बंद पिंजड़े से निकल जब पँक्षि
आजाद हो गगन पार जाता है।
मन की समस्त 'कुण्ठाओं' को
पिंजड़े में छोड़ वह आह्लादित
हो गुनगुनाते उड़ता जाता है।।
बँधनों से मुक्त हो- घुटन से निकस वह
मुक्त प्राणी बन अराध्य तक जाता है।।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
19 दिसम्बर 2019
बंद पिंजड़े से निकल जब पँक्षि
आजाद हो गगन पार जाता है।
मन की समस्त 'कुण्ठाओं' को
पिंजड़े में छोड़ वह आह्लादित
हो गुनगुनाते उड़ता जाता है।।
बँधनों से मुक्त हो- घुटन से निकस वह
मुक्त प्राणी बन अराध्य तक जाता है।।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
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