माँ एक ऐसा शब्द है जिसके बराबर पूरे ब्रह्माण्ड में कोई शब्द नहीं है.जन्म लेने के बाद बच्चा जो पहला शब्द बोलता है वह माँ ही है.माँ एक गुरु भी है,जो बच्चे के एकदम नए मन को अपने ज्ञान ,अनुभव से गढती है और उसे भविष्य का मानव बनाने का प्रयास करती है.माँ बच्चे के जन्म में पूरे नौ महीने का समय जिस भाव ,कष्ट व सुखानुभूति से व्यतीत करती है,उसकी बराबरी पिता नहीं कर पता.यहाँ मेरा आशय पिता के त्याग और उत्तरदायित्व को कमतर बताना नहीं है.यदि बच्चे के जन्म में माँ व पिता की बराबर भूमिका की बात करें तो वहां भी नौ महीने का अतिरिक्त समय माँ ही देती है जो उसको महान बनाने के लिए ,अन्य कारकों के न होने पर भी,पर्याप्त है.
बचपन में एक कहानी पढ़ी थी.एक युवक एक युवती से प्रेम करता था.युवक ने उससे विवाह का प्रस्ताव रखा .उसने कहा कि वह उससे विवाह तभी करेगी जब वह अपनी माँ का कलेजा निकाल कर लाएगा.युवक ने अपनी माँ की हत्या कर दी और उसका कलेजा निकालकर चला.रास्ते में उसे ठोकर लगी.माँ के कलेजे ने कहा -बेटे तुझे चोट तो नहीं लगी.तो ऐसी होती है माँ.युवती ने उससे कहा कि तुम अपनी माँ का नहीं हो सके तो मेरे क्या होगे ?
रामचरित मानस में एक प्रसंग आता है जिसमें श्री राम कहते हैं-
"जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी".
प्रसिद्ध शायर श्री मुनव्वर राना की एक कविता की कुछ पंक्तियाँ यहाँ पर लिखी जा रही हैं जो अपने आप में ही माँ की बारे में सब कुछ बता जाती हैं.
"किसी को घर मिला हिस्से में या दुकां आई.
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई.
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं
माँ से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं.
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटूं मेरी माँ सज़दे में रहती है."
भगवान भी जब अवतार लेते हैं तो माँ के आँचल का ही आश्रय लेते हैं.
यहाँ पर एक कटु सत्य का उद्घाटन करने से मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा हूँ.मैंने ऐसे कई लोगों को देखा है जो नवरात्रि में माँ दुर्गा की आराधना करते हैं पूरे विधि विधान से पर अपनी जन्मदात्री को एक रोटी देने में भी दरिद्र हो जाते हैं.मुझे पता नहीं कि माँ दुर्गा ऐसे लोगों की पूजा वास्तव में स्वीकार करती हैं या नहीं.
एक सज्जन ने क्या खूब कहा है-"साहब ने शौक से कुत्ते पाल रखे हैं और बूढी माँ को घर से निकाल रखा है."
भगवान से प्रार्थना है कि जीवन में मुझे कुछ दें न दें ,माँ का सानिध्य अवश्य दें .
"माँ तुझे प्रणाम"