नेह
रंग-कद-नाम-जुबान-जात-देश मत तूं देख
छलकते हुनर को, रुहानी ओज को रे परख
बहाया नेकी का उछलता जहाँ में दरिया
बदी को मैंने कबका कह दिया अलविदा
हौसला है चाँद-सितारों के पार जाने का
बेवफाई को नज़र-अंदाज़ करते रहा
नेह का फ़कीर मैं, सिद्दतें करता हीं रहा
डॉ. कवि कुमार निर्मल