चंबल
बीहड़ है जंगल है, नदिया का प्रसरित अंचल है।
अदभुत सी धरती काँटों का हरियाला कंबल है।
जीवन की रेखा है कलकल सी बहती चंबल है।।
जानापाव से जालौन मिली ये यमुना के जल है।
बहती उस धरती पर जो मुस्काता विंध्याचल है।
जीवन की रेखा है कलकल सी बहती चंबल है।।
खेतो खलिहानों में चलते जो कृषको के हल है।
मुस्काती हरपल धरती माता पाकर श्रमजल है।
जीवन की रेखा है कलकल सी बहती चंबल है।।
सरदी के मौसम परदेशी पंछी का आँगन है।
कछुओं घड़ियालों डाल्फिन का क्रीड़ांगन चंबल है।
जीवन की रेखा है कलकल सी बहती चंबल है।।
चिमनाजी गंगासिंह बंकटसिंह रंधीर अमानत है।
कितने ही वीर धरा के आजादी के अंजल है।
जीवन की रेखा है कलकल सी बहती चंबल है।
आजादी के संग्राम जहाँ वीरों ने फूँका बिगुल है।
देकर के अपनी आहूती किया संग्राम सफल है।
जीवन की रेखा है कलकल सी बहती चंबल है।
सुख दुख का जीवन है जिसमें कुछ कुछ बागीपन है।
समता की हामी है, बाशिंदों का ये संबल है।
जीवन की रेखा है कलकल सी बहती चंबल है।