क्या वजह करते फिरें
क्यों वो राक्षसी कृत्य
मानव को मानव खा रहा
करते दानवी नृत्य।
आखिर क्या इनको चाहिए
पूछो इनसे जाय,
कौन सी इनकी सोच है
जो मानवता को खाय।
आतंकी ये सोच राक्षसी
कैसे जगत समाय,
हे ईश्वर अवतार लो अब
देओ इसे समूल मिटाय ।
8 अक्टूबर 2023
क्या वजह करते फिरें
क्यों वो राक्षसी कृत्य
मानव को मानव खा रहा
करते दानवी नृत्य।
आखिर क्या इनको चाहिए
पूछो इनसे जाय,
कौन सी इनकी सोच है
जो मानवता को खाय।
आतंकी ये सोच राक्षसी
कैसे जगत समाय,
हे ईश्वर अवतार लो अब
देओ इसे समूल मिटाय ।
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दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्" रोटी के जुगाड़ से बचे हुए समय का शिक्षार्थी मौलिकता मेरा मूलमंत्र, मन में जो घटता है उसमें से थोड़ा बहुत कलमबद्ध कर लेता हूँ । सिर्फ स्वरचित सामग्री ही पोस्ट करता हूँ । शिक्षा : परास्नातक (भौतिक शास्त्र), बी.एड., एल.एल.बी. काव्य संग्रह: इंद्रधनुषी, तीन (साझा-संग्रह) नाटक: मधुशाला की ओपनिंग सम्पादन: आह्वान (विभागीय पत्रिका) सम्प्रति: भारत सरकार में निरीक्षक पद पर कार्यरत स्थान: कानपुर, मेरठ, रामपुर, मुरादाबाद, नोएडा, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)D
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17 अक्टूबर 2023