घनात्मक भाव मन में प्रविष्ट कर संचित हो पायें
ऋणभाव निकस कर गंगा धार संग बह जायें
जागतिक् एषणाएं पोषित कर नहीं ललचायें
सहज जीवन यापन कर सद् गति पायें
अनंत भुभुक्षा त्याग हरिपद में रम जायें
डॉ. कवि कुमार निर्मल
22 नवम्बर 2019
घनात्मक भाव मन में प्रविष्ट कर संचित हो पायें
ऋणभाव निकस कर गंगा धार संग बह जायें
जागतिक् एषणाएं पोषित कर नहीं ललचायें
सहज जीवन यापन कर सद् गति पायें
अनंत भुभुक्षा त्याग हरिपद में रम जायें
डॉ. कवि कुमार निर्मल
3 फ़ॉलोअर्स