नेहरू. नरेंद्र. दो शख्स. दो शख्सियतें. एक देश के पहले प्रधानमन्त्री एक देश के (अब तक के) अंतिम. एक कांग्रेस से एक भाजपा से. दोनों के बीच अंतर ढूंढने चलें तो इतने मिलेंगे कि एक स्टोरी नहीं उस पर शायद एक सीरीज़ चल पड़े. लेकिन हमें दोनों के बीच कुछ स्ट्राइकिंग समानताएं भी पता लगी हैं. सो मच सो कि ऐसा लगता है कि जवाहर लाल नेहरू के धुर विरोधी नरेंद्र दामोदर मोदी पूरी तरह उनका अनुसरण करते हुए लगते हैं. और हम कोई स्वीपिंग कमेंट्स नहीं दे रहे हैं. हम तथ्यों के साथ समानताएं बता रहे हैं. और जहां पर समानताएं होती हैं वहां पर ये कहना कतई अनुचित नहीं कि वर्तमान, अतीत का अनुसरण कर रहा है. तो आइए देखें कैसे –
# फैशन –
कहते हैं कि इतिहास अपने को दोहराता है, और ये भी कहते हैं कि फैशन लौट कर वापस आता है. बाकी हमसे ज़्यादा ये फोटो बोलती हैं. पहले नेहरू जैकेटके नाम से फेमस ये फैशन अब नाम बदलावों के इस दौर में मोदी जैकेट के नाम से जाना जाता है.
# फैशन टू पॉइंट ओ –
दोनों ही प्रधानमंत्री नॉर्थ ईस्ट के के प्रति ह्रदय में एक अलग की (अच्छी) भावनाएं क्रमशः रखते थे और रखते हैं. दोनों की नॉर्थ ईस्ट विज़िट की तस्वीरों पर गौर फरमाएं.
# नियति से साक्षात्कार –
दो राष्ट्र के नाम संदेश भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अंकित हो गए हैं. एक नेहरू का आज़ादी से एक दिन पहले का, जिसका नाम था ट्रिस्ट विद डेस्टिनी यानी नियति से साक्षात्कार और दूसरा नोटबंदी से एक दिन पहले का जिसका कोई नाम नहीं था. दोनों की एक लाइन बहुत प्रसिद्ध हुई. और वो एक लाइन, वो एक उद्घोष अक्षरशः समान है – एट दी स्ट्रोक ऑफ़ मिडनाईट… और आज रात बारह बजे के बाद…
# बाघ-बाघ देखो –
दोनों ही का पशु प्रेम अतुलनीय है. लेकिन इन दोनों ‘अतुलनीयता’ में भी इतना स्पेस था कि इनकी एक दूसरे से तुलना की जा सकती थी. हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फ़ारसी (सॉरी हिंदी) क्या. तस्वीरें देख लें –
# स्टैचू ऑफ़ यूनिटी –
सरदार पटेल की पहली प्रतिमा उनके उप-प्रधानमंत्री रहते 1949 में गोधरा में स्थापित की गई थी. जिसका अनावरण नेहरू ने 22 फरवरी 1949 को किया था. गोधरा में ही पटेल की गांधी से पहली मुलाकात हुई थी, 1917 में. बाकी मोदी जी वाली पटेल प्रतिमा तो वर्ल्ड रिकॉर्ड वाली है. उसे कौन नहीं जानता?
# योग –
योग को लेकर मोदी का प्रेम तो सब जानते ही हैं. नेहरू शीर्षासन किया करते थे. मोदी को मुश्किल लगा होगा तो शवासन कर लिया. जाकी रही भावना जैसी…
# फेक न्यूज़ –
फेक न्यूज़ में अगर फर्स्ट प्राइज मोदी को मिलता है तो सेकेंड प्राइज़ नेहरू को या अगर नेहरू फर्स्ट आते हैं तो मोदी बहुत कम मार्जिन से हारते हैं. लेकिन चूंकि बड़ी लकीर ही छोटी और छोटी लकीर ही बड़ी की जा सकती है, इसलिए मोदी की फेक न्यूज़ ज़्यादातर पॉजिटिव और नेहरू की ज़्यादातर नेगेटिव होती हैं.
# क्रिकेट –
एक तरफ मोदी जी के नारे क्रिकेट स्टेडियम में गूंजते हैं दूसरी तरफ नेहरू बल्ला पकड़े हुए पाए जाते हैं. क्रिकेट भारत का दूसरा धर्म है और धर्म भारत की पहली राजनीति इसलिए कनेक्शन के ऐसे वायर व्हिच ऑलवेज कैचेज़ फायर.
# साहित्य –
सृष्टि से पहले कुछ नहीं था…
नहीं-नहीं ये दोनों में से किसी ने नहीं लिखा है. लेकिन इस गीत की यादें जुड़ी हुई हैं दूरदर्शन में आने वाले एक धारावाहिक से. जिसका नाम था भारत एक खोज. ये नेहरू के द्वारा रचित उपन्यास डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया का ही नाट्य रूपांतरण था. इसके अलावा भी नेहरू ने काफी कुछ लिखा. जैसे ग्लिंप्स ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री, लेटर्स फ्रॉम फादर टू हिज़ डॉटर, आदि-आदि…
वहीं मोदी जी की रीसेंट किताब का नाम है – एग्जाम वॉरियर्स. इसके अलावा उनकी कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं – अ जर्नी (कविता संग्रह), ज्योतिपुंज, आदि-आदि…
# चाचा नेहरू और काका मोदी –
नेहरू भारत के सभी बच्चों के लिए चाचा नेहरू हैं. इतने कि उनके जन्मदिन को ‘चिल्ड्रन्स डे’ के रूप में मनाया जाता है. वहीं दूसरी तरफ मोदी जी चाहते हैं कि उनको बच्चे काका बुलाएं. जनसत्ता की एक खबर के अनुसार बच्चों को बाकायदा रटवाया गया था कि बड्डे वाले दिन प्रधानमंत्री मोदी को मोदी काका कहकर पुकारा जाए.