💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓यह ज़िन्दगी भी क्या चीज़ हैअब तक हम ठीक से समझ न पाएचंद खुशियों के ख्वाहिश मे हीयह दिल अनकही सी दर्द ही पाए....!!क्या गुन्हा है ज़िन्दगी जिना यहाँजो हर कदम पर हम ठोक
हैलो सखी , कैसी हो । दिन अच्छे गुजर रहे है ना।हर रोज मेरे मन मस्तिष्क मे क्या चल रहा है ये जान ही लेती हो।अब तो होली के दिन नजदीक आते जा रहे है ।हम होली पर ज्यादा रंग
जीवन में उम्र का जब वो दौर आयामुरझाया यौवन पतझड़ का मौसम छायासूखे पतों सी उम्र उसकी झड़ रहीपूछी जब उससे जब उसकी पहचानखिलती सी उसकी हसरतें मन मेंअखियों के झरोखों मे मचलने लगी सारी दास्तानलबों पर थी लफ्
इक दिन दरवाजे से आएगी,मुझसे भी मिलने ये उम्मीद,फूलों का ना ताज होगा पहना,यकिन ही होगा उसका गहना!चोटील कहीं वो होगी अकेली,पास होकर भी वो एक पहेली,हरपल मन से उठती वो डोली,इन्सान की खासमखास सहेली!करने लग
मिले थे जिस रोज तुझसे,थे हम एकदुसरे से अनजान,सोचती हुं इतने सालों में भी, क्या हो पाई है जान पहचान!कितनी बातें तू बगैर पुछे ही,अपने आप ही बोल जाता था,ढेर सारी बातों को लेकिन फिर,नाजाने क्यूं दिल
आंखों में रौशनी की ये गुलनार अज़ब हैहो किसकी साये में की ये बहार अज़ब हैकिसी की हुस्न पे की क्यों आये ये क़हरख़ुद की क़ानून से की ये संसार अज़ब हैतेरे हर इक सवालों का करूं मैं अज़बरआज़ तेरी मुलाक़ात क
सुंदरी –सोनम जब से मेरी पढ़ाई पूरी हुई है। मैं घर से बाहर निकली नहीं। सोनम चुप होकर सुंदरी की बातें सुनती है ।सुंदरी प्रकृति की खूबसूरती में खो गई थी। अपने गम को थोड़ी देर के लिए भूल गई थी। सोनम
💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕ज़िन्दगी के सफर मे हर कोई अनजान होता हैएक कदम पर एक शख्स की नयी पहचान होता हैदिल जहाँ कहता है मुसाफिर हूँ यारों इस ज़िन्दगी मेजिस अहसास को महसूस करा दो वो मेरा अपना
डायरी : 10.03.2022समय : रात 12 बजेप्रिय डायरी जी,आपके साथ कुछ खुशी की बातें शेयर करनी हैं। पहली तो यह है कि शब्द.इन पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान की पुरुस्कार राशि 21,000/
तुझको कुछ ना दे पाया मै ,आत्मग्लानी से तड़प रहा हूँ ।तेरे नयनो के आशा मे ,सब्र केवल रख पाया मै ।तेरे हर मांगो पर,तुझको केवल बहलाया मै।मुझको माफ़ करना मेरे लाल ,अच्छा पिता ना बन पाया मै । &n
तुझको कुछ ना दे पाया मै ,आत्मग्लानी से तड़प रहा हूँ ।तेरे नयनो के आशा मे ,सब्र केवल रख पाया मै ।तेरे हर मांगो पर,तुझको केवल बहलाया मै।मुझको माफ़ करना मेरे लाल ,अच्छा पिता ना बन पाया मै । &n
सात फेरों में बंधा रिश्तों का ये बंधनजी हां, रिश्तों के इस बंधन में बंधे हम कितनी दूर निकल आए कि वक्त का जरा भी आभास न हुआ ।इस लंबे सफर में कितने उतार चढ़ाव आए लेकिन हमने सदैव एक दूसरे की ढाल बनकर कवच
प्रिय सखी डायरी, कैसी हो।मै अच्छी हूं।कल हम महिलाओं के अधिकार और उसके सम्मान की बात कर रहे थेमै कहां थी ... हां सभी लड़कियां मुझे बोली तुम चली जा
सावित्री हरीश और सुंदरी को सोते देख धीरज की सांस लेती है। वह अपने पति के पास बैठकर उनको प्रेम भरी नेत्रों से देखती हैं। मन ही मन व सोचती है, काश ऐसा हादसा नहीं हुआ होता तो आज मेरा परिवार खुशहाल होता
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹दुल्हन सी सजी ये धरती, सर पे वो आसमान रहेगाहम रहे ना रहे फिज़ाओ मे ये रवानी हमेशा रहेगाकभी बरसे गा सावन रिम झिम आँखों से किसीकेतो किसी के दिल मे अपनों के प्यार का
प्रिय सखी, कैसी हो। मै अच्छी हूं। कल तो मैंने तुम्हारे आगे अपने मन की भड़ास निकाल ही ली। औरतों का सम्मान है कहां? मुझे तो कहीं नही लगता। हर परिस्थिति मे
हिंदी का अद्भुत संगम है लेकिन शायद सिक्के के दो पहलू है थे लेकिन उन्होंने बताया था तो मैं क्या कहूं मुझे बहुत अच्छा लगता है लेकिन उन्होंने कहा मैं इस नतीजे पर पहुंची तो यह संसार रहने लायक नहीं हैं बल्
हिंदी का अद्भुत संगम है लेकिन शायद सिक्के के दो पहलू है थे लेकिन उन्होंने बताया था तो मैं क्या कहूं मुझे बहुत अच्छा लगता है लेकिन उन्होंने कहा मैं इस नतीजे पर पहुंची तो यह संसार रहने लायक नहीं हैं बल्
ज़ब इनकरा था हमें इस अहसास सेतो फिर क्यूँ रूबरू कराया हमेंअपनी चाहत से आपनेआज जो बोझ सी लगने लगीये पागल ज़िन्दगी मेयाद रखियेगा...एक दिन ढूंढ़ते फिरोगेदूर दूर तक नज़र न आएंगे हम आपके..