गृहणी शब्द का अगर सन्धि विच्छेद करे तो ग्र +हरणी अर्थात जो घर की सभी बाधाओं को हर ले उसे हम गृहणी कहते है एक गृहणी का जीवन कितना संघर्षमय और कठिनाईयों से भरा होता है यह सिर्फ एक गृहणी ही जानती है एक गृहणी ही घर को पूर्ण करती है या यूं कहे की बिना गृहणी के घर की परिभाषा को भी गड़ा नही जा सकता है गृहणी ना हो तो सुबह,दोपहर,शाम का खाना भी परिवार के सदस्यों को नही मिलेगा एक गृहणी ही जिस प्रकार अपने घर के सभी सदस्यों को लेकर के चलती है उसकी परिभाषा को व्यक्त नही किया जा सकता है जिस प्रकार जीवन आधुनिक होता जा रहा है उसको मद्देनजर रखते हुये आज गृहणी जहां नौकरी,व्यवसाय हर तरफ अपनी मेहनत के बलबूते पर चमक रही है और साथ ही साथ अपने परिवार के सदस्यों का भी भरण पोषण का दायित्व भी निभा रही है शायद ईश्वर ने इसलिये
ही इसे शक्ति का अवतार कहां गया है क्योंकि इतनी शक्ति केवल ईश्वर के रूप मां जगदंबा में ही है जो की सभी स्त्रियों में विदमान है शायद इसलिये ही हर स्त्री को शक्ति का अवतार कहां गया है क्योंकि इतनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करने के लिये जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है उसको आज साकार एक स्त्री ही कर रही है लेकिन विडंबना आज की दुनिया की यह है की स्त्री कितना भी परिवार के लिये कर ले उसको सम्मान उस स्तर का नही मिलता है एक स्त्री ही होती है जो विवाह कर दूसरे घर में प्रवेश करती है और नित्य ससुराल के दु:ख दर्द को पीती रहती है किन्तु अपना दर्द बयां नही करती है |