डियर काव्यांक्षी कैसी हो प्यारी🥰मैं तो मजे में हुं।आज विषय मिला नारीवाद , काव्यांक्षी नारीवादी विचारधारा मुख्य रूप से स्त्री-पुरुष भेदभाव से जुड़ी है तथा यह स्त्रियों की भूमिका और अधिकारों से संबंधित है।स्त्रियों की पराधीनता और उनके प्रति होने वाले अन्याय पर ध्यान देकर इनके प्रतिकार के उपायों पर विचार करना नारीवाद है। वैसे काव्यांक्षी उपाय पर विचार तक ही सीमित है नारीवाद पता है शब्दों में सिमट कर रह गए है सारे उपाय अभी तक उपयुक्त उपाय कहां मिल पाए है। आज दौर बदल गया पर सोच अभी भी रूढ़ी वादी है , आज भी किसी भी क्षेत्र में औरत का सफल होना असहनीय है, अगर बड़े जतन और संघर्ष के बाद सफल हो भी जाए तो भी ये ही कहा जाता है जरूर अपने बॉस से निजी संबंध बनाए होगें,अगर सहकर्मी से सहजता से बात कर ले तो भी चरित्र पर सवाल , परिधान से संस्कार आंके जाते है, अगर कोई छेड़छाड़ या बतमिजी करें तो भी कहा जाता है, जरूर इसी ने रिझाया होगा, बलात्कार जैसी घटना हो तो भी लडकी को जिम्मेदार ठहराते है।
काव्यांक्षी तुम ही बताओ नारीवाद पर भाषण कहा तक असमानता का भेद मिटा पाया है। लेकिन काव्यांक्षी इतने सब के बाद भी औरत हर नही मानती निरंतर आगे बढ़ने के प्रयास करती है और अपने अधिकार के लिए संघर्ष करती है।
फूल हम
हम है कलियां
महकते जीवन की
खुशियों की हम गलियां
खिलने से पहले मुरझा देते हो
फूलों को भी रौंदने चले आते हो
महकने से कैसे रोक पाओगे
अब जो जख्म दिए
कांटो की चुभन भी पाओगे
ना अबला न बेचारी हम
अब चंडी काली रूप धरे
ना खंडित करना मान हमारा
बदनीयती से न करीब आना
ज्वाला बन हम भस्म करें
तितलियां हम
ख्वाब आसमानों के
लगाए चाहे कोई लाख पहरे
ना रोक पाओगे
हमारी उड़ान को
रहना हमसे परे
हम राहें भी बनायेगे
मंजिले भी पाएंगे
गिरकर संभालना भी हमें आए
पूरे करेंगे ख्वाब सारे
जिन्हे शिद्दत से है सजाए