भोर का सूरच
इक नई उम्मीद लाया है।
भोर सूरज फिर से आया है।।
हर तरफ किरणें सुनहरी है,
जर्रा जर्रा मुस्कुराया है।
कट गईं रातें अँधेरी सब।
पँछियों ने गीत गाया है।
जोड़कर टुकड़े जमीं के सब।
उसने भारत को बनाया है।
चमके सालों साल देखो तुम।
कब से सूरज वो उगाया है।
लौह अंतर जो समेटे है।
वो ही पटेल कहलाया है।