यह कहानी है दो दोस्तों की जो अपने अतीत के सामने एक बार फिर आकर खड़े हैं और अपनी भावनाओं के वश मे कुछ इस कदर हैं की जिसका अंजाम केवल अंत था।
राष्ट्रकवि दिनकर के इस 'वेणुवन' में लेख भी हैं, निबन्ध भी और काल्पनिक संवाद भी। यह चिन्तन-मनन के अभयारण्य की तरह है जिसका आकर्षण और प्रभाव अन्त तक बना रहता है। इसमें शामिल हर पाठ अपने रंग में रँगने की क्षमता रखता है। 'अर्धनारीश्वर' में दिनकर नर-नारी
सखी की सखी से बात ,इन त्योहारों का साथ ,मन के जज्बात क्या बात, क्या बात , क्या बात । अब के माह कुछ विशेष है सखी बताएं गे समय पर।
( सामान्य सा एक हाट की गहमा गहमी है। एक पंडित जी और एक क्षत्री एक साथ तकरार की मुद्रा में एक साथ उलझतेहुए दिखते है।) क्षत्री : महाराज देखिये बड़ा अंधेर हो गया कि ब्राह्मणों ने यह व्यवस्था दे दी है कि अब कायस्थ भी क्षत्री हैं। कहिए अब कैसे कैसे राज का
यह एक बहुत ही दर्द भरी प्रेम कहानी है जो कि एक स्कूल लव स्टोरी है इसे पढ़ने के बाद आपकी आंखो में आंसु आ जाएगा
अगस्त महीने की डायरियों का संग्रह
मेरा पहला प्रयास डायरी लेखन का आशा है आप को मेरे आसपास घटित होने वाले अनुभव पसंद आये।
इन प्रवचनों में महावीर वाणी की व्याख्या करते हुए ओशो ने साधना जगत से जुड़े गूढ़ सूत्रों को समसामयिक ढंग से प्रस्तुत किया है। इन सूत्रों में सम्मिलित हैं--समय और मृत्यु का अंतरबोध, अलिप्तता और अनासक्ति का भावबोध, मुमुक्षा के चार बीज, छह लेश्याएं: चेतन
मैं पाँचवाँ पैग़म्बर हूँ. दाऊद, ईसा, मूसा, मुहम्मद ये चार हो चुके. मेरा नाम मूसा पैगम्बर है. मैं विधवा के गर्भ से जनमा हूँ, और ईश्वर अर्थात् खुदा की ओर से तुम्हारे पास आया हूँ. इससे मुझ पर ईमान लाओ, नहीं तो ईश्वर के कोप में पड़ोगे.
आज की युवा पीढ़ी अपने नियमों से दूर हो रही है , और हम इस बात को लेकर बस बाते करते है। क्या कारण है ये जाना नही चाते ,और जानते है तो भी उसके बारे में बात नही करते क्या कारण है , ये विचार इस किताब में लिखा है।
काल चक्र, मेरी नजर में एक काल चक्र ऐसा हैं जो सब से अधिक हमारे जीवन को प्रभावित करता हैं और हम में से कई लोग उसके बारे में जानते ही नहीं हैं, जो जानते हैं मानते नहीं ! जब अति हो जाती हैं तो सब करने को तैयार हो जातें हैं ! पुस्तक में मैं
इस पुस्तक को आप कुछ अपनी और कुछ बाहर की बातों का लेखा-जोखा समझ लीजिए।
उर्दू में सआदत हसन मंटो की बहुत सी कहानियाँ पढ़ने के बाद विचार आया कि हिंदी में भी मंटो जैसा कोई विवादस्पद लेखक है? काफी खोजबीन करने पर ज्ञात हुआ कि ऐसा लेखक तो पाण्डेय बेचन शर्मा "उग्र" ही है. उग्र की अनेक कहानियाँ और उपन्यास पढ़ने के बाद विचार आया क
उनकी रचनाओं ने भारत में गरीबी और विदेशी प्रभुत्व और उपनिवेशवाद के सदियों के बारे में उनकी गहन भावनाओं को व्यक्त किया। हरिश्चंद्र का प्रभाव व्यापक था। उनकी साहित्यिक कृतियों ने हिंदी साहित्य की रीती अवधि के अंत और भारतेंदु अवधि के प्रारंभ पर मोहर लगाई
हिंदी ग़ज़ल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डाॅ.कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। डाॅ.कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। मसलन कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे। डाॅ. कुंवर बेचैन की
सुभद्रा कुमारी चौहान एक प्रसिद्ध हिंदी कवियत्री थी जिन्होंने मुख्यतः वीर रस में लिखा। उन्होंने हिंदी काव्य की अनेकों लोकप्रिय कृतियों को लिखा। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना झांसी की रानी थी, जो रानी लक्ष्मी बाई के जीवन का वर्णन करने वाली एक भावनात्मक कविता
वर्षा ऋतु के आगमन का सभी जीव, जंतु, पेड़- पौधे और मनुष्य को इंतजार रहता है। क्योंकि गर्मी में झुलसे हुए पेड़- पौधे एवं जीव जंतु नया संचार आ जाता है। धरती मां ने मानो हरि चुनरी धारण कर रखी हो। चारों तरफ पक्षियों के चमकाने और झरणों व नदियों की कल- कल क
वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति ' मांस भक्षण पर व्यंग्यात्मक शैली में लिखा गया नाटक है । ' प्रेमयोगिनी ' में काशी के धर्मआडंबर का वही की बोली और परिवेश में व्यंग्यात्मक चित्रण किया गया है। ' विषस्य विषमौषधम् ' मैं अंग्रेजों की शोषण नीति और भारतीयों की महा