माँमाँ हर गम की दवा होमाँ हर बदुआ की दुआ होमाँ हर मुश्किल की तुम हल होमाँ तुम चलती फिरती बैंक होमाँ तुम हर रिश्ते की तुरपाई होमाँ तुम ही तो खुशियों की चाबीफिर माँ क्यों रहती हो तन्हाई मेंकभी क्य
शीर्षक --मजदूर हाँ मैं मजदूर हूँ,लेकिन कमजोर नही हूँ,खून पसीने बहाता हूँ,फिर भी मजबूर नही हूँमेहनत से कमाता हूँ,देश का आधार हूँ,मत करो मुझसे,भेदभाव,सब कुछ भूल कर,हम मेहनत मजदूरी करते हैं।खुद के
शीर्षक --देश का मसीहा देश का एक मसीहा बनके आया थासुख सुबिधाओं को जिसने ठुकराया थातूफानों से टकरा कर जिन्होंने नेहम सब को स्वाभिमान से जीना सीखलाया थावो कोई और नही थे बाबा साहब थे जिन्होंने भ
शीर्षक --जालियावाला बागजालिया वाले बाग में सारे हिंदुस्तानी थे जब ये लिखी गई खुनी ये कहानी थी सब नारे लगा रहे थे इंकलाब कीज़ब दुनिया आजादी के दीवानी थीहिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब भूल कर ज़बअत
शीर्षक ---स्वस्थ तनजादूई शाम किस काम काबिना स्वास्थ केहम स्वस्थ रहेंगे तभी तोजादुई शामबनेगीसुहानी शामवरना बन जाएगीतन्हाई शाम तोजादुई शाम के लिएहमें और अपनेआस पास वाले को भीस्वस्थ रखना है तभ
शीर्षक - भक्त हनुमान वो राम भक्त हनुमान सारे जग में बलवानवही तो कहलाते जग में महान भक्तों पर दया भी करनारात दिन जो करे तुम्हरे वंदनबस इतनी सी अरज सुन लोमहान सुजान प्रभु
शीर्षक ---दोस्त जिंदगी में दोस्त बहुत ही प्यारा होता है।जब एक अजनबी दिल के राजदार हो जाता है।जो साथ दे वही तो सच्चा दोस्त होता है।जो जिंदगी जीना सिखाये वही तो सच्चा दोस्त होता है।जो सही रास्ता दि
शीर्षक --राम की कृपाकृपा सिंधु सुखधाम राम जिनके चरणों में बैकुंठ धाम जो करते सारे सांसर का कल्याणभजो रात दिन उनका नामवही तो बना देंगे सारे तेरे बिगड़े काममुश्किलों से न घबरानाहमेशा मिले
शीर्षक ----अलविदा बचपन अलविदा बचपन कैसे कह दूँये तो यादों में हर पल रहता है।बचपन का घर जहाँ रहती थी,बचपन की सारी खुशियाँ होती थी।जहाँ दादा दादी का प्यार होता था,जहाँ माँ बाबा का लाड़ होता थ
शीर्षक ----अलविदा बचपन अलविदा बचपन कैसे कह दूँये तो यादों में हर पल रहता है।बचपन का घर जहाँ रहती थी,बचपन की सारी खुशियाँ होती थी।जहाँ दादा दादी का प्यार होता था,जहाँ माँ बाबा का लाड़ ह
शीर्षक --शिवशिव और शक्ति की कर लो भक्तिसच्चे मन से भक्तों होगी सारी इच्छाओं की प्राप्तियही तो आदि भी हैं अनंत भीइन्हीं से होती है प्रेम की अनुभूतिहर हर महादेव जय महाकाल सुकूनमहाश
जिस प्रकार रसोई में किसी भी प्रकार का व्यंजन बनाने के लिये उसमें मिर्च मसाला तेल व छौंक का प्रयोग कर उस सब्जी को पूर्ण किया जाता है वैसे ही अब जितने भी प्रकार के भारत देश के कोने कोने में शहरो में जो
शीर्षक --नमन शहीदों को देश भक्ति के लिए खुद को,कुर्बान कर दिए। इश्क से बढ़कर मिशालदे गए।बिना अपने जान की परवाह किये,खुद को देश के लिए निसारकर गएऐसे इश्क में खुद को कुर्बानहोकरभारत वासिय
महिला क्या है- माँ की कोख से पैदा हुई नन्ही सी परी पापा की उंगली पकड़कर जो थी चली जिसने अपने चरणों से किया था खुशियों से सराबोर अपने घर को माता व पिता के सपनों को पूरा किया था जिसने अपने संघर्षों से एक
किसी भी विषय या वस्तु मे इंसान की औकात की रूपरेखा को देखने व दिखाने के लिये जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है उसे शर्त कहते है अब बात करे बिना शर्त के प्यार की तो बिना शर्त के आज की दुनिया में कुछ भी सं
गृहणी शब्द का अगर सन्धि विच्छेद करे तो ग्र +हरणी अर्थात जो घर की सभी बाधाओं को हर ले उसे हम गृहणी कहते है एक गृहणी का जीवन कितना संघर्षमय और कठिनाईयों से भरा होता है यह सिर्फ एक गृहणी ही जानती है एक ग
आम जनता महंगाई व रोजगार के लिये त्रस्त है और उद्योगपति भारत के सभी संसाधनों में अपना निवेश कर उन्हें खरीद कर नीलामी कर रहे है उद्योगपतियों के रास्ते पर ही सरकारें चल रही है और अपने आने वाले चुनाव में
हंसी मुखड़ा, मेरे वीरों, दिखा जाते , तो क्या होता ? मेरी इस दिल की दुनिया में, समा जाते, तो क्या होता ? न रहता गम ज़माने का, न कोई चिंता ही रह जाती । दीवाना देश का, मुझको बना जाते, तो क्
हंसी मुखड़ा, मेरे वीरों, दिखा जाते , तो क्या होता ? मेरी इस दिल की दुनिया में, समा जाते, तो क्या होता ? न रहता गम ज़माने का, न कोई चिंता ही रह जाती । दीवाना देश का, मुझको बना जाते, तो क्
हंसी मुखड़ा, मेरे वीरों, दिखा जाते , तो क्या होता ? मेरी इस दिल की दुनिया में, समा जाते, तो क्या होता ? न रहता गम ज़माने का, न कोई चिंता ही रह जाती । दीवाना देश का, मुझको बना जाते, तो क्