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दीए की लौ

24 मार्च 2022

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दीए की लौ को थरथराते देखता रहा,

हवा के प्रभाव से हिचकोले खा रही,

इधर उधर डोलती लौ अपने अस्तित्व

को हर हाल में बचाने का प्रयास कर रही,

जब तक तेल की एक बूंद है लौ जलती

रहेगी,

अपने होने के एहसास को जिंदा रखेगी,

जब बाती भी जल कर चुक जायेगी

दीए की लौ भी अस्तित्व हीन हो जायेगी ।।

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रचनाएँ
तेरे नाम जिंदगी
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मैं सहदेव सिंह एम ए बी एड ब्लागर, लेखक, कवि, मेरे लेख एवं कविताएं जीवन के व्यक्तिगत अनुभूतियों की प्रतिलिपी हैं । मैंने जिंदगी के हर दौर बहुत से उतर चढाव महसूस किए और उनसे जिंदगी का जो मतलब समझ आया वही लिखने को कोशोस किया । ३ अक्टूबर २०२० मेरे जीवन का वो दिन है जिसने मुझे एक ऐसा चोट दिया को अब जीवन भर रहने वाला है, एक एक्सीडेंट में मैं अपने बाएं हाथ और पैर से विकलांग हो गया और विगत दो सालों से घर पर रहने को मजबूर हो गया । अपने समय को अपनी अनुभूतियों को समर्पित कर दिया और लेखनी के सहारे अपने अनुभवों को लोगों से साझा कर रहा हूं ।
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Light of Hope

15 मार्च 2022
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Hope is the key of life saving instruments in every human being. Life circle moving human desires a d hope.When we set our life goal hope is motivational instrument to govern human activity in right d

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Truth Universal

15 मार्च 2022
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It is Universal fact that truth never ,Defeat because truth is God, Everything in univrse is false except God. God is creator of universe,we all living in god regime , always pray to god his devine an

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Prime Minister Modi Ji

15 मार्च 2022
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Narendra Damodardas Modi is an Indian politician serving as the 14th and current prime minister of India since 2014. He was the chief minister of Gujarat from 2001 to 2014 and is the Member of Parliam

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मानव मन

15 मार्च 2022
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उड़ जा तूं अनंत क्षितिज मेंवहां का संदेश लेकर आ,धरती जैसा हाल वहां भी हैआकर तूं बतलाता जा,तेरी गति पवन से भी तेज,तूं अंबर तक पहुंचेगाअंबर में सब देवी देवतादेवलोक में तूं विचरेगा ।।हे मन मानव रूप तुम्ह

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तुला

15 मार्च 2022
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जब अपने अंतरात्मा से पूछेगा इंसानउसको जवाब मिल जायेगा खुद कोजीने के लिए सभी जीते हैं जिंदगी,उद्देश्यहीन होकर नहीं ईश्वर की बंदगी,जीवन सभी का मूल्यवान है खुद के लिएअपनों की लिस्ट में जो नाम हैंउन सबके

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गम हमसफर

15 मार्च 2022
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खुशी की तलाश में निकला,गम राह में खडा था,गले लगा लिया,अब साथ साथ चलता है,दामन से चिपका रहता है,मिन्नते करता हूँ,ना छोड़ने की जिद्द करता है,चंगुल में ऐसा जकड़ लिया,मुझको गले लगा लिया ।कहता हूँ मेरे भाई

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अनाथ आश्रम

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प्रस्तावना: दोस्तों आज मैं एक कहानी सुनाता हूं जो आज कल समाज में विस्तार कर रहा है, बुजुर्ग माता पिता को उनके ही बेटे बहु अनाथ आश्रम में भेज देते हैं क्योंकि उनको अब उनकी परवरिश भार लगती है । कभी कभी

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रिश्तों की सच्चाई

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कभी कभी पराए रिश्तेखून के रिश्तों पर भारी पड़ जाते हैं,इंसानी रिश्तों का बंधन निःस्वार्थ होता हैजिसका आधार सिर्फ प्यार और समर्पणहोता है,इसमें कोई लेन देन नहींकोई गिला शिकवा नहींएक अनजाने अटूट बंधन का

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विश्व युद्ध की आहट

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नफरतों के सौदागर कहां प्रेम कीबात करते हैं,वे तो अहंकार में सिर्फ हिंसा मेंविश्वास करते हैं,युद्ध के मुहाने पर विश्व खड़ा है,यूक्रेन रूस की निगाहों में गड़ा है,गोला बारी तबाही में अवाम खड़ी है,जीवन का

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विकास से विनाश की ओर

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विकास से विनाश की तरफ कदमबढ़ाया है,इंसान स्वयं विनाश का कुंडी खटखटायाहै ।चारों तरफ हाहाकार है,परमाणु युद्ध के मुहाने पर विश्वसमुदाय है ।क्या होगा जब परमाणु युद्ध शुरू होजायेगा ।दुनिया अपने ही विनाश का

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New Politics in India

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2022 election shows new political scenario in Indian politics, we can imagine mostly 8 years old party Aam Aadmi Party break all winning records in Punjab election. New candidate win the election, the

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बदलते रिश्ते

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हमारे सपने हमसे रूठ जाते हैं,हमारे अपने हमसे रूठ जाते हैं,यह वक्त की नजाकत है या कुछ और,गर्दिश में तो सारे रिश्ते नाते छूट जाते हैं ।किसी को दोष देना भी नहीं इंसाफ होगा,समय जब साथ ना हो कुछ भी खास ना

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कविता ज्ञान ज्योति

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कविता शब्दों की जुगल बंदीया कल्पनाओं की अभिव्यक्ति,कवि के सोच के सागर की सकारात्मकविचारों का संकलन ।जो भी हो कविता समाज, देश कालजन्य परिस्थितों की सूत्रधार होती है,कविता समाज को नई दिशा देने कामाध्यम

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शहीदों के नाम

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जिन वीरों ने देश की आजादी के लिएखुद को कुर्बान किया,उन वीर सपूतों को शत बार नमन,हंसते हंसते फांसी पर झूल गए उनशहीदों को शत बार नमन ।वो दीवाने थे जिनके दिलों में मां भारतीके आजादी की लौ जलती रही,खुद को

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24 मार्च 2022
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दरारें

2 अप्रैल 2022
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जो पुल बनाया था इंसानियत का सदियों से,आज उसमें दरारें आ गई हैं,जाति मजहब धर्म मंदिर मस्जिद के भार सेरेखाएं आ गई हैं,जो जोड़ दर परत दर लगा था ईंट गारों का,नफरत की सियासत से गिरने को आई हैं,जो धागे बुने

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