shabd-logo

महल-अटारी

21 फरवरी 2022

34 बार देखा गया 34

चिड़िया जब डाल पर बैठती है,  

अपना सन्तुलन ठीक काने को दुम को जरा ऊपर उठाती है । 

उस समय वह कितनी खुश नजर आती है? 


मानों, उसे कोई खजाना मिल गया हो; 

जीवन भर का अरमान अचानक फूल बन कर खिल गया हो । 


या विरासत में कोई राज उसने पाया हो 

अथवा अभी-अभी ऐसा नीड़ बनवाया हो, 

जिसमें एक हिस्सा मर्द का है और एक जनाना भी; 

ड्राइंग-रूम भी है और गुसलखाना भी। 


महल-अटारी के लिए आदमी बेकार रोता है । 

मैं पूछता हूँ 

इस चिड़िया की तरह वह खुशा क्यों नहीं होता है ।  

 

9
रचनाएँ
आत्मा की आँखें
0.0
‘आत्मा की आँखें' में संकलित हैं डी.एच. लॉरेन्स की वे कविताएँ जो यूरोप और अमेरिका में बहुत लोकप्रिय नहीं हो सकीं, लेकिन दिनकर जी ने उन्हें चयनित कर अपनी सहज भाषा-शैली में इस तरह अनुवाद किया कि नितान्त मौलिक प्रतीत होती हैं। कविताओं की भाषा गढ़ने के लिए लॉरेन्स छेनी और हथौड़ी का प्रयोग नहीं करते थे। जैसे ज़‍िन्दगी वे उसे मानते थे जो हमारी सभ्यतावाली पोशाक के भीतर बहती है। उसी तरह, भाषा उन्हें वह पसन्द थी जो बोलचाल से उछलकर क़लम पर आ बैठती है।
1

प्रार्थना

21 फरवरी 2022
1
0
0

 हर चीज, जो खूबसूरत है,  किसी-न-किसी देह में है;  सुन्दरता शरीर पाकर हँसती है,  और जान हमेशा लहू और मांस में बसती है ।  यहाँ तक कि जो स्वप्न हमें बहुत प्यारे लगते हैं,  वे भी किसी शरीर को ही देखक

2

एकान्त

21 फरवरी 2022
1
0
0

लोग अकेलेपन की शिकायत करते हैं ।  मैं समझ नहीं पाता ,  वे किस बात से डरते हैं ।  अकेलापन तो जीवन का चरम आनन्द है ।  जो हैं निःसंग,  सोचो तो, वही स्वच्छंद है ।  अकेला होने पर जगते हैं विचार;  ऊप

3

अकेलेपन का आनन्द

21 फरवरी 2022
1
0
0

अकेलेपन से बढ़कर   आनन्द नहीं , आराम नहीं ।  स्वर्ग है वह एकान्त,  जहाँ शोर नहीं, धूमधाम नहीं ।    देश और काल के प्रसार में,  शून्यता, अशब्दता अपार में  चाँद जब घूमता है, कौन सुख पाता है ? 

4

उखड़े हुए लोग

21 फरवरी 2022
1
0
0

अकेलेपन से जो लोग दुखी हैं,  वृत्तियाँ उनकी,  निश्चय ही, बहिर्मुखी हैं ।  सृष्टि से बाँधने वाला तार उनका टूट गया है;  असली आनन्द का आधार छूट गया है ।      उदगम से छूटी हुई नदियों में ज्वार कह

5

देवता हैं नहीं

21 फरवरी 2022
1
0
0

 देवता हैं नहीं,     तुम्हें दिखलाऊँ कहाँ ?  सूना है सारा आसमान,  धुएँ में बेकार भरमाऊँ कहाँ ?  इसलिए, कहता हूँ,  जहाँ भी मिले मौज, ले लो ।  जी चाहता हो तो टेनिस खेलो  या बैठ कर घूमो कार में 

6

महल-अटारी

21 फरवरी 2022
1
0
0

चिड़िया जब डाल पर बैठती है,   अपना सन्तुलन ठीक काने को दुम को जरा ऊपर उठाती है ।  उस समय वह कितनी खुश नजर आती है?  मानों, उसे कोई खजाना मिल गया हो;  जीवन भर का अरमान अचानक फूल बन कर खिल गया हो । 

7

शैतान का पतन

21 फरवरी 2022
0
0
0

जानते हो कि शैतान का पतन क्यों हुआ?   इसलिए कि भगवान  जरा ज्यादा ऊँचा उठ गये थे ।  इसी से शैतान का दिमाग फिरा ।  दुनिया का सन्तुलन ठीक रखने के लिए  बेचारा नीचे नरक में गिरा-  भगवान को ललकारता

8

ईश्वर की देह

21 फरवरी 2022
0
0
0

ईश्वर वह प्रेरणा है,   जिसे अब तक शरीर नहीं मिल है।  टहनी के भीतर अकुल्राता हुआ फूल,  जो वृन्त पर अब तक नहीं खिला है।  लेकिन, रचना का दर्द छटपटाता है,  ईश्वर बराबर अवतार लेने को अकुल्राता है । 

9

निराकार ईश्वर

21 फरवरी 2022
0
0
0

हर चीज, जो खूबसूरत है,   किसी-न-किसी देह में है;  सुन्दरता शरीर पाकर हँसती है,  और जान हमेशा लहू और मांस में बसती है ।  यहाँ तक कि जो स्वप्न हमें बहुत प्यारे लगते हैं,  वे भी किसी शरीर को ही दे

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए