shabd-logo

जीवन परिचय

hindi articles, stories and books related to Jivan parichay


🏵️🍁🏵️🍁🏵️🍁🏵️🍁🏵️🍁🏵️🍁🏵️🍁🏵️🍁🏵️🍁🏵️चुभती है राते अब आँखों नमी बनकेजलता है दिन दिल में यादो की आग लिएकितना मजबूर है ज़िन्दगी जो रो भी न पाए एक कतरा ये नाम की मुश्कान अब होठों पर अँगारे

वह सुंदरी से कहती है। मैं थोड़ी देर में आती हूं ।और अपना वही पुराना थैला लेते हुए ,अपनी चप्पल पहनते हुए वह बाहर को चली जाती हैं।सावित्री के जाने के बाद सुंदरी घर के बिखरे समानों को समेटने लगती हैं। ए

बीच-बीच में सुंदरी की आंखें नींद से बंद होती रहती है। थोड़े देर में सुंदरी नींद में सो जाती है ।अचानक जब सुंदरी की नींद टूटती है ।तो वह घड़ी की तरफ देखती है। सुबह के 4:00 बज रहे हैं। सावित्री का कुछ प

महिला दिवस मुबारक हो मेरी सखी,      कैसी हो।मै अच्छी हूं।आज सुबह से ही देख रही हूं सभी वहटस अप गुरुप मे क्या नर क्या नारी सभी एक दूसरे को महिला दिवस की बधाई दे रहे है।क्या वास्तव मे हमा

बरसात का मौसम था ।बहुत तेज बारिश हो रही थी। 16 साल की सुन्दरी कमरे में बैठी अपनी मां सावित्री का इंतजार कर रही थी। मां कब आएगी बहुत देर हो चुकी है ,मन ही मन वह खुद से सवाल करती है। भूखी सुन्दरी खिड़की

कितना कुछ बिकता है,कितना कुछ खरीदा है,यहां सब ही बिकता है,यहां सब पराया ही है !बोतल में पानी बिकता ,सिलींडर में हवा बिकती,सांसो के लिए बोली लगती,बिकती है करोडों में मिट्टी!बिकता है यहां हर इन्सान,बिकत

रह कर तेरे पास, हम इतना तन्हा क्यो हैं।कुछ तो कमी है हमारे दरमियान, वरना हम इतना तन्हा क्यो हैं।।

हैलो सखी,      कैसी हो।मै अच्छी हूं।आज प्रज्ञा जी और गीता जी का साक्षात्कार देखा शब्द इन के फ़ेसबुक पेज पर। दोनों की लेखिका जमीन से जुड़े हुए हैं। प्रज्ञा तो बहुत छोटी है।पर लेखिका के त

सखी,     कैसी हो।देखो मै तुम से नाराज़ हूं मै हर बार तुम से पूछती हूं कैसी हो लेकिन तुम कभी नही पूछती कि मैं कैसी हूं। चलो कोई ना।जब भी मन करे पूछ लेना। मै बता दूं आज मै खुश हूं क्

कभी महफिल तो कभी खुद तनहाई,कभी दर्द तो कभी खुशी की शहनाई,कभी जवानी कभी बिते दिनों की कहानी,कभी सहेली तो अपने आप में एक पहेली,कभी आरजू तो कभी कर दे मुझे अकेली,कभी साथ तो कभी खुद ही बेबस बेचारी,सच बता ज

पलके बंद करूँ तो ख़्वाब मे तुम, जो आँखें खोलु तो ख़्याल मे तुम; ग़र ना दिखो कभी आसपास, तो मन के हर सवाल मे तुम; जो नज़र भर का दीदार हो गया, तो हर सवाल के जवाब मे तुम; बड़ी अज़ीब रोग है ये इश्क़ भी, ह

 अश्व संचालनासन: शारीरिक पॉस्चर सुधारने का सर्वश्रेष्ठ आसन जानिए इसने अन्य लाभ व विधिअश्व संचालनासन एक संस्कृत भाषा का शब्द है। इस आसन को करते समय शरीर की आकृति घुड़सवार जैसी हो जाती है इसलिए इसको

प्रिय सखी।  कैसी हो।अब मैं ठीक हूं।अब ये नही पूछोगी कि कल मै क्यों नही आयी।पता है कल मेरा मन ठीक नही था।कल पड़ोस मे एक घटना घटित हो गयी।   मेरी पड़ोसन मेरी पक्की सहेली है। बेचारी एक किर

अजनबियों के सिलसिले से सुरु हुई तेरी मेरी कहानीजाकर अजनबियों में ही खत्म हो गईंप्यार का एक पैग़ाम लेकर आए इस पल ने मेरीपूरी ज़िंदगी को ही बदल के रख दीआसुओ में आँसू दे गए खुसियो का के पल सारेछिन मुझे मुझ

हैलो कैसी हो सखी,           नया महीना ,नयी शुरुआत ,सब कुछ नया है ।नयी किताब।आओ फिर से मेरे जीवन की खट्टी मीठी यादों को मिलकर संजोए।तुम श्रोता मैं वाचक।अब तो तुम्हें

हैलो सखी,      कैसी हो।आज तो महीने का आखिरी दिन है और तुम से मिलते हुए बीसवां दिन। शब्द टीम ने कहा है कि आज अपनी डायरी को सम्पूर्ण मार्क करना है सो इसी लिए सोचा कि जल्दी से आज का भाग लि

हां सखी ,       कैसी हो।आज तो मन ही नही लग रहा कही भी।आज सुबह सुबह ही बाप-बेटे मे बहस बाजी हो गयी।मेरे पतिदेव आजकल कुछ ज्यादा ही चिड़चिड़े हो गये है। मैंने बताया था ना कि बीमार चल

शादी-शुदा जिंदगी भी एक युद्धक्षेत्र है , जहां पत्नी रशिया – पति यूक्रेन – और परिवार वाले नाटो हैं॥

 1. आँखों में अश्क लिये ; इधर-उधर ढूंढता हूँ | जब नहीं पाता हूँ ; तो खुद को समझाता हूँ || तेरी यांदों को हृदय में संजोय ; अश्क को घूंट –घूंट पीता हूँ ||”  -अजित कुमार सिन्हा, अमरपुरा   2. “सन 1956

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए