रेपी के मामले में दोषी करार दिए गए आसाराम बापू ने इस केस से बरी होने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाया था। आसाराम ने पांच सालों में लगभग सात महंगे वकीलों का सहारा लिया था। इनकी एक दिन की फीस 10 लाख से 25 लाख तक है। लेकिन ये वकील भी आसाराम को जमानत तक नहीं दिला सके।
रेपी के मामले में दोषी करार दिए गए आसाराम बापू ने इस केस से बरी होने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाया था। आसाराम ने पांच सालों में लगभग सात महंगे वकीलों का सहारा लिया था। इनमें राम जेठमलानी, राजू रामचंद्रन, सुब्रमण्यम स्वामी, सिद्धार्थ लूथरा, सलमान ख़ुर्शीद, केटीएस तुलसी और यूयू ललित जैसे नाम शामिल हैं। इनकी एक दिन की फीस 10 लाख से 25 लाख तक है। लेकिन ये वकील भी आसाराम को जमानत तक नहीं दिला सके।
देश के मशहूर वकील राम जेठमलानी ने भी आसाराम का केस लड़ा। राम जेठमलानी कोर्ट में हर पेशी के लिए लगभग 25 लाख रुपए लेते हैं।जेठमलानी ने दलील दी कि लड़की नाबालिग नहीं थी। ऐसे में पॉक्सो एक्ट इस केस में अप्लाई नहीं होगा। इसके बाद आसाराम के पक्ष में दलीलें देते हुए कहा था कि नाबालिग का दिमागी संतुलन ठीक नहीं है। उसे 8वीं, 9वीं और 10वीं कक्षा में अंतर नहीं पता। राम जेठमलानी ने कहा लड़की का मेडिकल एग्जामिनेशन FIR दर्ज होने से पहले किया गया था। जो कि असाधारण बात थी। पॉक्सो एक्ट के मुताबिक जांच अधिकारी FIR फाइल होने से पहले मेडिकल करवा सकता है। जेठमलानी की सारी दलीलें बेअसर रही और आखिर में आसाराम की बेल अर्जी निरस्त हो गई।
सलमान खुर्शीद ने दी थी ये दलील
कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी आसाराम के वकील के रूप में कोर्ट में पेश हो चुके हैं। सलमान खुर्शीद एक पेशी का लगभग 10 लाख रुपए लेते हैं। इस केस में उन्होंने मेडिकल ग्राउंड्स पर आसाराम को जमानत दिलवाने की कोशिश की थी। आसाराम ने दावा किया था कि उन्हें ट्राईगेमिनल न्यूरैल्जिया की बीमारी है जिसकी वजह से माथे और चेहरे में भयानक दर्द रहता है। उन्हें इसके ट्रीटमेंट के लिए बेल दी जाए। कोर्ट ने जोधपुर के एस.एन.मेडिकल कॉलेज को एक मेडिकल टीम बनाने का निर्देश दिया। सलमान खुर्शीद से कहा कि जब तक महत्वपूर्ण गवाहों की गवाही हो नहीं जाती, आसाराम को बेल देने का कोई मतलब ही नहीं।
सुब्रमण्यम स्वामी को लौटना पड़ा खाली हाथ
आसाराम केस में सुब्रमण्यम स्वामी जोधपुर जेल में आसाराम से जाकर मिले थे। बाहर आकर उन्होंने घोषणा की कि आसाराम के खिलाफ सारा केस फर्जी हैं। आसाराम ने कोर्ट को लिखित या मौखिक किसी रूप से नहीं बताया था कि स्वामी उनका केस देखेंगे। प्रॉसिक्यूशन को स्वामी से ऐतराज़ नहीं था बस वो चाहते थे कि प्रोसीजर फॉलो किया जाए। नतीजतन पौने घंटे तक स्वामी को इंतज़ार करना पड़ा. इस दौरान आननफानन जोधपुर जेल में बंदा भेजकर आसाराम से एप्लीकेशन मंगवाई गई। लेकिन, यहां पर भी आसाराम को कोर्ट से खाली हाथ लौटना पड़ा।
केटीएस तुलसी और राजू रामचंद्रन
के टी एस तुलसी प्रतिष्ठित अधिवक्ता और कानून विशेषज्ञ हैं। वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल और राज्यसभा सांसद रह चुके हैं। रॉबर्ट वाड्रा,देविंदर पाल सिंह भुल्लर और उपहार सिनेमा अग्निकाण्ड जैसे केस लड़ने वाले के टी एस तुलसी भी आसाराम को बेल नहीं दिला पाए। इसके अलावा एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके राजू रामचंद्रन भी आसाराम का केस लड़ा था। राजू रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हाई-कोर्ट के निर्देशानुसार गठित किए मेडिकल बोर्ड की राय में आसाराम की तबियत बिगड़ती जा रही है। ऐसे में उन्हें एक या दो महीने की जमानत तुरंत दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया।
यू.यू. ललित का आखिरी केस
एडवोकेट यू.यू. ललित ने भी ये केस हैंडल किया। ये केस उनका आखिरी केस था। इसके बाद वो सुप्रीम कोर्ट में जज बन गए। एडवोकेट ललित ने दलीली दी थी कि लड़की नाबालिग नहीं है। उसके स्कूल सर्टिफिकेट के हिसाब से वो बालिग है। कोर्ट ने इन मुद्दों पर विचार करने की बात कही लेकिन बेल देने से मना कर दिया। यू.यू. ललित के बाद सिद्धार्थ लूथरा ने भी आसाराम को बीमारी के आधार पर ही बेल दिलवाने की कोशिश की थी। हालांकि, उनकी कोशिश भी बेकार गई।
ये हैं आसाराम के सात हाई प्रोफाइल वकील, 10 लाख से 25 लाख रु.तक है एक दिन की फीस