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जीवन परिचय

hindi articles, stories and books related to Jivan parichay


तथागत बुद्ध का जन्म आज से ढाई हजार वर्ष पूर्व लिंबनी वन में हुआ था ,,बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था,सिद्धार्थ को  जब ज्ञान की प्राप्ति हुई तब वे बुद्ध कहलाए, तथागत बुद्ध ने बहुजन हिताय बहुजन स

भूकंप की भयानक तबाही के बावजूद भी हरीश संयोग से सही-सलामत बच गया था। हां, सिर्फ मामूली चोटें आई थी। हालांकि वह गड़गड़ाहट की आवाज से मुर्छित जरूर हो गया था लेकिन थोड़ी देर के बाद ही, वह होश में भी आ गय

पढ़ने की आदत हमें दैनिक भोजन की तरह होनी चाहिए क्योंकि जिस प्रकार शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार हमारे दिमाग को भी ज्ञान की आवश्यकता होती है और वह ज्ञान केवल हमें पढ़ने से ही प्राप्त होता

बचपन से देखता आया हूं। हम भारतीय बहु से सारी उपेक्षा रखते हैं । की वो हमारे हर आदेश को पूरा करे । लेकिन अपनी बेटी के ससुराल में हुऐ हर झगड़े में उसकी शास को जिम्मेदार मानते हैं, लेकिन बेटी को ये क्यों

बचपन से देखता आया हूं। हम भारतीय बहु से सारी उपेक्षा रखते हैं । की वो हमारे हर आदेश को पूरा करे । लेकिन अपनी बेटी के ससुराल में हर झगड़े में उसकी साश को जिम्मेदार मानते हैं, लेकिन बेटी को ये क्यों नही

डियर सखी,              कैसी हो ।अब तुम ये मत कह देना कि ये तुम्हें क्या हो गया है।आधी अंग्रेजी और आधी हिंदी। कोई ना जो अंग्रेजी जानते है वो अंग्रेजी पढ़ लेगे। ब

डियर सखी,              कैसी हो ।अब तुम ये मत कह देना कि ये तुम्हें क्या हो गया है।आधी अंग्रेजी और आधी हिंदी। कोई ना जो अंग्रेजी जानते है वो अंग्रेजी पढ़ लेगे। ब

कुछ ऐसा भी हो कि कुछ ना हो तो भी पूरा सा लगे,ज़िन्दगी में कुछ अधूरेपन भी अच्छे लगने चाहिए! 

हैलो सखी,            कैसी हो होली की थकान मिटी के नही ।भयी हम ने तो कल भरपूर आराम किया। क्यों कि होलिका दहन वाले दिन सारा दिन रसोईघर में बीता हमारा । क्या क्या

ज़िन्दगी  से  जब  भी  लिया  मशवरा  कोई,उसने मुझे एक नया तजुर्बा इनाम में दे दिया! 

जब ज़िंदगी उलझ जाए  तो कुछ ऐसा कीजिए .. अश्क़ों के ताप से इस पत्थर दिल को  पिघला दीजिए ..! औरों की हंसी से कर अपने ग़म की दवा  सब्र का प्याला ले घूँट घूँट पीजिए ..! बंदों के बनाए ख़ुदा तो बहुत ह

जब ज़िंदगी उलझ जाए  तो कुछ ऐसा कीजिए .. अश्क़ों के ताप से इस पत्थर दिल को  पिघला दीजिए ..! औरों की हंसी से कर अपने ग़म की दवा  सब्र का प्याला ले घूँट घूँट पीजिए ..! बंदों के बनाए ख़ुदा तो बहुत ह

हैप्पी होली मेरी प्यारी सखी।      कैसी हो। मुझे नही होली मुबारक करो गी।खैर कोई बात नही।आज तो बहुत थकान हो गयी है।सुबह से पकवानों का दौर चल रहा है।कभी गुजिया, कभी दही भल्ले ,कभी पान

ज़िंदगी में इतना तो संघर्ष कर ही लेना चाहिए, कि अपने बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए दूसरों का उदाहरण न देना पड़े।

बनकर अल्फाज़ मेरे जज़्बात निकल आते हैं,,,वरना,,, मैं तो एक कोरा कागज हूं :💘

आज मै आपको एक बहुत ही रोचक बात बताने जा रहा हूं , जी हां जैसा की हमारे आज का शीर्षक देख पाठक महोदय  या महोदया जी आप समझ ही चुके होंगे , की मै आज किनके दुखड़े बताने जा रहा हूं ? कुवारे होने क

प्रिय सखी,               आज मन पता नही क्यों फाल्गुन के गीत गाने को कर रहा है।       *  "होली आयी रे कन्हाई रंग बरसे ,बजादे जरा बांसुरी

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पहचान बनाने के लिए, उम्मीद जगाई है। कुछ कर दिखाने की, कसम अब खाई है। गुमराह राहों से, लौट कर अब आना हैं। खुद को खोज कर, पहचान अब बनाना है। अंधेरे से कल को, लौ एक दिखाई है। सुनहरे से कल का, ख्वाब सज

तेरे आँचल मे मिला दुनिया की हर ख़ुशीतेरे साये मे लगे महफूज ये मेरी ज़िन्दगीक्यों न तुम्हे खुदा से ऊपर मानु ए माँ मेरीदुनिया ने तो जख्म दिया पर दिया है तुमने मुझे ज़िन्दगीमेरी ख़ामोशी से जो तू दिल का हाल प

हैलो सखी ,          कैसी हो । मै अच्छी हूं कल हमारी होली के रंगों पर बात हो रही थी कि किस कारण से मुझे पक्के रंगों की होली पसंद नही है। मुझे याद है एक बार होली के आसपास ह

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