  अपनाया गया था। इस सिद्धांत की व्याख्य

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मैं पुरखों के घर आया था

30 सितम्बर 2023
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पता पिता से पाया था मैं पुरखों के घर आया था एक गाँव के बीच बसा पर उसे अकेला पाया था । माँ बाबू से हम सुनते थे उस घर के कितने किस्से थे भूले नहीं कभी भी पापा क्यों नहीं भूले पाया था । जर्जर ए

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चौड़ी दरार

3 अक्टूबर 2023
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कितनी भी चौड़ी दरार हो,  तुमको तो बस कि नहीं हार हो,  किसी भी हद तक भाड़ में जाएँ, हाथ  उपहार, गले में हार हो ।                         

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भूकम्प और त्रासदी ( क )

4 अक्टूबर 2023
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सृष्टि  ने जो रच दिया, सब उसको रहे बिगाड़, तभी सृष्टि-दृग तीसरी, सब छन में करत कबाड़ । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

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भूकम्प और त्रासदी ( ख )

4 अक्टूबर 2023
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काट दिए सब पेड़ औ,  सब पर्वत दिए उखाड़, धरती का पानी सोखकर,  मिट्टी भी दई उजाड़ । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                     

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भूकम्प और त्रासदी ( ग )

4 अक्टूबर 2023
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नदियों में घोला जहर,  वन में लगाई आग,  वो दिन अब न दूर हैं,  कोसत रहियो भाग । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                 

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भूकम्प और त्रासदी ( घ )

4 अक्टूबर 2023
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जहरीली कर दी हवा, प्रतिदिन गरल मिलाय, कैसे-कैसे कर्म हैं, मानवता मिट जाए। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

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हे ईश्वर अवतार लो

8 अक्टूबर 2023
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क्या वजह करते फिरें  क्यों वो राक्षसी कृत्य  मानव को मानव खा रहा  करते  दानवी  नृत्य।  आखिर क्या इनको चाहिए  पूछो  इनसे  जाय, कौन सी इनकी सोच है  जो मानवता को खाय। आतंकी ये सोच राक्षसी  कैसे

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आरी चलने की आवाज

8 अक्टूबर 2023
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ऐ भाई ! जरा देख कर चलो जरा संभल कर चलो पर उससे पहले जाग जाओ | कब तक आँखें बंद कर काटते रहोगे वही पेड़ जिस पर बैठे हो तुम, ऐसा तो नहीं कि आरी चलने की आवाज तुम्हें सुनाई नहीं देती,  या तुम्हारी

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लौह पुरुष

31 अक्टूबर 2023
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आजाद हुए थे जिस दिन हम  टुकड़ों में देश के हिस्से थे,  हर टुकड़ा एक स्वघोषित देश   था छिन्न-भिन्न भारत का वेश।     तब तुम उठे भुज दंड उठा भाव तभी स्वदेश का जगा  सही मायने पाए निज देश।  थी गूढ़ पहे

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दीप जलते रहें अनवरत-अनवरत

4 नवम्बर 2023
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दीप जलते रहें अनवरत-अनवरत  आओ सौगंध लें, आओ लें आज व्रत ।  दीप ऐसे जलें, न अन्धेरा  रहे  शाम हो न कभी, बस सवेरा रहे, रौशनी की कड़ी से कड़ी सब जुड़ें  रौशनी प्यार की बिखरी हो हर तरफ ।  दीप ज

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अर्ध्य दिया है सूरज तुमको

15 नवम्बर 2023
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हे दिनकर अहसानमंद हम तुमसे जीवन प्राण पाएं हम चले पवन और बरसें बादल झूमे मन हो मतवाला हो पागल हो  हरा भरा पृथ्वी का आंचल क्या क्यों हिमनद क्या विंध्याचल क्या सरयू क्या यमुना क्या गंगा उत्तंग

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ये हार नहीं अंत है

21 नवम्बर 2023
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ये सिर्फ एक हार है  भले ही कुछ बड़ी हो पर ये अंत कदापि नहीं ........................                   शूरवीरों की तरह लड़ते हुए ज़ख्मी हुए ज़ख्मों को भी अस्त्र सा संभाल लीजिये,  आगे भिड़े तो शत्र

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छब्बीस-ग्यारह (मुम्बई) _ 26/11 (श्रद्धांजलि)

27 नवम्बर 2023
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सागर के सीने से निकले थे, काल सरीखे नाग। मुम्बई में बरसाने आये थे, जो जहरीली आग ।। रण रिपु छेड़ रहा था लेकिन, हम थे इससे अन्जान। छब्बिस ग्यारह दिवस ले गया, कई निर्दोषों की जान ।। तांडव कर

