क्रिकेट को अपनी हर सांस में जीने वाले सचिन ने जहां कई रिकॉर्ड तोड़े वहीं कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए जो नए खिलाड़ियों के लिए मील के पत्थर हैं। वैसे तो सचिन के नाम 100 इंटरेशनल शतक और बेशुमार लाजवाब पारियां दर्ज हैं। लेकिन 20 साल पहले शारजाह में खेल े गईं उनकी दो वनडे पारियां नायाब हैं।
नई दिल्ली: क्रिकेट के मास्टर और बल्लेबाजी में ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर आज 45 साल के हो गए हैं। 24 अप्रैल 1973 को मुंबई में पैदा हुए सचिन को क्रिकेट बचपन से ही बेहद पसंद था। क्रिकेट को अपनी हर सांस में जीने वाले सचिन ने जहां कई रिकॉर्ड तोड़े वहीं कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए जो नए खिलाड़ियों के लिए मील का पत्थर हैं। क्रिकेट की दुनिया का शायद ही कोई ऐसा रिकॉर्ड हो जिस की चोटी पर क्रिकेट के भगवान सचिन न खड़ें हों। संन्यास लेने के बावजूद युवा खिलाड़ियों की प्ररेणा और आदर्श सचिन ने यू हीं ये मुकाम हासिल नहीं किया। 200 टेस्ट मैचों में 15 हजार से ज्यादा और 463 वनडे मैचों में 18 हजार से ज्यादा रन बनाने वाले सचिन के इस मुकाम की झलक अतीत के आइने में साफ देखी जा सकती है।
आज भले ही क्रिकेट के मैदान पर विराट कोहली की तूती बोलती है लेकिन एक दौर ऐसा था जब सचिन की बल्लेबाजी के लिए शहर और गांव थम जाते थे। लोग सबकुछ छोड़कर टीवी या रेडियो पर सचिन की बल्लेबाजी का लुत्फ लेते थे। ऐसा ही एक वाकया 1998 में शारजाह में हुए कोका कोला कप का है जब सचिन की दो पारियों ने लोगों को दीवाना बना लिया था। उनके बल्ले से रनों का ऐसा तूफान निकला था जिसमें कंगारू खिलाड़ी बिखर गए थे। वैसे तो सचिन के नाम 100 इंटरनेशनल शतक और बेशुमार लाजवाब पारियां दर्ज हैं। लेकिन 20 साल पहले शारजाह में खेले गईं उनकी ये दो वनडे पारियां नायाब हैं।
दरअसल, भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच कोका कोला त्रिकोणीय श्रृंखला खेली गई थी। भारत ने यह श्रृंखला सचिन के दम पर शाही अंदाज में ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त देकर जीती थी। सीरीज के फाइनल में भी भारत बेहद दिलचस्प तरीका से पहुंचा था। सचिन ने इस श्रृंखला में दो शतक और एक अर्धशतक की बदौलत 435 रन बनाए था जिसकी वजह से उन्हें मैन ऑफ द सीरीज चुना गया था। सचिन ने दोनों ही शतक ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ जड़े थे। एक शतक उन्होंने सेमीफाइनल में मारा और एक फाइनल में।
सचिन की बेमिसाल तूफानी पारी
सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई सचिन की बेहतरीन पारी की लोग आज भी मिसालें देते हैं। रेत के तूफान की वजह से करीब 25 मिनट तक बाधित रहे इस मैच में सचिन ने 143 रन बनाए थे। उन्होंने 131 गेंदों में 5 छक्कों और 9 चौकों की मदद से 143 रन की पारी खेल थी। हालांकि, सचिन की इस पारी के बावजूद भारत यह मैच हार गया था। मगर नेट रन रेट बेहतर होने के कारण भारत फाइनल में जगह बनाने में कामयाब रहा। इस मैच में पहले खेलते हुए ऑस्ट्रेलिया ने निर्धारित 50 में 7 विकेट खोकर 284 रन बनाए थे।
भारत को जीत के लिए 285 रन की चाहिए थे और नेट रन रेट के हिसाब से न्यूजीलैंड को पछाड़कर फाइनल में पहुंचने के लिए 254 की दरकार थी। सचिन जब बल्लेबाजी कर रहे थे उस वक्त रेत का तूफान आ गया जिसकी वजहसे मैच रोकना पड़ा। इसके बाद जब खेल शुरू हुआ तो भारत को 46 ओवर में 276 रन का लक्ष्य दिया गया और नेट रन रेट के हिसाब से भारत को 237 रन चाहिए थे। भारतीय टीम 46 ओवर में 250 रन बनाकर यह मैच ऑस्ट्रलिया से हार गई लेकिन नेट रन रेट के दम पर भारत फाइनल में पहुंच गया।
फाइनल की यादगार पारी
इसके बाद फाइनल में भी सचिन का बल्ला जमकर चला। हालांकि, इस मैच में रेत का तूफान नहीं आया लेकिन सचिन ने अपने बल्ले से रनों का तूफान बरपा कर दिया था। 24 अप्रैल को सचिन ने अपने जन्मदिन पर फाइनल मुकाबले में 131 गेंदों में 134 रन की यादगार पारी खेली थी। उन्होंने 134 रन की पारी में 12 चौके और 3 छक्के जड़े। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवर में 272 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया था। सचिन की लाजवाब पारी के दम पर भारत ने यह स्कोर सिर्फ 48.3 ओवर में 275 रन बनाकर हासिल कर लिया था। 'शेन वार्न के सपनों में सचिन ने जड़े छक्के'
ऑस्ट्रेलिया के सबसे खतरनाक और किफायती स्पिनरों में शुमार शेन वॉर्न इस सीरीज के बाद सचिन को सबसे धाकड़ बल्लेबाज मानने लगे थे। वॉर्न इस सीरीज में सचिन के सामने बेअसर साबित हुए थे। जब भी सीरीज के दौरान दोनों का सामने हुआ सचिन ने वॉर्न की गेंदों पर चौके छक्के जड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यहां तक की वॉर्न को सपनों में भी सचिन छक्के मारते नजर आते थे। जीं हां एक इंटरव्यू के दौरान शारजाह की इस सीरीज के ताल्लुक से वॉर्न ने कहा था कि ऐसा लगता था कि वह (सचिन) उनके सपने में भी छक्के लगा रहे हैं।