प्रकृति में भांति-भांति के रंग
बिखेर
मन को मेरे- छोड़ दिए प्रभु
सादा
मनमोहक संध्या हो या सुहानी
भोर
प्रिये बिन न रखना कभी मुझे तुम आधा
डॉ. कवि कुमार निर्मल©®
10 दिसम्बर 2019
प्रकृति में भांति-भांति के रंग
बिखेर
मन को मेरे- छोड़ दिए प्रभु
सादा
मनमोहक संध्या हो या सुहानी
भोर
प्रिये बिन न रखना कभी मुझे तुम आधा
डॉ. कवि कुमार निर्मल©®
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