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लोकतंत्र का मंदिर

17 दिसम्बर 2023
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लोकतंत्र  का  मंदिर  इनको   फूटी  आँख  न  भाये,  इस  मंदिर  की  मर्यादा  को   ये  कब  समझ  हैं  पाये,  लोकतंत्र  इनकी  फ़ितरत  को   जँचता  कभी  नहीं  है,  कभी  सुशासन  पलड़ा  भारी   लगता

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कोई नई जगह ढूंढ लो

24 दिसम्बर 2023
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तुम अब घर से बाहर भी मत निकलना और तुम मत अब घर के भीतर भी रहना । मत सोचना कि चंद्र और सूर्य पर या फिर इस पृथ्वी पर एक देश में, किसी शहर में किसी गांव में या मोहल्ले में या फिर किस

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ओ माँ, मेरी मातृभाषा

7 जनवरी 2024
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थकती हैं संवेदनाएँ जब तुम्हारा सहारा लेता हूँ, निराशा भरे पथ पर भी तुमसे ढाढ़स ले लेता हूँ, अवसाद का जब कभी उफनता है सागर मन में मैं आगे बढ़कर तत्पर तेरा आलिंगन करता हूँ, सिकुड़ता हूँ शीत में जब

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शुभकामना

10 जनवरी 2024
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शब्द. इन परिवार को विश्व हिंदी दिवस की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें ।              दीपक कुमार श्रीवास्तव "नीलपदम्"              

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देखें क्या है राम में ......... (पूरी रामचरित मानस अत्यंत संक्षिप्त शब्दों में)

21 जनवरी 2024
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देखें क्या है राम में, चलें अयोध्या धाम में, तैयारी हैं जोर-शोर से सभी जुटे हैं काम में । कौन राम जो वन को गए थे, छोटे भईया लखन संग थे, पत्नी सीता मैया भी पीछे, रहती क्यों इस काम में ।

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सन्देश खाली है

22 फरवरी 2024
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सन्देश खाली है यही  कुछ भी नहीं है यहाँ सही, जानवर भी इनसे अधिक मनुष्यता के समीप हैं ।       कुकृत्य इनके राछ्सी इंसानियत की न बास भी, दंश देते बिच्छुओं से  जहर भरे जीव हैं ।  हैं दण्ड के पात्

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डर्टी पिक्चर (Dirty Picture)

22 जून 2024
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  दौड़त-दौड़त सब गए,  देन परीक्षा नीट,  लेकिन डर्टी पिक्चर थी,  कुछ भी नहीं था ठीक,  कुछ भी नहीं था ठीक, लीक थी पूरी टंकी,  लगने लगा है कि आयोजन था सब नौटंकी, आयोजन था सब नौटंकी, नौटंकी होती रि

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चमन का लाल अमन

10 अगस्त 2024
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एक पदक से चूकते,  चढ़ गई सबको भाँग,  सब सोचें कि कैसे लें, इस अवसर को भांज,   राजनीति करते हुए, अपने बर्तन चमकायें,  कैसे इस मौके पर अपनी बढ़त बनायें, अपनी बढ़त बनाते वो लें जब तक बर्तन माँज,  ये सप

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युवा

13 अगस्त 2024
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तेज है, औ वेग है, है गति, संवेग है, अग्रता है, है त्वरण, स्फुरण, तरँग है, ओज रग-रग भरा, मन में उमँग है, कुलाँच भर रहा हृदय, ऊर्जित हर अंग है, जोश की कमी नहीं, होश का भी संग है, हर तरफ बिखेरत

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नारी, पत्नी, गृहिणी

24 अगस्त 2024
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एक गृहिणी को दे सकें,  वो वेतन है अनमोल,  कैसे  भला  लगाइये,  सेवा, ममता का मोल ।  चालीस बरस की चाकरी,  चूल्हा बच्चों के चांस,  शनै: शनै:  रिसते रहे,   रिश्ते - जीवन - रोमांस ।  पति पथिक ब

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पहचानो बदले भेष बहुरूपिये

28 अगस्त 2024
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खोद-खोद कर खाइयाँ खोद रहें हैं देश, लूट रहे हैं माल सब बदल-बदल कर भेष, बदल-बदल कर भेष चक्र ऐसा वो चलायें, खुदी हुई खाई की चौड़ाई नित और बढ़ायें। जब ऐसी हो सोच आये कैसे समरसता, कैसे होय सुधार

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