उसका नाम है रामदीन. वह भी ''योगासन'' करना चाहता है पर अभी वह ''भूख-आसन'' का शिकार है. उसे देख कर यह कविता बनी -
भूखे को रोटी भी दे दो,
फिर सिखलाना योग .
बड़ा रोग है एक गरीबी,
चलो भगाएं रोग.
खा-पीकर कुछ अघा गए हैं,
अब सेहत की चिंता
जो भूखे हैं उन लोगो को
कौन यहां पर गिनता।
पहले महंगाई से निबटो,
भ्रष्टाचार मिटाओ
घोटाले-दर -घोटाले हैं
उनसे हमें बचाओ।
रोज मिलावट की चीजे हम
खाने को मजबूर।
योग करेंगे फिर भी होंगे
हम सेहत से दूर.
योग प्रदर्शन नहीं बने,
यह जीने का आधार
क्यों दबाव डाले लोगो पर
कोई भी सरकार.
हर मुद्दे पर क्यों होता है
सत्ता का उपयोग .
भूखे को रोटी भी दे दो
फिर सिखलाना योग