शरद् नवरात्रि की तिथियाँ
शनिवार 28 सितम्बर - आश्विन कृष्ण अमावस्या – महालया
के नाम से भी जिसे जाना जाता है - हम सभी अपने समस्त पितृगणों को श्रद्धापूर्वक
विदा करेंगे – इस निवेदन के साथ कि हमारा आतिथ्य स्वीकार करने इसी प्रकार आते
रहेंगे और अपना आशीर्वाद हम पर सदा बनाए रखेंगे | उसके दूसरे दिन यानी रविवार 29
सितम्बर को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से घट स्थापना तथा जौ की खेती के
साथ माँ भगवती के आवाहन और आराधना का नौ दिवसीय पर्व “शारदीय नवरात्र” के रूप में
आरम्भ हो जाएगा | सर्वप्रथम सभी को शारदीय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ... माँ
भगवती अपने नौ रूपों के साथ हम सभी के साथ उपस्थित रहें और सभी का मंगल करें...
वास्तव में
लौकिक दृष्टि से ये देखा जाए तो हर माँ शक्तिस्वरूपा माँ भगवती का ही प्रतिनिधित्व
करती है - जो अपनी सन्तान को जन्म देती है, उसका भली भांति पालन पोषण
करती है और किसी भी विपत्ति का सामना करके उसे परास्त करने के लिए सन्तान को
भावनात्मक और शारीरिक बल प्रदान करती है, उसे शिक्षा दीक्षा
प्रदान करके परिवार – समाज और देश की सेवा के योग्य बनाती है – और इस सबके साथ ही
किसी भी विपत्ति से उसकी रक्षा भी करती है | इस प्रकार सृष्टि में जो भी जीवन है
वह सब माँ भगवती की कृपा के बिना सम्भव ही नहीं | इस प्रकार भारत जैसे देश में
जहाँ नारी को भोग्या नहीं वरन एक सम्माननीय व्यक्तित्व माना जाता है वहाँ
नवरात्रों में भगवती की उपासना के रूप में उन्हीं आदर्शों को पुनर्जीवित करने का
प्रयास किया जाता है |
इसी क्रम में यदि आरोग्य की दृष्टि से देखें तो दोनों ही
नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय आते हैं | चैत्र नवरात्र में सर्दी को विदा करके
गर्मी का आगमन हो रहा होता है और शारदीय नवरात्रों में गर्मी को विदा करके सर्दी के
स्वागत की तैयारी की जाती है | वातावरण के इस परिवर्तन का प्रभाव मानव शरीर और मन पर
पड़ना स्वाभाविक ही है | अतः हमारे पूर्वजों ने व्रत उपवास आदि के द्वारा शरीर और
मन को संयमित करने की सलाह दी ताकि हमारे शरीर आने वाले मौसम के अभ्यस्त हो जाएँ और
मौसमों से सम्बन्धित रोगों से उनका बचाव हो सके तथा हमारे मन सकारात्मक विचारों से
प्रफुल्लित रह सकें |
आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्र के दौरान किये जाने वाले व्रत
उपवास आदि प्रतीक है समस्त गुणों पर विजय प्राप्त करके मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर
होने के | माना जाता है कि नवरात्रों के प्रथम तीन दिन मनुष्य अपने भीतर के तमस से
मुक्ति पाने का प्रयास करता है, उसके बाद के तीन दिन मानव मात्र का प्रयास
होता है अपने भीतर के रजस से मुक्ति प्राप्त करने का और अंतिम दिन पूर्ण रूप से
सत्व के प्रति समर्पित होते हैं ताकि मन के पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाने पर हम अपनी
अन्तरात्मा से साक्षात्कार का प्रयास करें – क्योंकि वास्तविक मुक्ति तो वही है |
इस
प्रक्रिया में प्रथम तीन दिन दुर्गा के रूप में माँ भगवती के शक्ति रूप को जागृत
करने का प्रयास किया जाता है ताकि हमारे भीतर बहुत गहराई तक बैठे हुए तमस अथवा
नकारात्मकता को नष्ट किया जा सके | उसके बाद के तीन दिनों में देवी की लक्ष्मी के
रूप में उपासना की जाती है कि वे हमारे भीतर के भौतिक रजस को नष्ट करके जीवन के
आदर्श रूपी धन को हमें प्रदान करें जिससे कि हम अपने मन को पवित्र करके उसका
उदात्त विचारों एक साथ पोषण कर सकें | और जब हमारा मन पूर्ण रूप से तम और रज से
मुक्त हो जाता है तो अंतिम तीन दिन माता सरस्वती का आह्वाहन किया जाता है कि वे
हमारे मनों को ज्ञान के उच्चतम प्रकाश से आलोकित करें ताकि हम अपने वास्तविक
स्वरूप – अपनी अन्तरात्मा – से साक्षात्कार कर सकें |
नवरात्रों
में माँ भगवती की उपासना के समय हम सभी के यही प्रयास रहे इसी कामना के साथ
प्रस्तुत है इस वर्ष के नवरात्रों की तिथियों की तालिका...
रविवार
29 सितम्बर –
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा – प्रथम नवरात्र और घट स्थापना मुहूर्त प्रातः 6:13 से 7:40 तक / अभिजित मुहूर्त 11:47 से 12:35 तक / देवी के शैलपुत्री रूप की उपासना
/ चन्द्र दर्शन
सोमवार
30 सितम्बर –
आश्विन शुक्ल द्वितीया – द्वितीय नवरात्र – देवी के ब्रह्मचारिणी रूप की उपासना
मंगलवार
1 अक्तूबर – आश्विन
शुक्ल तृतीया – तृतीय
नवरात्र – देवी के चन्द्रघंटा रूप की उपासना / चित्रांगदा देवी की उपासना
बुधवार
2 अक्तूबर – आश्विन
शुक्ल चतुर्थी – चतुर्थ
नवरात्र – देवी के कूष्माण्डा रूप की उपासना / उपांग ललिता व्रत – ललिता पञ्चमी
गुरुवार
3 अक्तूबर – आश्विन
शुक्ल पञ्चमी – पञ्चम
नवरात्र - देवी के स्कन्दमाता रूप की उपासना
शुक्रवार
4 अक्तूबर – आश्विन
शुक्ल षष्ठी – षष्ठ
नवरात्र – देवी के कात्यायनी रूप की उपासना / सरस्वती आवाहन
शनिवार
5 अक्तूबर – आश्विन
शुक्ल सप्तमी – सप्तम
नवरात्र – देवी के कालरात्रि रूप की उपासना / महालक्ष्मी पूजन / सरस्वती पूजन
रविवार
6 अक्तूबर – आश्विन
शुक्ल अष्टमी – अष्टम
नवरात्र – महाष्टमी - देवी के महागौरी रूप की उपासना / सरस्वती बलिदान
सोमवार
7 अक्तूबर – आश्विन
शुक्ल नवमी – नवम
नवरात्र – देवी के सिद्धिदात्री रूप की उपासना / सरस्वती विसर्जन
मंगलवार
8 अक्तूबर – आश्विन शुक्ल दशमी – विजयादशमी –
अपराजिता देवी की उपासना / विजय मुहूर्त दोपहर दो बजकर चौबीस मिनट से तीन बजकर
ग्यारह मिनट तक /
दुर्गा प्रतिमा विसर्जन
माँ
भगवती सभी का कल्याण करें...
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