मानव समाज एक और अविभाज्य है
जाति-पाति रंग-भेज शोषण का अलाप है
दासिता-प्रतारण-दूहन का ताण्डव व्याप्त है
दग्ध मानव आक्रांत अब सुद्र विप्लव तैयार है
मानव समाज एक और अविभाज्य है
जाति-पाति रंग-भेज शोषण का अलाप है
डॉ. कवि कुमार निर्मल
14 नवम्बर 2019
मानव समाज एक और अविभाज्य है
जाति-पाति रंग-भेज शोषण का अलाप है
दासिता-प्रतारण-दूहन का ताण्डव व्याप्त है
दग्ध मानव आक्रांत अब सुद्र विप्लव तैयार है
मानव समाज एक और अविभाज्य है
जाति-पाति रंग-भेज शोषण का अलाप है
डॉ. कवि कुमार निर्मल
3 फ़ॉलोअर्स