shabd-logo

लक्ष्मण चरित्र - भाग - १२ (बारह)

21 मई 2022

25 बार देखा गया 25

*लक्ष्मण जी* श्री राम जी की आज्ञा मिलते ही दौड़ते हुए अपनी माता सुमित्रा के पास पहुंचते हैं | उन्होंने अपनी मैया को प्रणाम तो किया परंतु उनका मन राघवेंद्र सरकार में ही लगा था | अपने पुत्र *लक्ष्मण* के मुखमंडल पर उदासी देख कर मैया सुमित्रा ने पूछा :-  हे पुत्र ! क्या बात है ? अरे तुम्हारा मुखमंडल बहुत ही उदास एवं तेजहीन क्यों लग रहा है ?? *लक्ष्मण जी* ने कैकेई मैया के वरदान एवम राम वन गमन की सारी कथा अपनी मैया को सुना दी | *लक्ष्मण जी* की बात सुनकर सुमित्रा जी :--

*गई सहमि सुनि वचन कठोरा !*
*मृगी देखि दव जनु चहुँ ओरा !!*

उस समय मजाक सुमित्रा की वही स्थिति हो गई जैसे बन में चारों ओर लगी आग को देखकर हिरणी भयभीत जाती है | मैया के मुखमंडल पर कुछ क्षण के लिए भय परिलक्षित होने लगा | *लक्ष्मण जी* अपनी मैया की दशा को देखकर एक बार फिर भयभीत हो गये कि कहीं पुत्र प्रेम के वशीभूत होकर मैया हमें बन जाने से रोक ना ले | जिस प्रयोजन के लिए इतने उत्साहित होकर आये थे वह अधर में फंसता हुआ दिखने लगा | *लक्ष्मण जी* कुछ भी कभी नहीं पा रहे है | तुलसीदासजी लिखते हैं :---

*मांगत विदा सभय सकुचाहीं !*
*जाई संग विधि कहहिं की नाहीं !!*

*लक्ष्मण* जिस कार्य के लिए ( आज्ञा लेने ) आए थे उसे संकोच एवं भय के कारण कह नहीं पा रहे है | एकटक अपनी माता के मुखमंडल के बदलते भावों को देख रहे हैं कि कहीं यह ना कह दे कि बनवास तो राम को मिला है तुम्हारा बन में क्या काम ?? अत: तुम्हें नहीं जाना है |

परंतु धन्य है माता सुमित्रा | विचार करने वाली बात है कि जब पुत्र इतना त्यागी है तो माता कितनी महान होगी ? सुमित्रा जी को कष्ट तो असहनीय हुआ परंतु उन्होंने धैर्य धारण करते हुए गंभीर वाणी में कहा :-  हे पुत्र *लक्ष्मण* !  तू धन्य है ! तूने अपने साथ आज सबको धन्य कर दिया ! क्योंकि :---

*कुलम् पवित्रम् जननी कृतार्था ,  वसुंधरा भाग्यवती च धन्या !*
*स्वर्ग स्थितो$पि पितरो हि धन्या , यस्मिन गृहे वैष्णव नामधेयम् !!*

प्रेमयुक्त मधुर वाणी में मैया कहती है :-  हे पुत्र ! जिस घर में भगवान का नाम लेने वाला जन्म ले लेता है वह कुल पवित्र हो जाता है , माता कृतार्थ जाती है  और यह पृथ्वी तथा स्वर्ग (पितृलोक) में स्थित पितर भी धन्य हो जाते हैं और आज तू तो साक्षात भगवान की सेवा में जा रहा है | माता सुमित्रा कहती हैं :-  हे *लक्ष्मण* ! तू यहां क्यों आया है ? किस की आज्ञा लेने आया है ? हे तात तेरी माता तो स्वयं जानकी है और तुमको स्नेह करने वाले रघुराई ही तुम्हारे पिता हैं | सुमित्रा जी अपने पुत्र *लक्ष्मण* को भक्ति एवं सेवा करने को उत्साहित कर रही हैं | आज की मातायें अपने पुत्र को ऐसी शिक्षा क्यों नहीं दे पाती हैं ? यह चिंतन का विषय होना चाहिए | सुमित्रा जी ने कहा हे पुत्र ! ;---

