6 सितम्बर 2022
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प्रेम है तो श्रृंगार है विरह है वेदना है पर जो भी है सब दिल के करीब है ...💞 मैं और मेरा प्रेमी ही मेरी कलम है, यूँ तो बहुत बड़ी कवियित्री नही हूं, पर प्रेम को अपने काव्य में रखने का शौक पूरा करती हूं। प्रसिद्ध किताबें :- काव्या की काव्यांजली, नारी जीवन दर्पण, काव्यांशी जीवन के रंग, लफ्ज़ों की लहरें, प्रेम डगर, हाल ए दिल......... आशा है रचनाओं में आप जीवन और प्रेम की वास्तविकता को महसूस करेंगे 🙏 काव्या सोनीD
बिल्कुल सही लिखा आपने मेहनत रंग जरूर लाती है 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏
14 दिसम्बर 2023
True aapki bat bilkul sahi hai aise log kabhi nahi samjh sakte or jb apne lakshy me asafal ho jate hai to or baukhala hate hai to samne wale ko hi galat thahrate hai jhuth ko chikh chikh kr sabit krna padata sach khamoshi se ujagar ho jata hai
6 सितम्बर 2022
सही कहा है काव्या सोनी जी ।लोग स्वयं गलत काम करते है और दूसरों से अपेक्षा रखते है कि वो गलत तरीके से आगे ना बढ़े।कयी लोगों की ये मानसिकता होती है उनको गलत साबित भी कर दिया जाएं तो वो मानने को तैयार नही होते कि वो गलत है। अब आप हमारी ही किताब पर ले लीजिए।लोग ऐसे बदतमीज होते है ऐसी ऐसी समीक्षा देकर रेटिंग गिराते है कि पूछिए मत।वो बीमार मानसिकता से ग्रस्त होते है।आप मन छोटा ना करें।
6 सितम्बर 2022
सही कहा मैम ऐसे लोगों का कोई इलाज नहीं है ऐसे लोग कभी सफल नही होते आपके साथ ऐसा हुआ जानकर बुरा लगा
Bilkul sahi kaha aapne....sb apni apni mehnt se aage bdte hai...
6 सितम्बर 2022