⚜️वैश्विक धर्म नाभि भारत⚜️
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परमेश्वर का पुत्र कहा यीशु ने,
मानव पशुओं को संग चलाये।
सुना 18 वर्षों के 'लॉस्ट ईयर्स',
ज्ञान हेतु यीशु भारत भी आये।
बीबीसी डॉक्युमेंट्री में कहा गया,
शीर्ष बौद्ध लामा जीसस आये।
निकोलस नोतोविच का दावा,
लद्दाख हेमिस मॉनेस्ट्री के
'लाइफ ऑफ सेंट ईसा,
बेस्ट ऑफ द सन्स ऑफ मेन'
के अध्ययन से पाया था।
लेह तिब्बत बौद्ध मॉनेस्ट्री में,
ईसा की लिखी कहानी पाया था।
ईसा १ली शताब्दी में इजरायली,
गरीब परिवार से आया है।
लामा बताये ईसा १६ साल,
मॉनेस्ट्री में तंत्र ज्ञान पाया है।
ईसा को महान देवदूत,
श्रेष्ठ दलाई लामा बतलाया है।
शिक्षा लेकर जेरूसलम पहुंचे,
इसराइल का मसीहा कहलाये है।
लामा कहते- जगन्नाथ, राजगृह
और काशी में दिक्षा लिये हैं।
दीक्षा दी तो ब्राह्मण रुष्ट हुए,
बहिष्कृत कर इन्हें भगा डाला।
हिमालय पलायन कर जेसस,
बौद्धतंत्र साधना कर सिद्धियां पाया।
जर्मन होल्गर केर्सटन प्रारंभ,
सिंध आर्यों के साथ बताया।
१९०८ में लेवी एच. डोलिंग,
दिव्यदृष्टि से संपुर्ण कथा लिख डाली।
इसमें यीशु भारत, तिब्बत, ईरान,
ग्रीस और मिस्त्र भ्रमण की बात जानी।
जीसस मृत्यु सूली पर नहीं,
कश्मीर में 80 तक तप सेवा किये।
61 साल सेवा कर श्रीनगर में,
रोजा बल श्राइन में समाधि लिये।
इसे कुछ मध्यकालीन मुस्लिम,
यूजा 'आसफ मकबरा' कह दिये।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
DrKavi Kumar Nirmal
Bettiah Bihar
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आलोच्य विषय पर स्व समिक्षा:
कहा गया बौद्ध की अंत्येष्टि उपरांत नियम से तीन वरीय भिक्षुक अपने लामा की खोज में ग्रह-नक्षत्रों को देख एक शिशु की खोज में लंबी यात्रा पर निकलते हैं और दिव्य नवजात लामा को अवतार मान आदर देते है। बाइबल के वे फरिस्ते ये हीं तीन विद्वान थे जो जीसस के जन्म की रात को बेथलेहम पहुंचे थे। कहते हैं कि तरुण जीसस (13 उम्र) में ये अपने साथ भारत ले आए थे और एक बौद्ध की तरह भारत में उनकी परवरिश हुई।
भारतीय दार्शनिक ओशो ने भी ईसा मसीह के भारत से संबंधित होने की बात कही, 'जब भी कोई सत्य के लिए प्यासा होता है, अनायास ही वह भारत में उत्सुक हो उठता है। अचानक पूरब की यात्रा पर निकल पड़ता है और यह केवल आज की ही बात नहीं है। आज से 2500 वर्ष पूर्व, सत्य की खोज में पाइथागोरस और ईसा मसीह भी भारत आए थे।
ओशो के मुताबिक, ईसामसीह के 13 से 30 वर्ष की उम्र के बीच का बाइबिल में कोई उल्लेख नहीं है और यही उनकी लगभग पूरी जिंदगी थी, क्योंकि 33 वर्ष की उम्र में तो उन्हें सूली ही चढ़ा दिया गया था। तेरह से 30 तक 17 सालों का हिसाब बाइबिल से गायब है! इतने समय वे कहां रहे? आखिर बाइाबिल में उन सालों को क्यों नहीं रिकार्ड किया गया? उन्हें जानबूझ कर छोड़ा गया है ताकि उनका मौलिक धर्म लगे, नहीं है, वे जो भी कह रहे हैं वे उसे भारत से नहीं लाए हैं।
'ईसा जब भारत आए थे तब बौद्ध धर्म बहुत जीवंत था, यद्यपि बुद्ध की मृत्यु हो चुकी थी। गौतम बुद्ध के पांच सौ साल बाद जीसस यहां आए थे। पर बुद्ध ने इतना विराट आंदोलन खड़ा किये थे कि तब तक देश भी पूरा उसमें लगा था। अंतत: जीसस की मृत्यु भी भारत में हुई पर मज़हबी रिकार्ड्स इस तथ्य को नजरअंदाज करते रहे हैं।'
फिफ्थ गॉस्पेल नाम की किताब में भी इसी दावे का समर्थन किया गया है कि ईसा मसीह 13 से 29 वर्ष तक भारत भ्रमण करते रहे।
19वीं और 20वीं शताब्दी में कई सिद्धांत आए जिसमें दावा था कि 12 से 30 वर्ष की आयु के बीच में जीसस भारत आए थे। हालांकि, आधुनिक मुख्यधारा के ईसाई विद्वानों ने इनको अस्पष्ट कह खारिज कर दिया।
स्कॉलर मार्कस बोर्ग का कहना है कि जीसस के भारत जाने का दावा और उनका बौद्ध धर्म से संबंध का कोई भी ऐतिहासिक आधार नहीं है।
लेसली होल्डन कहते हैं, बुद्ध और जीसस की शिक्षाओं में काफी समानताएं हैं लेकिन ये तुलना 19वीं सदी में मिशनरियों के संपर्क के बाद शुरू हुई। जीसस और बौद्ध धर्म का संबंध का कोई भी विश्वसनीय ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं।
1992 'जीसस द मैन' में कहा कि जीसस सूली पर चढ़ाए जाने के बाद जिंदा बच गए थे और फिर मैरी मैग्डेलेन से शादी की। जीसस की मृत्यु रोम में हुई।
पर यह रहस्य तो शोध से साफ होगा कि जीसस भारतीय आर्यन तंत्र तपस्वि भी थे और शक्ति संपात किये जैसा पैरेबल्स में लिखा है। जो हो वे मुक्त आत्मा ईश्वरीय आदेश से हीं बुद्ध की तरह अवतरित हो अपना धर्म कार्य संपादित किये।
DrKavi Kumar Nirmal____✍️