【१】
शौहरत कूचे से शरहदों के पार हुई।
न जानें कितनी बहियाँ बदली गईं।।
【२】
साया बन चल रहे हो साथ साथ।
तन्हा हैं कहते तुम अजीब साथ।
【३】
मुस्कुराहट लबों पे देख दिल खुश न कहलाता।
आँसुओं में खुशियाँ भी होतीं हैं- समझ पाता।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
28 अगस्त 2021
【१】
शौहरत कूचे से शरहदों के पार हुई।
न जानें कितनी बहियाँ बदली गईं।।
【२】
साया बन चल रहे हो साथ साथ।
तन्हा हैं कहते तुम अजीब साथ।
【३】
मुस्कुराहट लबों पे देख दिल खुश न कहलाता।
आँसुओं में खुशियाँ भी होतीं हैं- समझ पाता।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
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