*अवध तहां जहं राम निवासू !*
*तहइं दिवस जहं भानु प्रकासू !!*
*जौ पैं  सीय राम बन जाहीं !*
*अवध तुम्हार काज कछु नाहीं !!*

माता कहती हैं कि हे पुत्र *लक्ष्मण* ! यदि तुम्हारे भैया वन को जा रहे हैं तो तुम्हारा यहां अयोध्या में कोई काम ही नहीं है ,  क्योंकि जिस प्रकार सूर्य जहां प्रकाश देता है वही दिन होता है उसी प्रकार अयोध्या का अस्तित्व एवं ऐश्वर्य तो श्रीराम से ही है वे जहां रहेंगे वहीं अयोध्या हो जाएगी | माता के वचन एवं विचार को सुनकर *लक्ष्मण जी* प्रेम भाव से विह्वल हो गए उनकी आंखों से अविरल अश्रुधारा प्रवाहित होने लगी | एकटक अपनी मां का के मुखमंडल को निहारते हुए *लक्ष्मण जी* उनके द्वारा दी जा रही शिक्षा को अपने हृदय में समाहित करते जा रहे हैं | धन्य हैं *लक्ष्मण जी* एवं मैया सुमित्रा जी |

शेष अगले भाग में :---

25
रचनाएँ
श्री लक्ष्मण चरित्र
0.0
त्रेतायुग में पृथ्वी का भार उतारने के लिए अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ जी के यहाँ श्रीहरि नारायण ने चार रूपों में अवतार लिया ! शेषावतार श्री लक्ष्मण जी जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त श्री राम जी की छाया बनकर रहे ! लक्ष्मण जी का जीवन चरित्र बहुत ही मर्यादित एवं सेवाभाव से परिपूर्ण रहा ! श्री लक्ष्मण जी की जीवनगाथा लिखने का साहस तो हम में नहीं है क्योंकि लक्ष्मण जी "सकल जगत आधार" हैं फिर भी हमारी ओर से एक पिपीलिका प्रयास के रूप में श्री लक्ष्मण जी का चरित्र प्रस्तुत है
1

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - १ (एक)

2 मई 2022
0
0
0

सनातन धर्म में *रामायण एवं महाभारत* दो महान ग्रंथ है , जहां महाभारत कुछ पाने के लिए युद्ध की घोषणा करता है वही रामायण त्याग का आदर्श प्रस्तुत करती है |  मनुष्य का आदर्श क्या होता है ?  अपने जीवनकाल मे

2

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - २ (दो)

2 मई 2022
0
0
0

एक मानव की मर्यादा क्या होती है इसका चित्रण हमको *लक्ष्मण जी* के चरित्र में विधिवत देखने को मिलता है ! यदि *समर्पण भाव* की झलक देखने की लालसा हो तो हमें *लक्ष्मण जी* के चरित्र में देखने को मिलती है |

3

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - ३ (तीन)

2 मई 2022
0
0
0

हम *लक्ष्मण जी* के जीवन के रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करते हुए उनकी विशेषताओं पर चर्चा कर रहे हैं !  *लक्ष्मण सों वीर धीर साहसी प्रतापवान ,*                     *अतुलित बलशाली न देखा जहान में

4

लक्ष्मण चरित्र भाग - ४ (चार)

4 मई 2022
0
0
0

*लक्ष्मण जी* के बिना श्री राम जी का चरित्र अधूरा है | भगवान श्रीराम यदि पूर्ण परमात्मा है तो उनको पूर्णत्व प्रदान करते ही *श्री लक्ष्मण जी* | *लक्ष्मण जी* के बिना श्री राम जी का जीवन भी वैसे ही है

5

लक्ष्मण चरित्र भाग - ५ (पाँच)

4 मई 2022
0
0
0

*श्री लक्ष्मण जी* भगवान श्री राम को पूर्णता प्रदान करते हैं , यदि *लक्ष्मण* ना होते तो शायद भगवान श्री राम एवं भगवती सीता का मिलन कदाचित कठिन था | पुष्प वाटिका जब *लक्ष्मण जी* ने देखा कि:--- *"भये

6

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - ६ (छ:)

5 मई 2022
0
0
0

*श्री लक्ष्मण जी* ने जो आधारशिला रखी उसी पर चलकर श्री राम ने विशाल शिव धनुष का खंडन करके सीता जी द्वारा जयमाला ग्रहण की |  जनकपुर वासियों में अपार प्रसन्नता फैल गई , महाराज जनक एवं महारानी  सुनैना का

