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शैतान का पतन

21 फरवरी 2022

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जानते हो कि शैतान का पतन क्यों हुआ?  

इसलिए कि भगवान 

जरा ज्यादा ऊँचा उठ गये थे । 


इसी से शैतान का दिमाग फिरा । 

दुनिया का सन्तुलन ठीक रखने के लिए 

बेचारा नीचे नरक में गिरा- 


भगवान को ललकारता हुआ 

कि अगर तुम बिना दाग वाले चित्र हो, 

प्रभो! तुम यदि इतने ऊँचे हो, 

इतने पवित्र हो, 

तो मैं नीचे अवश्य गिरूँगा । 

और जो रास्ता नरक को जाता है, 

उसके दोनों ओर अंगूर के बाग लगाऊँगा; 

अंगूर की लताएँ, अफीम के पौधे और गूलर के पेड़, 

और भी अनेक तरह के फूल रंग-बिरंगे, ढेर के ढेर । 


और जो आत्माएँ मेरे समान गिर जायेंगी, 

वे खाने को अंगूर पायेंगी । 

थरथराते हाथों से जाम धरे हुए, 

बालों में अफीम के फूल भरे हुए, 

ये आत्माएँ मस्ती के गीत गायेंगी । 

उछलती, कूदती, खेलती, 

एक-दूसरी को गुदगुदाती-ढकेलती 

हंसी-खुशी के साथ नरक की ओर जायेंगी । 



स्वर्ग और नरक 

एक ही तराजू के दो पल्ले हैं । 

मूँज की डोरी और रेशम के छल्ले हैं। 

तराजू के दोनों पल्ले जब हिलते हैं, 

कभी-कभी एक दूसरे से जा मिलते हैं।  

 

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रचनाएँ
आत्मा की आँखें
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‘आत्मा की आँखें' में संकलित हैं डी.एच. लॉरेन्स की वे कविताएँ जो यूरोप और अमेरिका में बहुत लोकप्रिय नहीं हो सकीं, लेकिन दिनकर जी ने उन्हें चयनित कर अपनी सहज भाषा-शैली में इस तरह अनुवाद किया कि नितान्त मौलिक प्रतीत होती हैं। कविताओं की भाषा गढ़ने के लिए लॉरेन्स छेनी और हथौड़ी का प्रयोग नहीं करते थे। जैसे ज़‍िन्दगी वे उसे मानते थे जो हमारी सभ्यतावाली पोशाक के भीतर बहती है। उसी तरह, भाषा उन्हें वह पसन्द थी जो बोलचाल से उछलकर क़लम पर आ बैठती है।
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प्रार्थना

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एकान्त

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शैतान का पतन

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निराकार ईश्वर

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