भगवान कृष्ण की लीलाओं के बारे में सारी दुनिया जानती है. इनमें शरारत भी होती थी, तो सन्देश भी. ख़ैर, वो उस समय की लीला थी. कलियुग में भी तरह-तरह की लीलाएं रची जाती हैं. जैसे वोट लेने के लिए अच्छा नेता बनने की लीला, वादे करने की लीला, वादे भुला कर उनसे पलट जाने की लीला. इन सभी लीलाओं में हमारे नेता पारंगत है.
अंधेरा प्रदेश से तेलंगाना को अलग करते हुए केंद्र सरकार ने वहां की राज्य सरकार, तेलगु देशम पार्टी से भी कई वादे किये थे. अपने स्वभाव के अनुरूप केंद्र सरकार उन वादों से पलट गयी. इसके विरोध में फ़िलहाल आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी के एक मंत्री विरोध जाता रहे हैं. मज़ेदार ये कहानी नहीं, उनका विरोध जताने का तरीका है.
ये हैं आंध्र प्रदेश के चित्तूर से MP, एन. शिवप्रसाद.
फ़िलहाल ये संसद में अपना विरोध दर्ज करने, भगवन परशुराम बन कर गये.
इससे पहले राजा हरिश्चंद्र, उससे पहले एक महिला, एक बच्चे के भेष में और नारद मुनि के रोल में.
शिवप्रसाद के इस अनोखे विरोध ने कई लोगों का ध्यान खींचा है. विरोध प्रदर्शन के नाम पर सड़कों पर उतर कर जाम लगाने वाले और पुतला फूंकने वाले नेताओं की दुनिया भी आदी हो गयी है. शायद पहली बार हमने किसी नेता का इतना Creative विरोध प्रदर्शन देखा है.
कुछ दिनों पहले शिवप्रसाद भगवान् वेंकटेश्वर बन कर भी प्रोटेस्ट करने उतरे थे.
उनकी इस प्रोटेस्ट सीरीज़ में वो जो भी रोल अपनाते हैं, उसका रीज़न भी उनके पास होता है. जैसे जब वो एक महिला के वेश में गए थे, तो उनका कहना था कि केंद्र सरकार ने आंध्र की महिलाओं को धोखा दिया है. हरिश्चंद्र बन वो ये बताना चाहते थे कि हरिश्चंद्र और मोदी जी, दोनों ही वाराणसी से हैं, लेकिन हरिश्चंद्र अपने वादों को पूरा करते थे.
शिवप्रसाद पेशे से एक डॉक्टर हैं एयर इससे पहले फ़िल्मों में भी काम कर चुके हैं, विरोध जताने के लिए Costume Change का तरीका शायद उनके एक्टिंग बैकग्राउंड की वजह से ही आया.
शिवप्रसाद और उनकी पार्टी, टीडीपी आंध्र प्रदेश के लिए केंद्र सरकार से स्पेशल स्टेट का दर्जा मांग रही है. टीडीपी की मांग है कि केंद्र पोलावरम परियोजना के लिए 58,000 करोड़ रुपए का फ़ंड जारी करे. अमरावती के विकास के लिए केंद्रीय बजट में पर्याप्त राशि सुनिश्चित करने की जाए. साथ ही राज्य विधानसभा की सीटें 175 से बढ़ाकर 225 की जाए.