7

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - ७ (सात)

5 मई 2022
0
0
0

महाराज जनक की सभा में *लक्ष्मण जी* एवं परशुराम जी का घनघोर वाकयुद्ध हुआ | परशुराम जी इतने ज्यादा क्रोध में थे कि *लक्ष्मण जी* के इशारे को समझना तो दूर सुनना भी नहीं चाहते थे |  *जैसा कि यह सत्य है कि

8

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - ८ (आठ)

5 मई 2022
0
0
0

जनकपुर में *श्री लक्ष्मण जी* के जीवन में आई उर्मिला जी | *लक्ष्मण जी* का चरित्र यदि इतना देदीप्यमान हुअा तो उसमें उर्मिला जी की प्रमुख भूमिका थी | *जिस प्रकार रामराज्य के सूत्रधार लक्ष्मण जी हा उसी प्

9

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - ९ (नौ)

7 मई 2022
0
0
0

रामायण में *लक्ष्मण जी* का चरित्र बहुत ही सूक्ष्म दर्शाया गया है |  यह भी सच है कि जितना महत्व *भरत जी* का है उससे कम *लक्ष्मण जी* का नहीं है | दोनों ही अपने स्थान पर महत्वपूर्ण हैं परंतु यदि साहित्यि

10

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - १० (दस)

7 मई 2022
0
0
0

*लक्ष्मण जी* को गोस्वामी तुलसीदास जी ने *चातक* कहा है और गोस्वामी जी का यह चतुर *चातक* देखना हो को *दोहावली* में देखा जा सकता है , क्योंकि यह *चातक* तो स्वयं गोस्वामी जी का अंतः करण हा जो *चातक* के रू

11

लक्ष्मण चरित्र - भाग - ११ (ग्यारह)

11 मई 2022
0
0
0

*लक्ष्मण जी* को यदि गोस्वामी जी *चातक* कहकर यह प्रतिपादित करते हैं कि लक्ष्मण कि ऐसे *चातक* हैं जो श्री राम रूपी स्वाति नक्षत्र के अतिरिक्त कुछ भी ग्रहण नहीं कर सकते अपितु श्री राम जी के लिए सर्वस्व

12

लक्ष्मण चरित्र - भाग - १२ (बारह)

21 मई 2022
0
0
0

*लक्ष्मण जी* श्री राम जी की आज्ञा मिलते ही दौड़ते हुए अपनी माता सुमित्रा के पास पहुंचते हैं | उन्होंने अपनी मैया को प्रणाम तो किया परंतु उनका मन राघवेंद्र सरकार में ही लगा था | अपने पुत्र *लक्ष्मण* के

13

लक्षमण चरित्र - भाग - १३ (तेरह)

21 मई 2022
1
0
0

*लक्ष्मण जी*  अपनी मैया सुमित्रा के सामने खड़े होकर उनके अमृतमयी वचनों को सुन रहे हैं | त्याग की प्रत्यक्ष मूर्ति मैया सुमित्रा ने कहा कि *लक्ष्मण*  मैंने सुना है कि तेरा भैया राम नारायण का अवतार है औ

14

लक्ष्मण चरित्र - भाग - १४ (चौदह)

21 मई 2022
1
0
0

लक्ष्मण जी* अपनी माता सुमित्रा से विदा लेकर प्रभु श्रीराम के पास प्रमुदित मन से पहुंच गये | *गये लखन जहं जानकिनाथू !* *भे मन मुदित पाइ प्रिय साथू !!* आज श्री राम के साथ बन जाने का अवसर पाकर *लक्ष्म

15

लक्ष्मण चरित्र - भाग - १५ (पन्द्रह)

21 मई 2022
0
0
0

श्रीराम मैया कौशल्या के भवन से जैसे ही चलने को तैयार हुए तो सीता जी ने पूछा :- हे नाथ ! अब कहां चल रहे है ? श्रीराम ने कहा ;-  अब हम पिताश्री की चरण वंदना करके वन को प्रस्थान करेंगे ! सीता जी ने कहा :

16

लक्ष्मण चरित्र - भाग - १६ (सोलह)

