किताब के बारे मे 22 मार्च 2020 को 24 घंटे के लिये लॉकडाउन लगाया गया था, भारत सरकार की तरफ से | इन दिनों मेरा मिरज, महाराष्ट्र मे ही काम चल रहा था | अक्सर रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी मे छुट्टी नहीं मिला करती है तो इस 24 घंटे के लॉकडाउन से मन मे थोड़ी ख़ुशी भी
प्यार और मोहब्बत के धोखे से गूंजने वाली मोहब्बत की एक कहानी
पॉलिटेक्निक कॉलेज की छुट्टी हुई रेखा बाहार ही आयी थी के सूरज बाइक पे सामने खड़ा था दोनों एक दूसरे को बस देख्ते ही रहे फ़िर क्या था सूरज ने बाइक स्टार्ट की और घर को निकल गया. ये तो उसका रोज़ का काम ठ रेखा को बहोत पसंद कर्ता था शायद रेखा भी उसे काफ़ी पसंद
एक बड़ा सा कमरा, दो मंजिले पर एक डाईनिंग हाल में पचपन छप्पन साल की एक महिला डाईनिंग टेबल पर सब्जी काट रही है और ठीक पीछे उसका पति तैयार हो रहा है शायद कही जाने के लिए। पति की उम्र साठ के उपर होगी, वो याद से सभी सामान को अपने पास रखता है जिसे लेकर उसे
🌺खिलौने जो आज भी जिंदा है🌺 आज मायके में बोहोत दिनों बाद मैने अपनी पुरानी पेटी खोली और मां से कहा - "आप ने अब भी मेरे खिलौने कितने संभाल के रखे हैं। " और मन ही मन सोचने लगी कि एक मायका ही होता है जो अपनी बिटिया के सारे निर्जीव खिलौनों को
बदलाव वह औरत जिसका नाम कमला था । आज तो मुझे किसी भी किमत पर नही छोड़ने वाली थी । क्योंकि सुबह से ही हर किसी इंसान से या गली से गुजरने वाले बच्चे, बूढ़े या जवान से मेरा पता पूछती, फिर रही है क्योंकि अभी तीन दिन पहले ही मैं उस गली से गुजर रहा था, जिस
किताब के बारे में इस कहानी के मुख्य पात्र है, विजय और प्रमिला | विजय बचपन से ही गाँव में बहुत शरारती और मस्ती किया करता था | यहाँ तक कि गाँव के बड़े-बुजुर्ग भी उसे बिगड़ा हुआ लड़का ही समझते थे | गाँव में कोई भी लड़का कुछ गलती किया करता था तो बस उदाहरण क
“सुक्का” अपने नाम से ही एक फजुलियत बिखेरता किरदार| सुक्का होने को तो कभी के प्रसिद्द साहूकार रतन शर्मा का पोत्र था| रतन शर्मा का ब्याज का बड़ा काम था अंग्रेजो के ज़माने से| उनके दो पुत्र थे बड़े चन्द्र दत्त और छोटे सोमदत्त| चन्द्र दत्त पढ़-लिख कर अध्यापक
किताब के बारे मे हमारा भारतदेश क़ृषिप्रधान देश है, फिर भी आज के समय मे किसान की स्तिथि बहुत ही बुरी है | वह आज भी ग़रीबी और लाचारी से परेशान है, कभी अतिवृष्टि की वजह से फसल का नुकसान हो जाता है तो कभी अल्पवृष्टि से | किसान खेतो मे बीज बोने से लेकर फसल
हम याद आएंगे पहले प्यार के चुंबन की तरह सावन और जेठ के धूप की तहर... मबुआ और नशा की तरह नशा और मौसम में झरी की तरह मौसम और चौखट की तरह पहले प्यार के चुंबन की तरह,,पहले प्यार के चुंबन की तरह..
मांग कॉलेज के पिछे वाले ग्राऊंड में बहुत सारे पेड़ों के बीच एक लंबे-चौड़े छाया वाले पेड़ के नीचे सुमन किसी का इंतजार करते हुए बार-बार अपनी कलाई पर बंधी घड़ी को देख रही थी । शायद उसे किसी के आने का बेषब्री से इंतजार था । इसीलिए वह समय को रोकने की ना
हम याद आएंगे पहले प्यार के चुंबन की तरह सावन और जेठ के धूप की तहर... मबुआ और नशा की तरह नशा और मौसम में झरी की तरह मौसम और चौखट की तरह पहले प्यार के चुंबन की तरह,,पहले प्यार के चुंबन की तरह..
रोमनाथ को एक दिन अपने रिक्से की सीत पर एक नोटों से भरा बंडल मिलता है। जिसे वह थाने में जमा करवा देता है। पर उसके बाद उस पर जी खयानतदारी का इल्जाम लग जाया है।
दूसरा जन्म अधेड़ उम्र की औरत गांव से बाहर काफी दूर एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर चिल्ला-चिल्ला कर अपने आपको कोसती हुई रो रही थी, और कह रही थी - ये मेरी गलती थी भगवान, मैं अपनी जवानी में होने वाली उस गलती पर आज भी शर्मिंदा हूं । हे भगवान । मै
यह कहानी है ,एक मध्यमवर्गीय परिवार के मनोभावों की महत्वाकांक्षाओं की कुछ सपने पूरे होने की कुछ टूट जाने की कुछ-कुछ जीवन की व्याख्या की तरह
मेरी इस किताब को मैंने लिखा है लेकिन ये आप सब के लिए है । कहानी ज्यादा बड़ी तो नही है लेकिन छोटी भी नही है । इस कहानी में है आलिया लेकिन रणबीर नही है । इस कहानी में शब्द है लेकिन चित्र नही है । इस कहानी का उद्देश्य लोगो का विशुद्ध मनोरंजन करना है और म
पहली बारिश ,,, संध्या ओर सूरज के मिलने की ,,, बाकी आप कहानी पढ़ेंगे , तो पता लगेगा ।।