झोपड़ी हो या फिर महल चौबारा,
अपना घर प्यारा लगता है।
तीर्थ करो या जाओ माया नगरी,
अपने घर में हीं सुख मिलता है।।
डॉ. कवि कूमार निर्मल
18 नवम्बर 2019
झोपड़ी हो या फिर महल चौबारा,
अपना घर प्यारा लगता है।
तीर्थ करो या जाओ माया नगरी,
अपने घर में हीं सुख मिलता है।।
डॉ. कवि कूमार निर्मल
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