21 मई 2022
1
0
0

भगवान श्री राम *लक्ष्मण* और सीता जी जब पिता महाराज दशरथ से आज्ञा एवं विदा लेने गये तो दशरथ जी ने सुमन्त्र को आदेश दिया :--- *सुठि सुकुमार कुमार दोउ , जनक सुता सुकुमारी !* *रथ चढ़ाइ देखराउ वन ,

17

लक्ष्मण चरित्र - भाग - १७ (सत्रह)

22 मई 2022
0
0
0

केवट की नाव से गंगा पार करके श्री राम *लक्ष्मण* एवं सीता जी वन पथ पर आगे बढ़े | यहां पर तुलसीदास जी ने लक्ष्मण जी को बहुत सुंदर उपमा दी :--- *आगे राम लखन बने पाछे !* *तापस वेष विराजत काछे !!* *उभ

18

लक्ष्मण चरित्र - भाग - १८ (अट्ठारह)

22 मई 2022
0
0
0

वनवास काल में श्री राम अपने अनुज *लक्ष्मण* एवं भार्या सीता के साथ चित्रकूट पहुंचे , चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे सुंदर कुटिया बनाकर वही निवास करने लगे | *लक्ष्मण जी* मन , वचन एल कर्म से प्रभु श

19

लक्ष्मण चरित्र - भाग - १९ (उन्नीस)

22 मई 2022
0
0
0

*लक्ष्मण जी* तो जान ही गये थे कि राजा भरत अपनी संपूर्ण सेना के साथ चित्रकूट आ गए हैं |  *लक्ष्मण जी* का दृष्टिकोण परिवर्तित हो गया , अपने प्रभु श्रीराम की असुरक्षा की भावना उनके हृदय में घर बना गई | व

20

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - २० (बीस)

27 मई 2022
0
0
0

*लक्ष्मण जी* तो जान ही गये थे कि राजा भरत अपनी संपूर्ण सेना के साथ चित्रकूट आ गए हैं | *लक्ष्मण जी* का दृष्टिकोण परिवर्तित हो गया , अपने प्रभु श्रीराम की असुरक्षा की भावना उनके हृदय में घर बना गई | वे

21

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - २१ (इक्कीस)

27 मई 2022
0
0
0

*लक्ष्मण जी* ज्ञानवान होकर भी आज एक साधारण मनुष्य की भाँति अपने बल का बखान करने लगे | अपने बल का बखान करने पर जो परशुराम जी की हंसी उड़ाते थे आज वही *लक्ष्मण* क्षणिक अहंकार के वशीभूत होकर श्रीराम के स

22

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग २२ (बाईस)

27 मई 2022
0
0
0

*लक्ष्मण जी* चित्रकूट में भरत जी के प्रति जो प्रतिज्ञा करते हैं उसको सुनकर कि तीनों लोक कम्पित हो गए ! भगवान शिव भी सकुचा गये और लोकपाल लड़खड़ा कर भाग जाना चाहते हैं | एक बार पहले भी जनकराज की सभा में

23

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - २३ (तेईस)

27 मई 2022
0
0
0

श्री राम जी की चरण पादुका लेकर भरत जी अयोध्या लौटे और कुछ दिन चित्रकूट में रहकर श्री राम ने वह निवास स्थान त्याग दिया क्योंकि वह स्थान सभी लोग जान गये थे | वहाँ से चलकर अत्रि आदि मुनियों का आशीर्वाद ल

24

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - २४ (चौबीस)

27 मई 2022
0
0
0

पंचवटी में भगवान श्रीराम ने *लक्ष्मण जी* को जो दिव्य उपदेश दिया उसे *अध्यात्म रामायण* में *रामगीता* कहा गया है | *लक्ष्मण जी* के प्रश्नों का उत्तर देते हुए श्री राम कहते हैं *लक्ष्मण* तुमने जो प्रश्न

25

श्री लक्ष्मण चरित्र - भाग - २५ (पच्चीस)

27 मई 2022
0
0
0

पंचवटी में दुर्लभ ज्ञान सरिता प्रवाहित करते हुए भगवान श्रीराम *लक्ष्मण जी* को माया के विषय में बताने के बाद *ज्ञान* के विषय में बताते हुए कहते हैं | *हे लक्ष्मण !* *ग्यान मान जहँ एकउ नाहीं !* *द

---

किताब पढ़िए