हमारे देश में ऐसी कई चीज़ें होती हैं, जिनके पीछे की वजह के बारे में हम नहीं जानते. कुछ चीज़ें हम दूसरों की देखा-देखी करने लगते हैं. आज ऐसे ही एक रिवाज या प्रथा की बात करेंगे, जिसका कारण शायद आपको भी नहीं पता होगा.
बस या ट्रेन से सफर करते समय जब आप नदियों से गुजरते हैं, तो लोगों को नदियों में सिक्का डालते हुए ज़रूर देखा होगा. मुझे याद है जब भी मैं अपने बाबू जी के साथ पटना जाता था, तो गांधी सेतु से मेरे बाबू जी गंगा नदी में अकसर पैसे फेंका करते थे. उन्हीं को देखकर मैं भी जब नदियों को पार करता हूं, तो सिक्के फेंक दिया करता हूं. लेकिन इसके पीछे की वजह से आज तक अनजान रहा. मगर आज जब जानकारी मिली है, तो मैं चाहता हूं कि हमारे जो प्यारे पाठक हैं, उन्हें भी अपनी जानकारी से अवगत कराऊं.
दरअसल, ये परंपरा सालों से चली आ रही है. हमारे माता-पिता, दादा-दादी सभी कहते भी हैं, कि जब भी नदी से गुजरो, सिक्का नदी में फेंक देना. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर हम नदी में सिक्का क्यों डालते हैं.
मुझे पता है कि आप सोच रहे होंगे कि यह किसी तरह का अंधविश्वास होगा, जिसकी वजह से लोग नदी में सिक्का फेंकते हैं. लेकिन दोस्तों, अगर आप सच में ऐसा ही सोच रहे हैं, तो जनाब आपका सोचना बिल्कुल गलत है. हम यहां कोई लफ्फाज़ी नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि इस रिवाज के पीछे एक बड़ी वजह छिपी हुई है.
दरअसल, जिस समय नदी में सिक्का डालने की ये प्रथा या रिवाज शुरु हुआ था, उस समय में आज के स्टील के सिक्के की तरह नहीं बल्कि तांबे के सिक्के चला करते थे, और तांबा कितना फायदेमंद होता है, ये शायद आप मुझसे बेहतर जानते होंगे.
अगर आप इतिहास के आईने में झांक कर देखेंगे तो पता चलेगा कि पहले के ज़माने में पानी का मुख्य स्रोत नदियां ही हुआ करती थी. लोग हर काम में नदियों के पानी का ही इस्तेमाल किया करते थे.
चूंकि तांबा पानी के प्यूरीफिकेशन करने में काम आता है और ये नदियों के प्रदूषित पानी को शुद्ध करने का एक बेहतर औजार भी रहा है, इसलिए लोग जब भी नदी या किसी तालाब के पास से गुजरते थे, तो उसमें तांबे का सिक्का डाल दिया करते थे. आज तांबे के सिक्के चलन में नहीं है, लेकिन फिर भी तब से चली आ रही इस प्रथा को लोग आज भी फॉलो कर रहे हैं.
हालांकि, इसके अलावा ज्योतिष में भी कहा गया है कि अगर किसी तरह का ग्रह दोष दूर करना हो, तो उसके लिए जल में सिक्के और कुछ पूजा सामग्री को प्रवाहित करने चाहिए. ज्योतिष में यह भी कहा गया है कि अगर बहते पानी में चांदी का सिक्का डाला जाए, तो उससे अशुभ चुद्र का दोष समाप्त हो जाता है. यही नहीं, पानी में सिक्का डालने की प्रथा को एक प्रकार का दान भी कहा गया है.
कुछ लोगों का ये भी मानना होता है कि अपनी कमाई का कुछ अंश सिक्के के रूप में नदी में फेंकने से तरक्की होती है.
लेकिन दोस्तों तांबे वाली जो बात है, वह एकदम सही है. आप अपने घर के किसी बुज़ुर्ग व्यक्ति से पूछ कर देख लो. वे जो भी बताएंगे, उसे कमेंट बॉक्स में साझा ज़रूर करना.