अपनी आभा बिखेरते चलो तो मानूं
अँधेरा मिटा खुशबुएँ फैला दो तो जानूं
गुरुर किस हुनर का तुम हो पाले,
मोहब्बत का फर्ज़ संभालो
तो खुदा मानूं
24 नवम्बर 2019
अपनी आभा बिखेरते चलो तो मानूं
अँधेरा मिटा खुशबुएँ फैला दो तो जानूं
गुरुर किस हुनर का तुम हो पाले,
मोहब्बत का फर्ज़ संभालो
तो खुदा मानूं
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