अरे नेता जी झाडू और योग नहीं मंहगाई पर ध्यान दीजिए जनता मंहगाई से जूझ रही है और आप नेता लोग मिलकर कभी झाडू लगा रहें कभी योग कर रहे हैं क्या यही है हमारे देश की प्रगति आपने तो चुनाव के वक्त मंहगाई कम करने का वादा किया था लेकिन मंहगाई कम होने के बजाय और बढ़ रही है और आप
योग को धर्म से ना जोडें - मोदी आज अखबार में कुछ इसी तरह की हेडलाइन है !अधिकांश सेक्युलर बाबा भी यही ज्ञान बांट रहे हैं !आप लोग ये सब कह के क्या करना चाह रहे हैं ? किसे समझाना चाह रहे हैं ? जिसे समझना नहीं है ! जिसे समझने की मनाही है ! जहां नासमझना ही धर्म बना दिया गया है ! जिससे नासमझों का झुंड बना
सरकार और सेलिब्रिटी टाइप लोग कह रहे हैं की "योग का कोई मजहब नहीं होता"...इसी प्रकार ये अक्सर कहते हैं की "आतंक का मजहब नहीं होता"...पूरी दुनिया जानती है की दोनों बाते "सफ़ेद झूठ" हैं..आतंकवाद पर बात नहीं करना चाहता क्योंकि पूरा विश्व देख रहा है मगर योग का मजहब है और वो कौन सा मजहब है उसके कुछ साक्ष्य
योग भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण वीध्या है. योग से हमारा सर्वांगीण, शरीरिक, मानसिक, बौद्धिक, व्यवहारिक विकास होता है. योग जीवन जीने की कला है, जिसे सीखकर व्यक्ति स्वस्थ रहता है, जीवन में सफल होता है. जीवन दिव्य बनाता है और अपना भाग्य बदलने में सक्षम होता है. योग सर्वांगीण विकास करने वाली कला ह
उसका नाम है रामदीन. वह भी ''योगासन'' करना चाहता है पर अभी वह ''भूख-आसन'' का शिकार है. उसे देख कर यह कविता बनी -भूखे को रोटी भी दे दो,फिर सिखलाना योग .बड़ा रोग है एक गरीबी, चलो भगाएं रोग.खा-पीकर कुछ अघा गए हैं, अब सेहत की चिंता जो भूखे हैं उन लोगो को कौन यहां पर गिनता। पहले महंगाई से निबटो, भ्रष्टाचा
बाजरा खाओ, सेहत बनाओअ+अ-हाथरस। भले ही लोग बाजरा खाने से कतराते हों, लेकिन शायद वह इस बात से बेखबर हैं कि अन्य अनाजों की अपेक्षा बाजरा में सबसे ज्यादा प्रोटीन की मात्रा होती है। इसमें वह सभी गुण होते हैं, जिससे स्वास्थ्य ठीक रहता है। ग्रामीण इलाकों में बाजरा से बनी रोटी व टिक्की को सबसे ज्यादा जाड़ो